खोखले दंभ में चूर देश के मौजूदा हाकिम महीनों से किसानों के प्रति जिस उपेक्षापूर्ण रवैये पर अड़े हैं, वह…
हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि चुनाव की सरगर्मी के साथ साथ धर्म के नाम पर सियासत तेज…
प्रकृति हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है, हमारे लालच को नहीं। यह वाक्य आज से कई दशकों पहले गांधीजी…
आज शिक्षा लगभग हाशिये पर दिख रही है, लेकिन सच यह है कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके…
पिछले कुछ दिनों के दौरान मध्य प्रदेश में दो दिल दहलाने वाले मामले सामने आए हैं। पहली घटना अलीराजपुर जिले…
राष्ट्रवाद की कोई सार्वभौमिक सर्वसम्मति से निर्धारित परिभाषा नहीं की जा सकती है।
अर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से जनता में हाहाकार मचा है।
आमतौर पर देखा गया है कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में समय-समय पर विषय विशेष को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण से…
जनसत्ता में 28 जून को छपे संपादकीय ‘आंदोलन की राह’ में स्पष्ट उल्लेख है कि किसानों के आंदोलन को केंद्र…
हाल के दिनों में कई राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण के उपाय कर रहे हैं। कुछ का…
आइसीसी द्वारा आयोजित वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली द्वारा कहे गए कथन “दुनिया में सर्वश्रेष्ठ…
स्वामी विवेकानंद ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। बच्चों की शिक्षा का उद्देश्य उसको आत्मनिर्भर…