रविक भट्टाचार्या, अत्रि मित्रा
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों में सीपीआई (एम) और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके अपनी शुरुआत करने वाले आईएसएफ (Indian Secular Front) ने बड़ा दावा किया है। आईएसएफ ने कहा कि टीएमसी कार्यकर्ता मेरे कार्यकर्ताओं पर हमला कर रहे हैं। ISF MLA नौशाद सिद्दीकी ने ममता बनर्जी पर हमलावर होते हुए कहा कि उनको (ममता) को ऐसे मुस्लिम नेताओं की जरूरत है, जो बम बनाने में एक्सपर्ट हों। वो मेरे जैसे राष्ट्रवादी अल्पसंख्यक नेता के राजनीति में आने से परेशान हैं और पचा नहीं पा रही हैं। बता दें, आईएसएफ की स्थापना फुरफुरा शरीफ के पीरजादा ने की थी। बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के अलावा ISF ही एक ऐसी पार्टी है जो विधानसभा में प्रतिनिधित्व करती है।
ISF के एकलौते विधायक नौशाद सिद्दीकी ने पश्चिम बंगाल में हिंसा के दौरान 41 दिन जेल में बिताए थे। नौशाद सिद्दीकी ने द इंडियन एक्सप्रेस से राजनीति और जेल बिताए गए वक्त, राज्य में पंचायत चुनाव हिंसा और राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर कई मुख्य मुद्दों पर बात की। आइए जानते हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।
राजनीति में आने के दो साल बाद, आप बंगाल की राजनीति को कैसे देखते हैं?
सिद्दीकी कहते हैं कि शुरू में मेरा मन राजनीति में आने का नहीं था। मैं सामाजिक कार्यों में जुड़ा था, लेकिन मुझे महसूस हुआ कि मैं ऐसे लोगों की मदद नहीं कर सकता। राजनीति में शामिल होने और शासन का हिस्सा बनने के बाद ही मुझे लगा कि मैं लोगों की पूरी तरह से मदद कर सकता हूं। वो आगे कहते हैं कि साल 2021 में जब ISF का गठन हुआ, तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी की साठगांठ थी। भांगर के लोगों ने इन दोनों पार्टियों के खिलाफ गए थे। वहां के लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया और मैं चुनाव जीत गया। मैं विधानसभा में एकलौता गैर-भाजपा विपक्षी विधायक बन गया। इसके बाद से मैं सामाजिक बदलाव के लिए काम कर रहा हूं।’
जनवरी में आपको कोलकाता के एस्प्लेनेड में एक रैली के बाद हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 41 दिन जेल में बिताने पड़े। आपको उन दिनों के बारे में क्या याद है?
इस सवाल के जवाब में सिद्दीकी कहते हैं कि सभी ने देखा कि कैसे 21 जनवरी को कोलकाता के मध्य में हमारी रैली के दौरान पुलिस ने मुझे एक वैन में खींच लिया। मेरा अपराध यह था कि मैं जनता के बीच उनके बुनियादी अधिकारों के बारे में जागरूकता फैला रहा था। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति तो हुई, लेकिन विकास की नहीं। इसके लिए मुख्यमंत्री को ममता बनर्जी को धन्यवाद। मैं पुलिस हिरासत में था और फिर मुझे जेल में डाल दिया गया। दोनों जगहों पर, मैंने वीआईपी ट्रीटमेंट से इनकार कर दिया और आम आरोपियों के बीच रहना पसंद किया। यह एक सीखने वाला अनुभव था। मैंने जेल का खाना खाया और उसका पानी पिया।
उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा में आरोपी व्यक्तियों को पुलिस लॉक-अप में रखे जाने की स्थिति जैसे मुद्दों को उठाऊंगा। मैं लालबाजार (कोलकाता पुलिस मुख्यालय) में था। तुम्हें पता है, एक ब्राह्मण को अपना पवित्र धागा नहीं उतारना चाहिए। हवालात में आपसे ऐसा करवाया जाता है। एक मुसलमान को हर समय अपने घुटनों को ढकने की जरूरत होती है। कोई घड़ी या अखबार नहीं है। शौचालय में दरवाजा नहीं है। आपके पास गोपनीयता नहीं है। आप पर मानसिक दबाव रहता है। यह सब तब, जब आप आरोपी हैं, दोषी भी नहीं। मैंने यह जान लिया है और इसे विधानसभा में उठाऊंगा।’
आप वाम दलों और कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन को किस प्रकार देखते हैं?
