COVID-19 Crisis: ‘पंखे काम नहीं कर रहे हैं और पावर बैकअप भी नहीं है। शौचालय सेनेटाइज शायद ही किए गए हों। अधिकांश प्रवासी जाना चाहते हैं क्योंकि उनके परिवार जीवित नहीं रह सके। सिविल सिविल डिफेंस स्टाफ का व्यवहार अच्छा नहीं है। यहां भोजन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। ना कोई हैंड वॉश है और ना ही सैनिटाइजर। शौचालयों में दुर्गंध आती है। सुबह 7 से 11 बजे के बीच ही शौचालयों में पानी की आपूर्ति होती है। नहाने के लिए एक साबुन है और कपड़े धोने के लिए डिटर्जेंट नहीं है। मच्छर काटते हैं।’
ये दिल्ली पुलिस के दस स्टेशन हाउस अधिकारियों (SHO) द्वारा की गई की टिप्पणियों में से कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जिन्हें मध्य दिल्ली में प्रवासियों के लिए बनाए कैंपों पर एक रिपोर्ट बनाने का काम सौंपा गया था। सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने इस समस्याओं का समर्थन किया है, जिन्होंने मजनू का टीला और पॉश सिविल लाइंस में दो शेल्टर होम का सर्वे किया। दिल्ली पुलिस द्वारा 15 से अधिक शेल्टर होम्स का मूल्यांकन किया।
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जिसकी रिपोर्ट डीसीपी (नॉर्थ) मोनिका भारद्वाज ने 22 अप्रैल को डिप्टी कमिश्नर (सेंट्रल) निधि श्रीवास्तव को भेज दी। जिसपर केंद्रीय जिला प्रशासन ने अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट के आधार पर समस्याओं के निदान पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मामले में डीसीपी (नॉर्थ) मोनिका भारद्वाज ने बताया कि कैंपों में कुछ समस्याएं सामने आने के बाद जिले के एसएचओ को अपने क्षेत्राधिकार से रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले का विश्लेषण किया और रिपोर्ट डीएम को भेज दी ताकि सरकार आवश्यक कार्रवाई कर सके।
संपर्क करने पर डीएम (सेंट्रल) निधि श्रीवास्तव ने कहा कि रिपोर्ट की एक-एक कॉपी सभी एसडीएम को भेज दी गई है ताकि कमियों को सुधारा जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक अपने इलाके में लाहौरी गेट पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों द्वारा तीन शेल्टर होम्स के सर्वे से पता चला कि पेयजल की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी।
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रिपोर्ट बताती है, ‘भोजन की कोई उचित व्यवस्था नजर नहीं आई। जांच में पाया गया कि दिन में दो बार भोजन परोसा जा रहा था लेकिन गुणवत्ता संतोषजनक नहीं थी। इसलिए लोग अच्छे भोजन के लिए इधर-उधर भटकते हैं। बेघर लोगों के लिए बनाए ग बेड/गद्दों के बीच कोई दूरी और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं नजर आई। सैनिटाइजेशन या हाथ धोने की कोई व्यवस्था नहीं थी।’
पुलिस के सर्वे में यह भी पता चला है कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई बेघर लोग शेल्टर होम से बाहर चल गए हैं। पुलिस रिपोर्ट कहती है, ‘उन लोगों को वहां से जाने के लिए मजबूर किया और इससे आसपास के इलाकों में काफी अराजकता पैदा हो गई।’
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में बेघरों के लिए 223 स्थाई शेल्टर होम हैं। इसके अतिरिक्त 111 सरकारी सुविधाएं वाले हैं। जिनमें अधिकतर स्कूली इमारतें हैं, जिन्हें लॉकडाउन के बाद शहर में फंसे प्रवासियों के लिए इस्तेमाल में लाया गया है।