Ratle Project Row: जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में चल रहे रतले पनबिजली प्रोजेक्ट को लेकर एक नया खुलासा हुआ है कि 1 नवबर को पुलिस ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को पत्र लिखा था। इसमें ये बताया गया था कि प्रोजेक्ट में आतंक से संबंधित या आपराधिक बैकग्राउंड वाले 29 लोगों को काम पर रखा गया है, जो कि सुरक्षा के लिहाज से एक बहुत बड़ा खतरा भी हो सकते हैं।
इस प्रोजेक्ट में नियुक्ति श्रमिकों को लेकर बीजेपी की किश्तवाड़ से विधायक शगुन परिहार भी आरोप लगा चुकी हैं। अब उन्होंने कहा है कि पुलिस के पत्रों से उनके आरोपों की पुष्टि होती है। यह विवाद तब सामने आया जब एमईआईएल के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हरपाल सिंह ने परिहार पर परियोजना में देरी का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से बयान दिया था। पत्र के सामने आने से इस विवाद में एक नया मोड़ आने की संभावना है।
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पुलिस ने पत्र में क्या लिखा?
दरअसल, किश्तवाड़ स्थित एमईआईएल के महाप्रबंधक को संबोधित पत्र में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नरेश सिंह ने कहा कि परियोजना में कार्यरत किश्तवाड़ निवासियों के नियमित पुलिस सत्यापन के तहत संबंधित एसएचओ ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें 29 लोग विध्वंसक/राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। एसएसपी सिंह ने 29 नामों की सूची में अटैच करते हुए कहा कि इन कर्मचारियों को काम पर रखने से विद्युत परियोजना की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
पुलिस ने दी थी ये चेतावनी
पनबिजली परियोजनाओं के रणनीतिक और राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करते हुए एसएसपी ने कहा कि ये शत्रु देश के उच्च जोखिम वाले टारगेट हैं। एसएसपी ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों/श्रमिकों की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि वे कुछ भी कर सकते हैं और परियोजना के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
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एसएसपी नरेश सिंह ने एमईआईएल के अधिकारी से आग्रह किया कि वे ऐसे कर्मचारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखें और अगर कुछ भी संदिग्ध बात सामने आती है. तो तुरंत पुलिस को सूचित करें ताकि कार्रवाई की जा सके।
पुलिस वेरिफिकेशन में सामने आया सबका इतिहास
परियोजना में कई पदों पर काम कर रहे इन संदिग्ध 29 लोगों में से 5 का नाम पुलिस की वेरिफिकेशन रिपोर्ट में आतंकवाद से संबंध होने की बात कही गई है। जिनमें क्षेत्र के एक पुराने उग्रवादी के तीन रिश्तेदार, एक संदिग्ध भूमिगत उग्रवादी कार्यकर्ता का बेटा और एक आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादी का बेटा शामिल हैं। 29 में से एक पर कुछ जल स्रोतों को दूषित करने और दस्तावेज़ों में हेराफेरी करने का आरोप है, जबकि अन्य 23 का “आपराधिक पृष्ठभूमि” है और उन पर आपराधिक अतिक्रमण, जनता या किसी व्यक्ति को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने के इरादे से तोड़फोड़ आदि जैसे आरोप हैं।
दूसरी ओर रैटल परियोजना के प्रभारी, एमईआईएल के सीओओ हरपाल सिंह ने पुलिस की सलाह मिलने की बात स्वीकार की और कहा कि उन्होंने एसएसपी को पिछले सप्ताह ही जवाब दिया था और आश्वासन दिया था कि वे निगरानी रखेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को देखने पर रिपोर्ट करेंगे।
कंपनी के सीओओ बोले – केस कर सकते हैं लोग
वहीं जब हरपाल सिंह से पूछा गया कि क्या एमईआईएल 29 लोगों की छंटनी करने की योजना बना रहा है, तो उन्होंने कहा कि हम किस कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं? अगर किसी का पिता या रिश्तेदार सक्रिय या आत्मसमर्पण करने वाला उग्रवादी है, तो किसी का अपराध क्या है? इसी तरह, हम उस व्यक्ति के खिलाफ कैसे कार्यवाही कर सकते हैं जिसके खिलाफ अभी तक अदालत में कोई आपराधिक आरोप साबित नहीं हुआ है?
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सीओओ ने कहा कि अगर इन लोगों को नौकरी से निकाल दिया जाता है तो वे अदालत जा सकते हैं, जिससे कंपनी के लिए एक और समस्या खड़ी हो जाएगी। पिछले हफ्ते हरपाल सिंह ने मुखर होकर दावा किया था कि 3,700 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर 2026 तक पूरा होने वाली रैटल परियोजना दो साल विलंबित हो गई है, जिसका मुख्य कारण विधायक शगुन परिहार द्वारा उत्पन्न व्यवधान हैं।
शगुन परिहार पर लगाए आरोप
सीओओ ने आरोप लगाया कि शगुन परिहार पिछले साल चुनाव जीतने के बाद से ही कंपनी पर “अपने लोगों” को भर्ती करने का दबाव डाल रही हैं और सितंबर में कंपनी द्वारा 200 कर्मचारियों की छंटनी के फैसले से तनाव काफी बढ़ गया है। उन्होंने दावा किया कि कंपनी द्वारा भर्ती किए गए 1,434 स्थानीय लोगों में से 960 अकेले किश्तवाड़ जिले से हैं और 220 डोडा जिले से हैं। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत या तो उस काम के बारे में नहीं जानते जिसके लिए उन्हें भर्ती किया गया है या वे काम करना नहीं चाहते।
आरोपों पर क्या बोलीं विधायक?
हरपाल सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एसएसपी द्वारा उग्रवादी या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बताए गए 29 लोगों की भर्ती जुलाई 2024 में परियोजना का कार्यभार संभालने से पहले ही हो चुकी थी और वे कई वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, किश्तवाड़ और डोडा जिलों से परियोजना में कार्यरत लगभग 1,100 कर्मचारियों/श्रमिकों की भर्ती स्थानीय बीजेपी नेताओं के दबाव में की गई है, क्योंकि क्षेत्र में केवल उन्हीं का दबदबा है।
परिहार ने भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करने से इनकार करते हुए इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दरअसल, यह मुद्दा मैं ही उठा रही हूं। उन्होंने यह भी पूछा कि पुलिस द्वारा उल्लेखित 29 लोगों को MEIL ने इस महीने की शुरुआत में लगभग 200 श्रमिकों की सेवाएं समाप्त करते समय क्यों नहीं निकाला। हरपाल सिंह द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों पर परिहार ने उन्हें “गैरजिम्मेदाराना” और “अप्रासंगिक” बताया और कहा कि इनका मकसद एक महिला विधायक के रूप में उन्हें बदनाम करना और कंपनी की “अक्षमता” को छिपाना है।
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