
तृप्त जानवर होने से बेहतर है अतृप्त इनसान बन कर रहना। दरअसल, इनसान और जानवर के बीच मूल फर्क यही…
एक समय था कि हवाई जहाज की आवाज आ जाए तो उसे आकाश में उड़ता देखने के लिए खाना छोड़…
‘दुनिया का सबसे बड़ा डाटा बेस’ यानी ‘आधार कार्ड’ को अंतत: आधार मिल गया, फाइनेंस बिल की तरह आखिरकार पास…
अ तिथि के प्रति आदर का भाव भारतीय संस्कृति की मुख्य बातों में से एक है। आज के इस बाजारवादी…
पहले यथार्थ पर व्यंग्य करने के लिए प्रहसन लिखे जाते थे, फिर जब यथार्थ खुद प्रहसन जैसा हो गया तो…
स्त्री के सामाजिक सरोकार महत्त्वपूर्ण न माने जाने के कारण, उसका श्रम भी महत्त्वपूर्ण नहीं माना जाता। इस तरह उसे…
जेएनयू क्रांतिकथा में ‘देशद्रोहियों’ के चार-चार वीडियो थे, आग में घी डालने का काम किया। वे हर चैनल पर बजते…
पटियाला हाउस में जो हुआ शर्मनाक जरूर है, लेकिन उन हादसों से इस देश को मेरी नजर में कोई खतरा…
आदमी तीमारदारी से तब तौबा करता है जब तीमारदारी खुद एक बीमारी बन जाती है। आदमी दुनियादार है तो आनंद…
बाल गंगाधर तिलक ने कहा था ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला। वह उस समय…
सत्रहवीं शताब्दी में निर्मित वास्तुशिल्प के इस हैरतअंगेज शाहकार को लेकर कवियों-शायरों की कलम ने खुल कर अपना इजहारे-खयाल किया।
26 जनवरी को जब सारा देश गणतंत्र दिवस की परेड देखने में मशगूल था तो देश की राजधानी से दूर…