कोरोना वायरस दुनिया के लिए महामारी है। लोगों के लिए संक्रामक बीमारी है, पर प्रवासी मजदूरों के मासूम बच्चों के लिए क्या है, वे इसे कैसे देखते हैं? यही सवाल जब एक पत्रकार ने महानगर से पलायन कर रहे श्रमिक के बच्चे से पूछा तो उसका जवाब आया- मुझे ठीक से खाना नहीं मिल रहा है।
यह मामला भिवंडी (महाराष्ट्र में) बायपास का है। वहां कुछ प्रवासी मजदूर सपरिवार गृह राज्य यूपी लौटने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच, टीवी पत्रकार बरखा दत्त ने उन्हीं मजदूरों के बच्चों से बात की और समझा कि आखिर वे कोरोना के बारे में क्या जानते हैं और उनके लिए इसके मायने क्या हैं?
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पत्रकार ने नौ साल के नितिन से पूछा था, “क्या आपने कोरोना के बारे में सुना है?” बच्चे ने जवाब दिया- हां, इसका मतलब है खाना नहीं मिलता है। मतलब मुझे ठीक से खाना नहीं मिल रहा है। खाना कम मिल रहा था। खाना खाने में मुश्किल हो रहा है। आजकल मैं खिचड़ी खाता हूं, पर पहले मैं चिकन खाता था। हम लोग बस से घर जा रहे हैं। वह यहां से दूर है।
नितिन के अलावा पत्रकार ने एक और बच्चे से बात की। पूछा कि उसका घर कहां है? मासूम ने जवाब दिया- आजमगढ़ (यूपी)। ढंग से यहां खाना नहीं खा पा रहे हैं।
He said it in innocence. He even smiled. But this 9 year child captured the magnitude of the humanitarian crisis. In Bhiwandi, as he boarded a bus for U.P, I asked if he’d heard of Corona. Nitin said, “Yes, it means, Khana Nahin Milta- I dont get food.” My report for @themojo_in pic.twitter.com/XibHxNXITu
— barkha dutt (@BDUTT) May 23, 2020
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बरखा ने आगे बच्चों के पिता से बात की, जो फर्नीचर का काम करते हैं। उन्होंने बताया, “बीमारी पूरी मुंबई में फैल गई है। काम धंधे सब बंद हैं। खाना कहां से मिलेगा, पैसे नहीं आदमी के पास। बच्चे को जो समझ आया, वो वह बता रहा है।” यह पूछे जाने पर कि गांव लौटने पर क्या करेंगे? पीड़ित मजदूर ने बताया- बीमारी ही तो है, वहां क्या करें…फिलहाल खाली बैठेंगे। अभी वापस नहीं आएंगे।
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