पिछले दिनों हमने बहुत परिवर्तन देख लिए। लगा, वास्तव में इक्कीसवीं सदी आ गई।
उपलब्ध साधनों के जरिए ही आपदाओं से निपटना पड़ता है। कई बार इनसे निपटने को साधन कम पड़ जाते हैं।
कई साल पहले जब हमारे कार्यालय की शाखा में नए प्रबंधक आए, तो उन्होंने कर्मचारियों की बैठक में सुझाव रखा…
कुछ दिनों पहले अपने देश की शैक्षिक संस्थाओं की श्रेणी यानी रैंकिंग घोषित हुई।
हमारी सामूहिक चेतना के अंग बन चुके कई वाक्यों में से एक यह है कि साहित्य समाज का दर्पण होता…
बीज पर चींटियों, अंकुरों पर पक्षियों और पौधों पर पशुओं की नजर रहती है।
स्टेशन के बाहर एक फक्कड़ आदमी दीवारों पर चित्र उकेर रहा था।
इंटरनेट पर दुनिया का नया परिदृश्य हिंदी का एक नया संसार दिखा रहा है।