
वसंत का आना एक गुपचुप उत्सव का दबे पांव आना है।
तटस्थता जीवन का एक ऐसा भाव है, जिसको जन सामान्य में आमतौर पर अच्छा माना जाता है।
आज जीवन व्यावसायिक और आर्थिक चुनौतियों के आगे समर्पण करता जा रहा है।
हमारी संस्कृति में हंसी-मजाक की पुष्ट परंपरा रही है। गोपियां न केवल ऊधो पर व्यंग्य बाण चलाती हैं, बल्कि उनका…
कालिदास ने ऋतुसंहार में कहा है- वसंते द्विगुने काम:, अर्थात वसंत के समय काम का प्रभाव दोगुना बढ़ जाता है।…
अपनी पुस्तक ‘शिक्षा में क्रांति’ में ओशो कहते हैं कि जिस दिन शिक्षक और विद्यार्थी के ज्ञान में अंतर एवरेस्ट…
सब्र नाम की चीज खत्म हो गई है। अगर स्कूल में कोई बच्चा एक सवाल को दो-तीन बार पूछ लेता…
अंकों की आपाधापी के युग में अंक-आधारित उपलब्धियां मायने रखती हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इन अंकतालिकाओं से…
संभवत: इसका एक कारण यह भी हो कि इंटरनेट की दुनिया में अभी सही मायने में समाजवाद नहीं आया है।…
पुस्तकालयों की स्थिति छोटे शहरों में दयनीय है। स्कूलों में तो अब पुस्तकालय अध्यक्ष के पद ही समाप्त किए जा…
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