
जब रेणु के रचना-संसार में आंचलिकता के प्रभाव से पात्रों को ही नहीं, पूरे परिवेश को धड़कते पाया और अपने…
सबको पता है कि आलस एक बुरी आदत होती है, लेकिन आलस करना सबको अच्छा लगता है। एक दोस्त की…
दरअसल, शब्द का अर्थ संदर्भ, परिस्थिति, आशय और अंदाज पर निर्भर करता है। सीधी सपाटबयानी का लोग आम जीवन में…
लालसाओं से भरा मनुष्य व्यक्तिगत हित और स्वार्थ के वशीभूत होकर आपदा में भी अवसर की तलाश कर लेता है।…
आज बहुत से ऐसे मुल्क है जहां गरीबी अपनी चरम सीमा पर है और टीका कुछ अमीर देशों के इर्द-गिर्द…
डाकखाने से पहले का जमाना तो हरकारों का था, जो किसी राजा के संदेश उनके सूबेदारों तक पहुंचाते या किसी…
बच्चों को सब कुछ बता देने के चक्कर में हम बड़े अनजाने में ही बहुत कुछ वह भी कर रहे…
शैक्षिक संस्थानों से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे विद्यार्थियों को बेहतर किताबें उपलब्ध करवाएंगी। पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति…
रामचंद्र शुक्ल की एक कविता है ‘बसंत पथिक’। प्रसंगवश उसकी कुछ पंक्तियां हैं- ‘देखा पथिक ने दूर कुछ टीले सरोवर…
यह कोई बताने वाली बात तो नहीं, लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान एक बदलाव यह आया है कि आजकल…
आदिकाल से ही हमारा समाज जाति और वर्गों में बंटा हुआ है। उच्च कही जाने वाली जातियां और ऊंचे वर्गों…
इंद्रधनुषी रंगों से भरे पल हमारी जिंदगी की खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ हममें नई ऊर्जा भरते हैं। हर रंग हमसे…