स्मार्ट सिटी बनने के मामले में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर की रफ्तार भी सुस्त है। सात साल में 100 शहरों को स्मार्ट बनाने का लक्ष्य रखा गया था, पर सात शहरों के ही इस लिस्ट में शुमार होने के आसार हैं। देश के पहले स्मार्ट शहरों में मध्य प्रदेश का भोपाल, गुजरात के अहमदाबाद व सूरत और राजस्थान का उदयपुर भी होगा।

दरअसल, 25 जून, 2015 को स्मार्ट सिटीज मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत शहरों को और आधुनिक बनाने की दिशा में कदम उठाए गए। इस मिशन के सात साल बाद 100 शहरों को टिकाऊ और नागरिक अनुकूल (Sustainable & Citizen Friendly) घोषित किया जाएगा, जिनमें म.प्र, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा और यूपी के शहर इस साल के अंत तक शोकेस (शामिल) किए जाएंगे। “स्मार्ट शहरों की पहली खेप” में ओडिशा का भुवनेश्वर और म.प्र का इंदौर भी रहेगा।

स्मार्ट सिटीज़ बनाने से जुड़े इस मिशन की समय-सीमा जून 2023 में समाप्त होगी, पर जिस हिसाब से अभी तक काम हुआ है, उस लिहाज से सिर्फ सात शहर की अधिकतर प्रोजेक्ट्स में बढ़त लेते दिख रहे हैं। मसलन झीलों के शहर भोपाल में 92 फीसदी, सूरत में 82.44%, उदयपुर में 78 फीसदी, भुवनेश्वरमें 76 प्रतिशत, इंदौर, वाराणसी और अहमदाबाद में 70 फीसदी ही काम पूरा हो सका है। बता दें कि बनारस, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है।

माना जा रहा है कि इन शहरों में साल के अंत तक शेष ‘विकास कार्य’ पूरा हो जाएगा, जबकि सात में से पांच शहर जहां पर अधिकतर काम निपट गया है, वे मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में हैं और वहां साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे।

आंकड़ों के अनुसार, भोपाल में 940 प्रोजेक्ट्स में फिलहाल 862, सूरत में 1219 में 1005, उदयपुर में 947 में 739, भुवनेश्वर में 846 में 644, अहमदाबाद में 930 में 648, इंदौर में 1042 में 727 और वाराणसी में 997 में 700 प्रोजेक्ट ही पूरे हो सके। जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास मंत्रालय इस मामले में आखिर के 40 शहरों पर जोर दे रहा है, जो विकास परियोजनाओं से जुड़ी बाधा का सामना कर रहे हैं।