
वंशवाद को ज्यादातर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। इसका कारण यह है कि कुछ नेताओं ने अपने ही बेटे-बेटियों…
जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए हम मन, कर्म और वचन के माध्यम से तरह-तरह की क्रियाएं करते…
सड़कों से पेड़ गायब होने लगे हैं। पेड़ काटने वाले भी छाया तलाश रहे हैं।
जीवन नदी में गोते लगाते रहने और उससे निकलते रहने का खेल है।
आज सोशल मीडिया के अलग-अलग मंचों पर रोजाना दरियादिली और ज्ञान के ऐसे हजारों-लाखों संदेश बिखरे दिखाई देते हैं कि…
महिलाओं को लेकर एक बहुत आम कहावत है, जो अक्सर मर्दों को कमजोर बताने के लिए उपमा के तौर पर…
अंधेरी सुरंग को पार किए बिना उस पार की रोशनी नहीं मिल सकती, लेकिन हम सुरंग में आगे बढ़ने से…
ग्रामीण इलाके में बचपन बिताए अनेक लोगों की स्मृतियों में गाय, बैल, भैंस जैसे जानवर अधिक प्रभावी रहे हैं।
कहावत भी है कि मेहमान थोड़े ही दिन के अच्छे लगते हैं।
कुछ लोगों को उदास रहने की बीमारी होती है। वे जीवन में सुख नहीं दुख गिन-गिन कर बताते रहते हैं।…
कुछ कलाकारों का कहना है कि हंसना-हंसाना एक कला भी है और तजुर्बा भी।
हम सच को जानते हुए भी अगर अंधविश्वासी बन जाएं तो वह खतरनाक है।
आपने सुना होगा- किसी के दिल तक पहुंचने का एक रास्ता पेट से भी जाता है। आपका बनाया भोजन खाकर…
आजकल देखें, तो सड़कों के किनारे फलों के पेड़ नहीं दिखाई देते।
सहज ढंग से खरी बात कहने का भारतीय अंदाज इसे तिकोना कहकर किसी शक की गुंजाइश नहीं छोड़ता।
उन्मुक्तता के प्रतीक पक्षी जब हमारे घर-आंगन या आजकल की बालकनी में चहकते-फुदकते हैं तो उन्हें देखने मात्र से ही…
भारतीय संस्कृति और विरासत में ऊंटों का व्यापारिक, सामरिक और प्रशासनिक अनुशीलन होता रहा है।
कहना तो यह चाहिए कि जितना ज्यादा हम भावनाओं को दबाएंगे, उतने ही अव्यावहारिक होते चले जाएंगे। भावनाओं के कंधों…
किसी के घर जाना होता है, तो मेरे लिए दो घंटे काटना भी मुश्किल हो जाता है।
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