संदीप जोशी बचपन में ब्रेडमैन के तीन ओवर में शतक जड़ने का किस्सा पढ़ा था। उनकी जीवनी पढ़ते समय उस…
सुरेश उपाध्याय विकास के नाम पर भूमि अधिग्रहण 1894 के अंग्रेजों के बनाए कानून के आधार पर होते रहे हैं।…
मेधा पाटकर का लेख ‘फिर क्यों छिड़ी जमीन की लड़ाई’ (जनसत्ता, 24 फरवरी) पढ़ा। जो व्यक्ति आजीवन किसानों की समस्याओं…
तरुण विजय समय की रफ्तार बदल रही है और कुछ तो ऐसा नयापन है जो द्वार पर दस्तक दे रहा…
सय्यद मुबीन ज़ेहरा इस समय जबकि सारा देश आम बजट की बारीकियों में उलझा है, हमारी उलझन का कारण कुछ…
शंभुनाथ ‘रंगभूमि’ (1925) का अंधा सूरदास उजबक-सा दिखता है, पर पहला आम आदमी है जो अपनी जमीन बचाने के लिए…
वेंकटेश कुमार हिंदी में चार सौ से भी ज्यादा साहित्यिक पत्रिकाएं छपती हैं। लेकिन इस देश में एक भी ऐसी…
जब भी निजीकरण की वकालत की जाती है तो अक्सर सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार का हवाला दिया जाता है। मगर…
हर साल आम बजट से एक रोज पहले सरकार की ओर से संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने की परिपाटी…
गिरिराज किशोर चौबीस फरवरी को जिस दिन भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की जगह लाया गया विधेयक संसद के सामने कानून बनाने…