हमारे मोहल्ले के एक काका बुजुर्ग हुए तो कब परिजनों ने उन्हें वृद्धाश्रम में भेज दिया, हमें पता ही नहीं…
चौराहों पर लाल बत्ती होने पर वह छोटा लड़का सड़क पर कलाबाजियां खाता है। एक छोटे-से लोहे के छल्ले से…
सुबह-सुबह जब जाकर बाहर आया तो कबूतर मेरे कमरे के रोशनदान पर चहलकदमी कर रहा था।
कई बार यथार्थ पर विश्वास नहीं करने का मन करता है। कई बार यथार्थ घटनाएं किसी काल्पनिक सिनेमा के दृश्य…
हर क्षेत्र में अपना डंका मनवाने वाली स्त्री के लिए क्या जरूरी है कि वह बताए कि वह किसकी पत्नी…
कुछ दिन पहले शाम को घूमते हुए मुझे किसी ने आवाज दी- ‘मैयू’। मैं आश्चर्य में पड़ गया। यह मेरे…
मनुष्यों में आपसी जुड़ाव के कई पहलू होते हैं। मसलन सामाजिक, पारिवारिक, व्यावसासिक या पेशेवर जुड़ाव।
इक्कीसवीं सदी के दो दशक गुजर जाने के बाद भी अपने आसपास की स्त्रियों को जिस सामाजिक हैसियत में देखती…
फिलहाल मौसम जिस तरह लहरों की तरह ऊपर-नीचे हो रहा है, उसमें वसंत और फागुन की मिलावट है और पारंपरिक…
सन 1960 के दशक में जब ‘स्त्री मुक्ति आंदोलन’ शुरू हुआ था, तभी से अक्सर स्त्री स्वतंत्रता की बात बड़े…
शहरों के मेलों में एक बनावटीपन है। वहां के फुटपाथ पर, छोटे-छोटे मैदानों में, महलों में या फिर मेलों के…
आमतौर पर समाज में जिन्हें ‘बड़े’ लोग के तौर पर देखा-समझा जाता है, उनसे हमारी अपेक्षाएं क्या होती हैं?