Saturn Transit 2020: सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी मानी गई है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए करीब ढाई साल का समय लेते हैं। इस तरह से उनका सभी राशियों में भ्रमण का सफर 30 सालों में पूरा होता है। 24 जनवरी को शनि अपनी राशि मकर में प्रवेश करने जा रहे हैं। जिसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ेगा। शनि सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवें ग्रह हैं। ज्योतिष में शनि को अशुभ ग्रह माना जाता है। जानिए कैसे हुआ दंड कारक शनिदेव का जन्म…

स्कंदपुराण के काशीखंड में शनिदेव के जन्म की कथा मिलती है जो इस प्रकार है- शनि के पिता सूर्यदेव का विवाह राजा दक्ष की कन्या संज्ञा के साथ हुआ। सूर्यदेवता का तेज बहुत अधिक था जिसे संज्ञा सहन नहीं कर पाती थी। जिसे लेकर वह हर पल इसके उपाय के बारे में सोचती रहती थीं। जैसे तैसे दिन बीतते गये संज्ञा के गर्भ से वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना तीन संतानों ने जन्म लिया। संज्ञा अब भी सूर्यदेव के तेज से घबराती थीं फिर एक दिन उन्होंने निर्णय लिया कि वे तपस्या कर सूर्यदेव के तेज को कम करेंगी। इसके लिए उन्होंने अपनी छाया से अपनी हमशक्ल को पैदा किया जिसका नाम संवर्णा रखा। इन्हें छाया नाम से भी जानते हैं। इस बात की भनक उन्होंने किसी को भी नहीं लगने दी।

संज्ञा ने बच्चों और सूर्यदेव की जिम्मेदारी अपनी छाया संवर्णा को दी और कहा कि अब से मेरी जगह तुम सूर्यदेव की सेवा और बच्चों का पालन करते हुए नारीधर्म का पालन करोगी लेकिन यह राज सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच ही बना रहना चाहिये। ऐसा कहकर संज्ञा अपने पिता के घर चली गईं और अपनी परेशानी बताई तो पिता ने डांट फटकार लगाते हुए वापस भेज दिया लेकिन संज्ञा वापस न जाकर वन में चली गई और घोड़ी का रूप धारण कर तपस्या में लीन हो गई।

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दूसरी तरफ सूर्यदेव सुवर्णा को संज्ञा मानकर रहने लगे। छाया रूप होने के कारण संवर्णा को सूर्यदेव के तेज से कोई भी परेशानी नहीं हुई। सूर्यदेव और संवर्णा के मिलन से भी मनु, शनिदेव और भद्रा (तपती) तीन संतानों ने जन्म लिया।

24 जनवरी को शनि के राशि परिवर्तन का आपकी लाइफ पर क्या पड़ेगा असर? जानिए पूरे वर्ष का राशिफल

मेष (Aries ) | वृषभ (Taurus) मिथुन (Gemini) | कर्क (Cancer) सिंह (Leo) | कन्या (Virgo) | तुला (Libra) | वृश्चिक (Scorpio) | धनु (Sagittarius) मकर (Capricorn) | कुंभ (Aquarius) | मीन (Pisces)