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दुनिया मेरे आगे: प्रेम की खोज में

प्रेम के बारे में कहा जाता है कि यह मिलन में ही नहीं, विरह में भी महसूस किया जा सकता है। प्रेम मधुर कल्पना भी है कि उन्हें याद कर खो जाए तो बस खो जाए।

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प्रेम सुख का नाम है, यह समर्पण का भी नाम है। (Photo-pixabay)

प्रेम क्या है और क्यों जरूरी है, यह सदा से खोज का विषय रहा है। बहुत सारे लोगों ने इस संबंध में अपने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं। फिर भी प्रेम की खोज पूरी नहीं होती। लोग अपने-अपने स्तर पर अपने युग और परिस्थितियों के हिसाब से इसे सदियों से समझने में लगे हुए हैं। प्रेमोत्सव के रूप में हर साल मनाया जाने वाला वेलेंटाइन दिवस इस प्रेम के महत्त्व को बढ़ा देता है।

प्रेम को लोग विभिन्न रूपों में समझते हैं। कुछ का कहना है कि बच्चा और मां-बाप के बीच संबंध भी प्रेम है, भाई-बहन, दोस्ती भी प्रेम का प्रतीक है, ऐसे ही प्रेमी-प्रेमिका के बीच पलने वाला संबंध भी प्रेम ही है। पर मां-बाप और बच्चे के बीच का संबंध या तो ममतापूर्ण सुकोमल भावना का प्रतीक है या फिर बड़े-छोटे का भाव, जहां मां-बाप बच्चे को पैदा करके बड़ा करते हैं तो बच्चे भी इसे देख-समझ कर अपनी क्षमतानुसार, बड़ों के प्रति फर्ज निभाते हैं। ऐसा ही कुछ भाई-बहन और अन्य प्रकार के रिश्तों में हैं। इन संबंधों में वह बात नहीं, जो प्रेमी-प्रेमिका के बीच है।

प्रेम आकर्षण का नाम है या फिर चुंबक की तरह अपने प्रिये के प्रति झुक जाने, चिपक जाने का नाम। या ऐसी प्यास कि बिना बुझाए मन ही न माने। यह वह संबंध है जहां मन ही नहीं, तन भी उसके होने, महसूस करने की कल्पना करे। यह वह आवारगी भी है, जिसके आगे सब छोटा लगे। यह वह संबंध है, जिससे जुड़ना, मिलना, सुनना, सुनाना सब आनंददायी होता है। प्रेम के लिए दो जिस्म एक जान, पता नहीं किसने कहा, लेकिन यह सच है कि आदमी जब किसी के साथ प्रेम में होता है तो उसके प्रति ऐसा ही भाव महसूस करता है। जहां, जिधर वह रहे, फुरसत में, मुश्किल में, हर पल प्रेमी अपने जोड़े का ध्यान करता और उसके साथ हक से पेश आता है और चाहता भी है कि उसकी प्रेमिका उसे समझे।

प्रेम के बारे में कहा जाता है कि यह मिलन में ही नहीं, विरह में भी महसूस किया जा सकता है। प्रेम मधुर कल्पना भी है कि उन्हें याद कर खो जाए तो बस खो जाए। प्रेम उस निष्ठा, इंतजार का भी नाम है कि आदमी बस अपने प्रेमी के लिए समर्पित रहना चाहे। हां, जहां समर्पण कम या दोनों में बराबर की वफादारी नहीं, दिक्कत उनके बीच आती है, टूटन, संबंध विच्छेद वहीं होता है। यह भी प्यार का एक अलग रूप है। इसमें या तो दोनों की सोच एक-दूसरे के प्रति अलग हो जाती है या फिर ऐसा भी होता है कि एक अलग रास्ते पर चला जाता है, पर दूसरा वहीं उसका इंतजार करता रह जाता है।

हां, इस आधुनिक दुनिया में एक ऐसी भी स्थिति देखी जाती है कि एक अवधि के बाद अगर एक पक्ष ने और आगे प्रेम की राह पर चलने से मना कर दिया, तो दूसरा पक्ष उसका दुश्मन हो जाता है और इसे भी प्रेम का नाम दिया जाता है। मगर इसे प्रेम नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जब व्यक्ति किसी से दुश्मनी पर उतर जाए तो वह प्रेम हर्गिज नहीं हो सकता, क्योंकि प्रेम सुख का नाम है, यह समर्पण का भी नाम है, यह दुश्मनी का नाम तो बिल्कुल नहीं। प्रेमिका ने ना कहा तो प्रेमी ने उसकी या अपनी जान ले ली, यह तो प्रेम नहीं। अगर है भी तो इसे प्रेम का सबसे विंध्वंसात्मक रूप माना जाना चाहिए।

वैसे पति-पत्नी के रिश्ते में भी प्रेम हो सकता है, लेकिन कई पति-पत्नी के जोड़ों को देख कर महसूस होता है कि अधिकांश पति-पत्नी के बीच प्रेम का जैसे लोप हो गया है। शायद इसका एक बड़ा कारण यह है कि एक ही घर में हमेशा साथ रहने से उनके बीच आपसी आकर्षण खत्म हो जाता है और मजबूरी और जिस्मानी रिश्ता तक यह संबंध सिमट जाता है। इस संदर्भ में कुछ नासमझ कमाई के आधार पर अपना पद तय करते हैं। अगर पुरुष अधिक कमाता है तो वह अपनी बीवी को जीहुजूरी करते हुए देखना चाहता है। वह स्त्री को दबाने लगता है और प्रतिक्रिया स्वरूप स्त्री उससे बचने और दूर रहने की कोशिश करने लगती है, तब कहां बचा प्रेम! शायद इसीलिए प्राय: अधिकांश प्रेम कहानियां शादी हो जाने पर या शादी पर आकर खत्म हो जाती हैं। इसका एक गूढ़ मतलब यह भी है कि उसके साथ-साथ प्रेम सिमट जाता है, कहीं खत्म तो नहीं हो जाता!

हालांकि प्रेम कब हो सकता है, इसका उत्तर मुश्किल है, क्योंकि संभव है कि किसी एक को प्रेम कभी न हो। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। एक बड़ी वजह यह है कि प्रेम के लिए किसी खास के प्रति भरोसा करना पड़ता है, शायद उसे पूजना पड़ता है और इतना बड़ा दिल सबका नहीं हो पाता कि वह स्वयं से ज्यादा किसी और को प्यार कर सके। शायद इसलिए भी सबको प्यार नहीं हो पाता। प्यार न हो पाने का एक कारण प्राकृतिक भी है कि किसी को देख कर दिल ही न धड़के, व्यक्ति विशेष के प्रति आकर्षण ही न हो, तो कैसे प्यार हो पाएगा! काश, सभी के हिस्से यह प्रेम का पल हो, उनके जीवन में इस प्रेम का प्रस्फुटन हो।

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First published on: 13-02-2021 at 01:33 IST
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