फुरफुरा शरीफ ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब इतने सालों बाद उस परंपरा को फिर से जीवित किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य सत्ता हथियाना नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन है। आईएसएफ के गठन के बाद हमने स्पष्ट कर दिया कि हम गैर-भाजपा और गैर-टीएमसी ताकतों से हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं। हम दलितों, किसानों, मजदूर वर्ग, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य लोगों के लिए काम करना चाहते हैं।
इस साल की शुरुआत में कांग्रेस को विधानसभा में अपना पहला विधायक मिला जब उसने सागरदिघी से उपचुनाव जीता। लेकिन हाल ही में कांग्रेस विधायक टीएमसी में शामिल हो गए। क्या आप पर भी है उनका दबाव?
सिद्दीकी कहते हैं जब आईएसएफ का गठन हुआ तो हमें भंग करने का प्रस्ताव मिला। जब मैंने भांगर से चुनाव जीता उसके बाद मुझे पैसे और मेरी पसंद का मंत्री पद देने की पेशकश की गई। शुरुआत में यह प्रस्ताव शीर्ष नेताओं ने ही दिया था। जब मैंने अस्वीकार कर दिया तो भांगर के स्थानीय नेताओं ने संपर्क किया, जिनमें से कई के मेरे साथ अच्छे संबंध थे। संदेश और प्रस्ताव मेरे विश्वविद्यालय के दोस्तों के माध्यम से भी आए, जिनमें से कुछ अब टीएमसी के साथ हैं, जिनके साथ मैं संपर्क में था, लेकिन हमने हर बार ऑफर ठुकरा दिया।’ मैंने स्पष्ट कहा कि मैं उस भरोसे को नहीं तोड़ सकता जो भांगर के लोगों ने मेरे ऊपर जताया।
ISF कार्यकर्ता हाल ही में पंचायत चुनाव नामांकन के दौरान भांगर में TMC कार्यकर्ताओं के साथ झड़प में शामिल थे, जिसमें तीन लोग मारे गए थे।
भांगर के लोग शांतिपूर्ण हैं। वे हिंसा नहीं चाहते। हुआ यह था कि (पंचायत चुनाव के लिए) नामांकन दाखिल करने के दौरान हम पर गोलियां और बम बरसाए गए और लोगों ने विरोध किया। वे सिर्फ अपना अधिकार चाहते हैं – वोट देने का और चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का। वे सिर्फ अपने लोकतांत्रिक अधिकार स्थापित करना चाहते हैं, जिसकी उन्हें फिलहाल इजाजत नहीं है। मैंने हमेशा शांति की अपील की है।
टीएमसी नेतृत्व ने भांगर में हुई हिंसा के लिए आप को जिम्मेदार ठहराया है।
सिद्दीकी कहते हैं कि वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि नौशाद सिद्दीकी जैसा राष्ट्रवादी सोच वाला अल्पसंख्यक चेहरा सामने आ रहा है। इसीलिए वे मुझ पर दंगा भड़काने का लेबल लगाना चाहते हैं। उन्हें (ममता बनर्जी को) अराबुल इस्लाम और सौकत मोल्हा जैसे मुस्लिम नेताओं की जरूरत है, जो या तो बम बनाने में एक्सपर्ट हैं। लेकिन, नौशाद सिद्दीकी मुसलमानों को मुख्यधारा में ला रहे हैं, वह मुसलमानों को राष्ट्रवादी और जिम्मेदार नागरिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए वे मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
बंगाल में अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में आप क्या सोचते हैं?
