What is Article 370: केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा। आइए समझते हैं कि आखिर यह अनुच्छेद 370 है क्या?
अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में 17 अक्टूबर, 1949 को शामिल किया गया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान से अलग करता है और राज्य को अपना संविधान खुद तैयार करने का अधिकार देता है। इस मामले में अपवाद केवल आर्टिकल 1 और खुद 370 को रखा गया है। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के मामले में संसद को संसदीय शक्तियों से रोकती है।
इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन यानि आईओए (26 अक्टूबर, 1947 को महाराजा हरि सिंंह द्वारा दस्तखत किए गए संधि-पत्र) के तहत शामिल विषयों पर अगर केंद्र सरकार ने कोई कानून बनाया हो ताे उसे जम्मू-कश्मीर सरकार से संपर्क के बिना राज्य में लागू नहीं कराया जा सकता। अन्य मामलोंं मेंं ऐसे कानून लागू कराने के लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी है।
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इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन यानि आईओए क्या है: आईओए भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के जरिए अमल में आया था। इस अधिनियम के जरिए ब्रिटिश साम्राज्य का भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ और भारत एक आजाद मुल्क बना। तब करीब 600 रियासताें की आजादी बहाल रखी गई थी। इस अधिनियम में तीन विकल्प दिए गए थे- आजाद देश बने रहें, भारत में मिल जाएं या पाकिस्तान में शामिल हो जाएं। भारत या पाकिस्तान में विलय का आधार आईओए को बनाया गया था। इसके लिए कोई तय रूपरेखा नहीं थी। इसलिए यह रियासताें पर निर्भर था कि वे किन शर्तों पर भारत या पाकिस्तान में शामिल होती हैं।
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कैसे लागू हुआ अनुच्छेद 370?
जम्मू-कश्मीर सरकार ने मूल मसौदा पेश किया। संशोधन व विचार-विमर्श के बाद 27 मई, 1949 को संविधान सभा में अनुच्छेद 306ए (अब 370) पास हुआ। 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का हिस्सा बना।
क्या हमेशा के लिए नहीं था अनुच्छेद 370?
यह सच है कि इसे संविधान में शीर्षक में ‘टेम्परेरी’ शब्द का इस्तेमाल करतेे हुए शामिल किया गया था। इसे इस रूप में भी अस्थायी माना जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को इसे बदलने/हटाने/रखने का अधिकार था। संंविधान सभा ने इसे लागू रखने का फैसला किया। एक और व्याख्या यह की जाती है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय ही अस्थायी था, क्योंकि यह तब तक के लिए था जब तक जनमत संग्रह न करा लिया जाए। लेकिन, पिछले साल संसद में सरकार ने लिखित जवाब में कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाने का विचार नहीं है। 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी यह दलील खारिज कर दी थी कि अनुच्छेद 370 अस्थाई है और इसे जारी रखना धोखा है। 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह मानने से इनकार कर दिया कि यह अस्थाई अनुच्छेद है।
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क्या खत्म हो सकता है अनुच्छेद 370?
भले ही अनुच्छेद 370 अस्थाई नहीं है, फिर भी इसे खत्म किया जा सकता है। राष्ट्रपति के आदेश से और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सहमति से इसेे खत्म किया जा सकता है। गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा 26 जनवरी, 1957 को भंग हो चुकी है और अभी राज्य में गवर्नर रूल है, इसलिए राष्ट्रपति का आदेश ही इसे खत्म करने के लिए काफी है।