चुनावी हलफनामे को लेकर NCP चीफ शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और NCP सांसद सुप्रिया सुले को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। यह बात पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताई। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इनकम टैक्स के नोटिस भिजवा कर उनके खिलाफ प्रोपगेंडा रच रही है।

पवार से जब इस बारे में पत्रकारों ने सवाल किया, तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोगों से उन्हें (केंद्र सरकार) को प्यार है। उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि राज्यसभा में बवाल के बाद निलंबित आठ सदस्यों के समर्थन में वह एक दिन का उपवास रखेंगे। ऐसा कर वह भी उनके आंदोलन में साथ देंगे।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “प्रदर्शन करने वाले सदस्यों के साथ मेरी एकजुटता है, इसलिए मैं कुछ भी नहीं खाऊंगा।” राज्यसभा में बिल पास होने के मुद्दे पर उन्होंने बताया- मैंने इस तरीके से कभी भी बिल पास होते हुए नहीं देखे। वे (सरकार) इन्हें जल्दी पास कराना चाहते थे, जबकि सदस्यों के इन्हें लेकर सवाल थे। शुरुआती तौर पर ऐसा ही लगता है कि वे चर्चा नहीं चाहते थे। जब सदस्यों को इस पर जवाब नहीं मिला, तभी वे सदन के वेल में आ गए थे।

एनसीपी चीफ के मुताबिक, इन सदस्यों को अपनी राय जाहिर करने को लेकर निलंबित किया गया। डिप्टी चेयरमैन ने नियमों को प्राथमिकता नहीं दी।

बकौल पवार, “एक खुदकुशी के मामले (बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत) के बारे में तीन महीने तक बात की जाती है। अन्य मुद्दों को नजरअंदाज करना ठीक बात नहीं है। किसान भी आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए।”

 

उद्धव, आदित्य ठाकरे, सुप्रिया सुले के चुनावी हलफनामों की करें जांच- EC ने CBDT से कहा

किसानों को जड़ से साफ करने के प्रयास में सरकार- राहुलः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर मंगलवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि किसानों को जड़ से साफ करके कुछ पूंजीपतियों का विकास करने का प्रयास हो रहा है।

उन्होंने ट्वीट किया कि 2014 में मोदी जी का चुनावी वादा किसानों को स्वामीनाथन आयोग वाला एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) दिलाने का था। 2015 में मोदी सरकार ने अदालत में कहा कि उनसे ये न हो पाएगा। 2020 में ‘काले क़ानून’ लाए गए। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ मोदी जी की नीयत ‘साफ़’, कृषि-विरोधी नया प्रयास, किसानों को करके जड़ से साफ़, पूंजीपति ‘मित्रों’ का ख़ूब विकास।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)