तीन साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वे ऐसे हर संभव उपाय करें,…
अख़लाक़ अहमद उस्मानी खोला अल्ताफ का वह स्कूल का महज दूसरा दिन था। पांच बरस की खोला को छुट््टी की…
प्रेमपाल शर्मा दिसंबर का पहला सप्ताह, शाम के छह बजे सर्दी की आहट भर थी। फुटपाथ पर अखबार, पत्रिकाएं बेचने…
कौशलेंद्र प्रपन्न प्रेमचंद, निराला, श्रीलाल शुक्ल, रेणु के गांव अब वही नहीं रहे। शहर की भीड़ और औद्योगीकरण ने गांव…
आदरणीय नरेंद्र भाई, तवलीन (सिंह) बेन का 14 दिसंबर के जनसत्ता में छपा लेख, ‘विकास के बजाय’ पढ़ कर गला…
धर्मांतरण के मसले पर जिस तरह पिछले हफ्ते विपक्ष ने लगातार राज्यसभा की कार्यवाही ठप रखी और प्रधानमंत्री ने यह…
करीब दो साल पहले दिल्ली में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की बर्बर घटना के बाद देश भर में…
अरविंद कुमार सेन नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक…
जाबिर हुसेन बजाहिर यह खबर इतनी ‘छोटी’ थी कि पढ़े-लिखों का ध्यान अपनी ओर नहीं खींच पाई। बीते सप्ताह मध्य…
ममता व्यास उसे खुद को छिपाने के सौ हुनर आते थे। न वह कभी खुल कर हंसता किसी बात पर,…
पिछले कुछ दिनों से हरियाणा की दो बहनें, बस में कथित छेड़छाड़ के विरोध में तीन लड़कों से भिड़ने और…
विष्णु नागर की टिप्पणी ‘आहार का चुनाव’ (दुनिया मेरे आगे, 11 दिसंबर) बड़ा ही रोचक और संतुलित है। नागरजी का…