प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों आंदोलन पर अड़े हैं। केंद्र के साथ छह दौर की बातचीत के बाद भी रविवार तक कोई हल निकलता नहीं नजर आया। ऐसे में किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की धमकी दी है। कहा है कि 14 तारीख को वे अनशन (भूख हड़ताल) करेंगे, जबकि केंद्र का कहना है कि अन्नदाताओं को समझाने के लिए जल्द बैठक की कोशिशें की जा रही हैं। सरकार इसके अलावा करीब 700 चौपाल लगाएगी और उस दौरान किसानों को इन नए कृषि सुधारों (तीन नए कानून) के लाभ गिनाएगी।

दरअसल, नये Farm Laws के खिलाफ आंदोलनरत किसान शनिवार को हरियाणा, यूपी और राजस्थान में राजमार्गों के ‘टोल प्लाजा’ पर जुटे, जहां उन्होंने दावा किया था कि जल्द ही दिल्ली के बॉर्डर्स पर और भी हजारों लोग पहुंचेंगे और वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से जोर देकर कहा कि ये कृषि सुधार किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे।

शनिवार को किसान संघों ने जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को ब्लॉक करने का ऐलान किया था, जिसके बाद दिल्ली को जोड़ने वाले राजमार्गों पर सैकड़ों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। इस किसान क्रांति को 18 दिन हो चुके हैं और गतिरोध खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में किसानों ने अनशन के साथ 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।

उधर, किसानों संग बातचीत कर रहे केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों में केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने बताया कि गतिरोध खत्म करने के लिए किसान नेताओं के साथ अगले दौर की बैठक जल्द बुलाने की कोशिश की जा रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ चर्चा के बाद प्रकाश ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, “बैठक बुलाने की कोशिश कर रहे हैं…चर्चा कर रहे हैं। तारीख अभी तय नहीं की गई है।”

इसी बीच, पीएम मोदी ने देश के प्रमुख उद्योग मंडल FICCI की 93वीं सालाना आम बैठक में कृषि कानूनों का जिक्र किया और उसके फायदे बताए। उन्होंने आगे उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश करने की अपील करते हुए कहा कि इस कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिये था वह नहीं हुआ है।