इक्कीसवीं सदी के पहले बीस साल गुजरने को आए, पर्यटक धरती के रमणीक स्थलों से उठ कर व्योम में सैर…
मौजूदा दौर में एक तरह से जिंदगी की इबारत बदल रही है। शायद इसी को कालचक्र कहते हैं। निश्चित तौर…
कुछ रोज पहले भयंकर आंधी चली तब आमों के पेड़ों से कुछ कच्चे आम धरती पर टपक पड़े। वहीं अधिक…
प्रकृति ने धरती पर अपने विराट वैभव भंडार से असंख्य संपदाओं को जनमानस के उपयोग और कल्याण के लिए सृजित…
फिल्मों और नाटकों की प्रस्तुति में प्रसंग, वातावरण और चरित्र के अभिनय में निहित रस भाव की प्रभावी निष्पत्ति के…
मनुष्य आमतौर पर पूर्वाग्रह से भरा हुआ जीव है। किसी नई जगह जाने या किसी नए व्यक्ति से मिलने से…
मेरे घर के अहाते के सामने एक सरकारी नल लगा हुआ है। मैं अक्सर देखती हूं कि एक दूध बेचने…
कोई भी दिन अपने साथ कई रंगों को समेटे होता है। पिछले महीने कुछ ऐसी ही अनुभूति लिए इस साल…
कक्षा की पिछली बेंच पर बैठे किसी आइंस्टीन की तलाश के लिए पारखी की नजरों की आवश्यकता होती है।
कितने सारे खिलौने थे। एक खिलौने में एक ढोल बजाता बंदर था, तो दूसरे में पहियों के सहारे चलने वाला…
पिछले दिनों ग्रामीण क्षेत्र की एक सरकारी स्कूल के वार्षिकोत्सव में भागीदारी का मौका मिला।
कभी-कभार अपनी कई पुरानी चीजों को निकाल कर देखती हूं तो मन प्रफुल्लित हो उठता है।