असहमत आवाजें
दिशा रवि पर लगे राजद्रोह के आरोप ने याद दिलाया कि लोकतंत्र में इस तरह के कानून होने ही नहीं चाहिए। अंग्रेजों ने इस...
सरकार और कारोबार
सरकार का काम होना चाहिए शासन चलाना। सरकार का काम होना चाहिए उन बुनियादी सेवाओं पर ध्यान देना, जो अभी तक हम अपने नागरिकों...
वक्त की नब्ज: इतना भय किस बात का
क्या जरूरत है आंदोलनजीवी जैसे आरोप लगा कर आंदोलनों को बदनाम करने की? आंदोलन जिस देश में होते हैं सरकार के खिलाफ, वे साबित...
वक्त की नब्ज: उसकी बात क्या जो है ही नहीं
रिहाना पर इतनी चर्चाएं और इतनी आलोचनाएं सुनने को मिलीं कि जिन भारतीयों ने इस गायिका का नाम तक नहीं सुना होगा कभी, वे...
वक्त की नब्ज: बात करने में हर्ज क्या है
गणतंत्र दिवस पर जो हुआ उससे साबित हो गया है कि अब कृषि कानूनों से बहुत बड़ी हो गई है यह समस्या। इन कानूनों...
वक्त की नब्ज: कमजोर पड़ता भरोसा
हो सकता है कि किसानों की चिंताएं बेबुनियाद हों। हो सकता है, नई निजी मंडियों से उनको लाभ हो, लेकिन अगर उनको मोदी सरकार...
वक्त की नब्ज: शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर
माना कि बिजली, पानी, सड़क, रोजगार भी अति-महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन उन पर ध्यान थोड़ा बहुत तो दिया गया है शुरू से। अभाव रहा है...
वक्त की नब्जः नए भारत के नए नायक
सबसे जाहिर उनकी पहचान यह है कि वे इस्लाम और मुसलमानों से नफरत करते हैं। उनकी नजरों में भारत के जितने भी मुसलमान नागरिक...
वक्त की नब्ज: कहां है पूरा हिंदुस्तान
कोई अच्छी खबर है अगर तो यह कि जान का नुकसान भारत में कम हुआ है और अब इस महामारी का इस साल के...
वक्त की नब्जः असलियत को समझिए
किसानों में इतना आक्रोश और विरोध करने के लिए इतना उत्साह कहां से आया कि वे कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे...
वक्त की नब्ज: पीछे लौटने का रास्ता
सनातन धर्म का सम्मान दुनिया की नजरों में इसलिए है कि उसमें देवी-देवताओं से भी प्रश्न करने का अधिकार दिया गया है, जो न...
वक्त की नब्ज: फरमान के विरोध में
हो सकता है, इन कानूनों के पीछे सरकार का इरादा नेक था। समस्या सिर्फ यह है कि इस बात को वह किसानों को समझा...
वक्त की नब्ज: जमीनी हकीकत से दूर
इतने में पंजाब के किसानों का साथ देने अन्य राज्यों से भी किसानों के झुंड दिल्ली की सीमाओं पर आने लगे। हरियाणा, उत्तर प्रदेश,...
वक्त की नब्ज: असुरक्षा के वातावरण में
आतंकवाद से लड़ने के लिए खास प्रशिक्षण की जरूरत है, जो अभी तक किसी भी राज्य में हमारी पुलिस को नहीं दिया जाता है।...
वक्त की नब्ज: घाटी के अनुत्तरित सवाल
अजित डोभाल ने कम से कम कोशिश तो की थी यह दिखाने की कि घाटी के आम लोग खुश हैं भारतीय सरकार की नई...
वक्त की नब्ज: तमाशा और तमाशेबाज
क्या इतने प्रसिद्ध पत्रकार को नाटकीय ढंग में हिरासत में लेना ठीक था? क्या उसको चुपके से समन नहीं भेजा जा सकता था? क्या...
वक्त की नब्ज : तवलीन सिंह
घाटी में अमन का रास्ता पहले तो कश्मीर के राजनेताओं को स्वीकार करना होगा कि अनुच्छेद तीन सौ सत्तर कभी वापस नहीं आने वाला...
वक्त की नब्ज: बुनियादी उसूल और उसूलों की बुनियाद
देश के अधिकतर लोग इन झगड़ों से आगे निकल चुके हैं। यह इन दिनों बिहार के चुनावों में देखने को मिलता है। आम...