
जब रेणु के रचना-संसार में आंचलिकता के प्रभाव से पात्रों को ही नहीं, पूरे परिवेश को धड़कते पाया और अपने…
एक जमाना था जब पति-पत्नी अपने रिश्ते घर की चारदिवारी के भीतर खुशी-खुशी बिताया करते थे। जिंदगी दिन के उजाले…
आओ अपने अंदर अपना अतीत जिंदा करें। इस मधुर विश्वास को जियें कि आज अपनी अंधी दौड़ में विश्व जिसे…
हममें से बहुत से लोग कुछ बनने या पाने का सपना तो देखते हैं, पर उन सपनों को साकार कुछ…
पुरानी कहावत है कि इंसान आदतों पर जीने वाला जीव यानी ‘क्रीचर आॅव हैबिट’ है। हम जो कुछ करते हैं,…
जब हर तरफ घनघोर अंधकार हो तो उस समय मद्धिम लौ के साथ टिमटिमाता एक दीया भी मनुष्य को अंधेरे…
इन दिनों कबूतरों को अपनी बालकनी में जल-क्रीड़ा करते हुए देखता हूं तो उन्हें देख कर बहुत आनंद आता है।
सबको पता है कि आलस एक बुरी आदत होती है, लेकिन आलस करना सबको अच्छा लगता है। एक दोस्त की…
‘जीवन चलने का नाम’ की तर्ज पर फिर से बाजार, दफ्तर और सोशल मीडिया के अलग-अलग मंच गुलजार होने को…
हमारे पितृसत्तात्मक समाज का ढांचा ही ऐसा बुना हुआ है कि स्त्री को अधिकतर मामलों में फैसले लेने का हक…
जिंदगी के बाद दिवंगत की आत्मा के लिए की जाने वाली औपचारिकताएं अब गैरजरूरी लगने लगी हैं। भीषण महामारी के…
बुजुर्गों के लिए सरकारी नीतियां बहुत बनाई जाती हैं, लेकिन क्या जमीनी स्तर पर उन्हें लागू किया जाता है? खासतौर…