LAC विवाद को लेकर भारत और चीन में तनातनी के बीच पूर्व Congress चीफ राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार पर जुबानी हमला बोला है। शुक्रवार (17 जुलाई, 2020) को उन्होंने एक वीडियो संदेश के जरिए बताया कि आखिर चीन ने यही समय (कोरोना वायरस संकट और आर्थिक संकट के दौरान) भारत के खिलाफ आक्रामक होने के लिए क्यों चुना? इसी बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह दौरे पर साफ किया कि दुनिया के किसी भी देश में इतनी ताकत नहीं कि वह भारतीय सरजमीं का एक इंच हिस्सा भी छीन ले। रक्षा मंत्री ने वहां जवानों के उत्साह बढ़ाने के साथ बंदूक भी उठाई और निशाना भी लगाया।

राहुल ने टि्वटर पर पोस्ट अपने एक वीडियो में उन्होंने बताया, “भारत की स्थिति में अभी ऐसा क्या, जिसने चीन को भारत के खिलाफ दुस्साहस का मौका दिया? यह जानने के लिए हमें कई अलग-अलग पक्षों को समझना होगा। देश की रक्षा किसी एक बिंदु पर नहीं टिकी होगी है। यह कई शक्तियों और व्यवस्थाओं का संगम होता है।”

उनके मुताबिक, देश की रक्षा- विदेश संबंधों, पड़ोसी मुल्कों, अर्थव्यवस्था और जन भावनाओं और दृष्टिकोण से होती है। और, पिछले छह सालों में इस सभी क्षेत्रों में भारत क्षतिग्रस्त और संकटग्रस्त हुआ है। विदेश नीति से शुरुआत करते हैं। हमारे संबंध पहले कई देशों से हुआ करते थे। अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ, और जापान…ये देश हमारे सहयोगी थी, पर आज ये मतलबपरस्त हो चुके हैं। हमारे रिश्ते इन सभी देशों से मतलब तक रह गए हैं।

पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा- पाकिस्तान को छोड़कर नेपाल, म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका सरीखे देश भारत के साथ मिलकर काम करते थे। अच्छे संबंधे थे। वे हमें दोस्त और साझेदार समझते थे, पर नेपाल के लोग आज हमसे खफा हैं। श्रीलंका, मालदीव और भूटान के साथ भी संबंध गड़बड़ाए हैं।

अर्थव्यवस्था पर उन्होंने बताया कि हमें एक समय में अपनी अर्थव्यवस्था पर गर्व था। पहले पूरे विश्व में भारत उसकी चर्चा करता था, पर आज न स्पष्ट दिशा और न दृष्टिकोण है। मतलब इकनॉमी पूरी तरह से तबाह हो चुकी है। बेरोजगारी पिछले 50 सालों में अपने चरम पर है। यानी हमारी मजबूती और अच्छे पक्ष ही कमजोरी बन गए। हमने सरकार से कहा कि कृपया इन सब चीजों पर ध्यान दीजिए। देश की स्थिति असुरक्षित हो रही है। ये सारी चीजें जुड़ी हुई हैं और इन सब को साथ लेकर चलना है।

बकौल राहुल, “हमने सरकार से कहा कि इकनॉमी में पैसा झोंके, जिससे उसमें तेजी आए। छोटे और मझोले कारोबारों को बचा लीजिए, पर सरकार ने मना कर दिया। इस प्रकार से हमारा देश आज आर्थिक और विदेश नीति संकट से जूझ रहा है। पड़ोसी देशों से भी रिश्ते खराब हैं। चीन ने इसी वजह से यह समय चुना और सोचा कि संभवतः भारत के खिलाफ आक्रामक होने का यही सबसे बढ़िया वक्त है।”

उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सुरक्षा हालात का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को एक दिवसीय दौर पर लेह पहुंचे। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर कहा कि दुनिया में कोई भी ताकत भारत से जमीन नहीं छीन सकती। भारत कमजोर देश नहीं है। हम जवानों का बलिदान व्यर्थ (गलवान घाटी में भारत के 20 सैन्यकर्मियों की शहादत के संदर्भ में) नहीं जाने देंगे।

बकौल राजनाथ, “राष्ट्रीय गौरव हमारी ताकत है, कोई भी इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता। आपकी वीरता और बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करेगा। हम अपनी प्रत्येक इंच भूमि की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। बातचीत (चीन से) चल रही है और इनसे मुद्दे हल होने चाहिए, लेकिन यह गारंटी नहीं दी जा सकती कि किस हद तक।”

रक्षा मंत्री के इस दौरे में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे भी उनके साथ रहे। इससे पहले, तीन जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का औचक दौरा किया था। उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया था और संकेत दिए थे कि भारत-चीन सीमा विवाद के संबंध में भारत का रुख सख्त रहेगा। सिंह को भी तीन जुलाई को ही दौरे पर जाना था लेकिन किन्हीं कारणों से उनका जाना नहीं हो पाया।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पांच मई से भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध चल रहा है। गलवान घाटी में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मियों की मौत के बाद यह तनाव बहुत अधिक बढ़ गया था। हालांकि, कई दौर की राजनयिक एवं सैन्य बातचीत के बाद छह जुलाई से दोनों ओर के सैनिक पीछे हटना शुरू हुए। (PTI-Bhasha इनपुट्स के साथ)

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लेह में शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर आधुनिक बंदूक उठाकर निशाना लगाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। (फोटोः PTI)