मैं अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक की राजनीति नहीं करता। राज्य में दोनों समुदाय के गरीब लोग परेशान हैं। मुस्लिम, आदिवासी और मतुआ समाज के लोग परेशाना हैं। अगर आप बंगाल में अल्पसंख्यकों के बारे में सोचते भी हैं तो मुझे बताएं कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के 12 साल बाद क्या बदलाव आया है? क्या अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार हुआ है?
सिद्दीकी कहते हैं कि अल्पसंख्यक विकास का पैसा स्कूल शिक्षा विभाग को भेज दिया गया है। आदिवासी विकास का पैसा गैर आदिवासी मुद्दों पर खर्च किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड की जिस जमीन पर कब्जा किया गया था, उसे वापस नहीं किया गया है। बल्कि वक्फ बोर्ड की और भी जमीन चली गयी और उसका दुरुपयोग हो रहा है।
आपने सुरक्षा के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। क्यों?
मुझ पर कई बार हमले हुए हैं। जान से मारने की धमकी दी गई। मैं विवरण में नहीं जाऊंगा, लेकिन मैं आपको यह बता सकता हूं कि मुझ पर ऐसी कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला गया था, जिससे सांप्रदायिक नफरत फैले। जब मैंने इनकार कर दिया तो मुझसे कहा गया कि मुझे मार दिया जाएगा। मैंने इसकी सूचना पुलिस को दे दी है।’ जब हमने पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की कोशिश की तो हम पर गोलियां और बम बरसाए गए। भांगर में हिंसा के बाद, मैं सीएम से मिलने के लिए नबन्ना (राज्य सचिवालय) गया। वह मुझसे नहीं मिली। राज्य और केंद्र ने मुझे सुरक्षा नहीं दी। मैंने सुरक्षा के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपील की। आज तक मुझे कोई सुरक्षा नहीं मिली।
आप टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनते हुए कैसे देखते हैं, जिसमें आपकी सहयोगी सीपीआई (एम) और कांग्रेस भी शामिल हैं?
इस सवाल के जवाब में सिद्दीकी कहते हैं कि हम भी लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ आमने-सामने का मुकाबला चाहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि टीएमसी प्रमुख विपक्ष के साथ बैठक करते हुए विपक्ष को तोड़ देंगी। वह अंततः गठबंधन में शामिल न होकर केवल भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए हैं। वह भारत में लोकतंत्र की बात कर रही हैं, लेकिन बंगाल में वही लोकतंत्र खतरे में है।
टीएमसी का कहना है कि वामपंथियों के साथ गठबंधन में होने के बावजूद आप भाजपा के साथ मिले हुए हैं?
वे यह भी कहते हैं कि सीपीआई (एम) और कांग्रेस बीजेपी के साथ हैं। हालांकि, जब भी वे मुसीबत में होते हैं, तो ये टीएमसी नेता ही होते हैं जिन्हें दिल्ली के लिए उड़ान पकड़ते और प्रधान मंत्री या (गृह मंत्री) अमित शाह के साथ बैठकें करते देखा जा सकता है… वे हमें भाजपा के एजेंट के रूप में लेबल करने की कोशिश कर रहे हैं। लोग समझते हैं कि वे ऐसा क्यों करने का प्रयास कर रहे हैं। लोग मूर्ख नहीं हैं।
क्या आपको लगता है कि केंद्रीय बलों की मौजूदगी से बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने में मदद मिलेगी?
यदि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम नहीं करेगा तो कोई भी केंद्रीय बल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं करा पाएगा। यदि आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहता तो ऐसा कभी नहीं होगा। भले ही प्रत्येक बूथ के लिए केंद्रीय बलों की एक कंपनी नियुक्त कर दी जाए, फिर भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे।