एबीपी न्यूज पर डिबेट के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी के नेता एके बाजपेयी कहने लगे कि अगर विपक्षी संसद नहीं चलने देना चाहते हैं तो उनको अपना सांसद का वेतन सरकार को जमा कर देना चाहिए। इस पर कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिय श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी नेता अरुण जेटली कहा करते थे कि जब संसद किसी जरूरी मुद्दे को नजरअंदाज करे तो विद्रोह के जरिए अवरोध पैदा किया जाता है। कांग्रेस नेत्री ने बीजेपी नेत्री सुषमा स्वराज की बात याद दिलाते हुए कहा कि संसद चलाना विपक्ष की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। सुप्रिया ने कहा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो दूसरी भाषा बोला करती थी और आज सरकार में है तो उसका रवैया बदल गया। बीजेपी पेगासस पर बात क्यों नहीं करना चाहती है।

बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने शुक्रवार को दोपहर में जंतर-मंतर पहुंच कर तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रकट की और इन कानूनों को निरस्त करने की मांग की। दूसरी तरफ, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष के इस कदम को ‘मीडिया इवेंट ’ करार देते हुए कहा कि अगर विपक्षी दल किसानों के मुद्दों को लेकर ईमानदार होते तो संसद में चर्चा करते।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। किसान संगठनों द्वारा आयोजित ‘किसान संसद’ में भाग लेने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों ने किसानों के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया है और तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करने पर जोर दिया है।


राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेता एक बस में सवार होकर जंतर-मंतर पहुंचे जहां किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर पिछले कुछ दिनों से सांकेतिक ‘किसान संसद’ का आयोजन किए हुए हैं। किसान संगठनों की मांग तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की है।

किसानों का समर्थन करने के लिए पहुंचने वाले नेताओं में राहुल गांधी, राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, द्रमुक नेता तिरुची शिवा, शिवसेना के संजय राउत, राजद के मनोज झा, भाकपा के विनय विश्वम, , माकपा ई. करीम, समाजवादी पार्टी के एसटी हसन और अन्य विपक्षी नेता शामिल थे।