आशीष नेहरा को भारत के बेहतरीन तेज गेंदबाजों में शुमार किया जाता है। 2003 वर्ल्ड कप के मैच हो या पाकिस्तान के खिलाफ कराची में 2004 में फेंका गया आखिरी ओवर। नेहरा ने दर्जनों बार शानदार प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। दोनों तरफ गेंद को स्विंग कराने की क्षमता के साथ-साथ लगातार 145 से ज्यादा किमी/घंटे की स्पीड से गेंदबाजी करने में वो माहिर थे। इसी बात से टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी उनके फैन थे और उन पर हमेशा विश्वास किया।

गांगुली ने गौरव कपूर के यूट्यूब चैलन ‘ऑकट्री स्पोर्ट्स’ को दो साल पहले एक इंटरव्यू दिया था। इसमें गांगुली ने आशीष नेहरा के बारे में कहा था, ‘‘आशीष नेहरा टीममैन था। वर्ल्ड कप 2003 में नामीबिया के खिलाफ वह बॉलिंग करते समय पिच पर गिर गया था। हार्ड पिच पर उसके स्पाइक्स (जूते) फिसल गए। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले मैच से मैंने उससे पूछा कि खेलेगा या नहीं। मैंने कहा कि तुम्हें चोट लगी है आराम कर लो। इस पर उसने कहा कि मैं खेलूंगा। जबकि उसका पैर सूज चुका था। मैंने फिजियो को उसे ठीक करने के लिए कहा। अगले दिन इंग्लैंड के खिलाफ 150 से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी की थी।’’

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ उस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। टीम ने 50 ओवर में 9 विकेट पर 250 रन बनाए थे। राहुल द्रविड़ ने 62, सचिन तेंदुलकर ने 50 और युवराज सिंह ने 42 रनों की पारी खेली थी। इंग्लैंड के लिए एंडी कैडिक ने 3 और एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने 2 विकेट लिए थे। 251 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 45.3 ओवरों में 168 रनों पर ढेर हो गई थी। मैच से एक दिन पहले अनफिट रहने वाले नेहरा ने 6 विकेट झटके थे। उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 23 रन दिए थे।

नेहरा ने माइकल वॉन, नासिर हुसैन, एलेक स्टीवर्ट और पॉल कलिंगवुड जैसे दिग्गजों को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद उन्होंने क्रेग वाइट और रोनी ईरानी को भी आउट किया था। उन्होंने 10 में से 2 ओवर मेडन किए थे। नेहरा के इंटरनेशनल करियर की बात करें तो उन्होंने अपना पहला टेस्ट मोहम्मद अजहरुद्दीन, पहला वनडे सौरव गांगुली और पहला टी20 महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेला। उन्होंने 17 टेस्ट में 44, 120 वनडे में 157 और 27 टी20 में 34 विकेट लिए।