हम उसे प्रकृति का नाम दें या कुछ और..! वही अदृश्य, अनजानी शक्ति सांसों के स्पंदन के रूप में हमारे…
देश में अमीरों का आंकड़ा बढ़ने के कारण ऐसी बहुत ही बड़ी और आयातित गाड़ियां सड़कों पर दौड़ने लगी हैं।…
खरीदारी एक बड़ा ‘कैथारसिस’ होता है और यह अवसाद से भी मुक्त करता है। आज जब घरों में एकल परिवारों…
अभी तक घर के बच्चे दादा-दादी के गोद में सोते और नाना-नानी से परियों की कहानी सुनते। परंपरावाद और रूढ़िवाद…
आज हम उस बुरे दौर में हैं, जिसका आकलन कोई नहीं कर रहा या करना नहीं चाहता। कोई किसी को…
मशीन और कल-कारखानों के कारण लोगों की निर्भरता एक-दूसरे पर कम हुई है। ऐसे में सामाजिकता की भावना का लोप…
शिक्षा संस्थानों के नियामकों ने बिना अधिक सोच-विचार किए ही ई-शिक्षा के कार्यक्रम जारी कर दिए। अब भी इस मसले…
राजनीति की छांव में लगभग सभी राज्यों में पुलिस और प्रशासन लीपापोती करता दिखता है। हमारी व्यवस्था की टालमटोल, लापरवाही…
किसी भी काम को अच्छे से सीखने-समझने के लिए ठहराव का होना थोड़ा जरूरी होता है। छोटा मार्ग आकर्षित जरूर…
मोती की आभा वाले और सितारों के आकार के ये नन्हे-नन्हे फूल इतने क्षणभंगुर न होते तो फूलों से किसी…
सब कुछ इतने पर सिमट आया था। एक नैराश्य और अवसाद भरता जा रहा था। ऐसा बंधन कभी महसूस नहीं…
आज के परिदृश्य में माता-पिता जरूरत से ज्यादा फिक्रमंद हैं। हमेशा बच्चे को अपनी नजरों के सामने रखना चाहते हैं।…