दुनिया मेरे आगेः युवा की राह
कहते हैं कि युवा जिधर चलते हैं, जमाना उधर का रास्ता ही अख्तियार कर लेता है। वैसे भी विश्व इतिहास का अमूमन हर दौर इस बात का गवाह रहा है कि बदलाव की शुरुआत युवाओं से होती है।

अजय प्रताप तिवारी
भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढालती भी आई है। आजादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक बदलाव की जो कहानी लिखी गई है, उस कहानी का अधिकांश हिस्सा युवाओं के नाम रहा है।
कहते हैं कि युवा जिधर चलते हैं, जमाना उधर का रास्ता ही अख्तियार कर लेता है। वैसे भी विश्व इतिहास का अमूमन हर दौर इस बात का गवाह रहा है कि बदलाव की शुरुआत युवाओं से होती है। वक्त के मुताबिक युवा यह समझते हैं कि कैसे एक साथ होकर विकास का रास्ता तय किया जा सकता है। जब बात देश और समाज के निर्माण और विकास की बात हो तो इसमें युवाओं की भागीदारी के बिना यथास्थिति में बदलाव की उम्मीद बेमानी होती है।
हालांकि यह युवा ही है जो किसी बदलाव के जड़ हो जाने और उसके बाद यथास्थिति के हालात को तोड़ता है। वह समझता है कि अगर बदलाव किसी भ्रम का हासिल है तो उसके नतीजे दीर्घकालिक महत्त्व के नहीं होंगे। जाहिर है, जो युवा पुरानी यथास्थिति को तोड़ कर नई राह बनाता है, वह नई परिस्थितियों में पैदा हुई जड़ता को भी तोड़ कर नया युग रचता है।
आज भारत कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है, जिसकी विशेषता युवा शक्ति है।
हालांकि कई बार युवा अपनी क्षमताओं का इसलिए सही उपयोग करने के बजाय नकारात्मक दिशा में अपनी ऊर्जा लगा देता है, जिसका परिणाम खुद उसे भी भुगतना पड़ता है। ऐसे में युवाओं को प्रेरित करने में समाज की, मनीषियों और चिंतकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। ये मनीषी और चिंतक युवा-शक्ति के लिए सदैव प्रेरक होते हैं, उनके लिए प्रतीक का काम करते हैं।
कई बार युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में मोड़ कर इतिहास बना देते हैं। सामान्य तौर पर ऐसे लोग समय-समय पर, देश-काल और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। लेकिन कुछ ऐसे व्यक्तित्व अपने स्थिर और ठोस चरित्र के साथ सबके लिए प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसे ही एक कालजयी शख्सियत हैं स्वामी विवेकानंद जो पावन चिंतन धारा आश्रम के भी प्रेरणा-स्रोत हैं।
अपनी युवावस्था में ही दुनिया के लिए वे कितने अहम हो गए, यह किसी से छिपा नहीं है। यों भी किसी भी व्यक्ति की युवा आयु वीरता, बाहुबल, उत्तेजना, जिज्ञासा, न्यायपूर्ण दृष्टिकोण और ऐसे ही कई सारे गुणों से भरी हुई होती है। इसकी एक मिसाल इस रूप में देखी जा सकती है कि जब पूरा विश्व एक अदृश्य शक्ति कोरोना से जूझ रहा था, उस वक्त भारत का युवा देश के प्रति पूरी तरह से समर्पित था।
आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, वास्तुकला, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में युवाओं ने बहुत प्रगति की है, जिससे देश का मान-सम्मान भी बढ़ा है। युवा शक्ति भारत की सर्वोच्च शक्ति है और उन्हें दृढ़ संकल्प लेकर कठोर मेहनत करके अपना समाज और अपने देश का विकास करना है। ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका सामना वे नहीं कर सकते, मगर आज कुछ युवा सही मार्ग से भटकते दिखाई देते हैं।
उन्हें अपने और पराए में फर्क नजर नहीं आ रहा। सच यह है कि उन्हें उनके मार्ग से दिग्भ्रमित किया जा रहा है। समय-समय पर इसके उदाहरण भी देखे गए हैं कि जब युवा का रास्ता खो जाता है, तब बहुत कुछ अच्छा भी खराब होने के रास्ते पर बढ़ चलता है।
दरअसल, इसी उम्र में युवा पीढ़ी परियोजनाएं, खेल और अन्य कल्पनाओं को नियंत्रित करना सीखते हैं। इस आयु में लोगों को गंतव्य की ओर बढ़ने का समय मिलता है, जिसे व्यावसायिक जागरूकता और व्यक्तिगत मतभेदों के महत्त्वपूर्ण अध्ययन के माध्यम से संभव बनाया जा सकता है। आज युवाओं को खुद सोचना समझना चाहिए और विचार करना चाहिए कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं, जिससे अपनी ही मान-मर्यादा खंडित हो रही है।
आज धर्म के नाम पर युवाओं के लड़ाया जा रहा है। ऐसे समय में युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों का अनुसरण करना चाहिए। शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के अपने भाषण में विवेकानंद ने कहा था कि हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही केवल विश्वास नहीं रखते हैं, बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है।
उन्हें युवाओं की ऊर्जा पर बहुत भरोसा था। वे कहते थे कि ‘युवा वह होता है जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है।’ आज जरूरत है देश की राजनीति में युवाओं की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि देश को एक नई दिशा मिले।