कला और साहित्य
यह कहानी शुरू होती है कश्मीर से जहां एक हिन्दू नौजवान विजय की प्रेम गाथा से जो एक मुस्लिम लड़की शब्बो के प्यार में...
साहित्य में मूल्यवान वही माना गया जो मानवीय मूल्यों के साथ चले। लेकिन बीसवीं सदी के अंत में सोवियत रूस के विघटन के बाद...
मीरा की एक दूर की संबंधी शेलोमो अल्फासा उनके बारे में बताती हैं कि 26 वर्ष की उम्र में मीरा एक सपना देखती हैं,...
पिता-पुत्र या भाई-भाई के भिन्न विचारों को लेकर होने वाले झगड़े या मनमुटाव को हमारा समाज सामान्य रूप में स्वीकार कर लेता है, लेकिन...
साहित्य और चेतना को मुक्त होने की वकालत करती निराला की ये पंक्तियां शब्दों की दुनिया के कारीगरों से बहुत कुछ कहती हैं। इन...
निराला ने कविता के साथ गद्य लेखन भी खूब किया है। उन्होंने गद्य को ‘जीवन संग्राम की भाषा’ कहा है।
मौजूदा दौर को जिन हर्र्फोंं, तर्कों और हवालों में हम सबसे ज्यादा महसूस कर सकते हैं, वे हैं- आंदोलन की दरकार और संवेदना के...
जवाहरलाल नेहरू अगर कथित नवनिर्माण की बात करते हैं, तो दीनदयाल उपाध्याय शाश्वत, सनातन व्यवस्था पर आधारित पुननिर्माण की बात करते हैं। वे समाज...
‘ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया’ के प्रबंध निदेशक शिवरामकृष्णन वेंकटेश्वरन ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ को कई क्षेत्रों के लोगों के बीच पहचान मिली क्योंकि...
हिंदी में संज्ञा पदों के नाम-निर्धारण की पद्धति का अगर विश्लेषण किया जाए, तो एक बात बहुत स्पष्ट है। अगर कोई वस्तु कमजोर, कोमल,...
मंटो ने विभाजन का विरोध किया, इसे पागलपन कहा। उस समय बॉम्बे में रहते हुए जब वे फिल्मों के लिए लेखन कर रहे थे,...
हमारी जिंदगी उस नाव की तरह है जो समय की धारा में अपने आप बहने लगती है। हम एक निश्चित दिशा में आगे बढ़ना...
वास्तव में यह पाठ्य पुस्तक विद्यार्थी को सनातन परिकल्पना की प्रारंभिक, पर जरूरी जानकारी देती है। यह सिर्फ विद्यार्थियों के लिए नहीं, बल्कि आम...
हिंदी साहित्य को गुलाबराय का दार्शनिक अवदान अपूर्व है। उनसे पूर्व हिंदी में इस विषय पर मौलिक लेखन का बड़ा अभाव था। उनकी कीर्ति...
महिलाओं की दुनिया भारत के साथ पूरे विश्व में बदल रही है। इसी के साथ बदल रही है महिला चिंतन और लेखन की धारा...
एक ऐसे दौर में जब अंग्रेजी के औपनिवेशिक वर्चस्व के आगे दुनिया की कई भाषाएं अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं, हिंदी...
समय का संदर्भ बदलते ही उन विचारों पर भी बदलने का दबाव बढ़ जाता है, जो नए हालात की ठीक से व्याख्या नहीं करते...
Book Review: अपने रचना क्रम में रिश्तों के मुखौटे उतरने के बाद कवयित्री एक ऐसे काल्पनिक पुरुष का भी सृजन करती है जो स्त्री-मन...