पालघर लिचिंग को लेकर टीवी शो के दौरान रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्णब गोस्वामी के अपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने को लेकर उनकी गिरफ्तारी की मांग के मामले की सुनवाई पर वकील प्रशांत भूषण ने तंज कसा है। भूषण का कहना है कि कोरोना के कहर के मारे मजदूरों को लेकर दायर की गई याचिका से ज्यादा जरूरी कोर्ट को अर्णब की याचिका लगी।
ट्विटर पर प्रशांत भूषण ने लिखा है, लॉकडाउन की वजह से राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर जगदीप एस छोकर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी इसे कोर्ट ने जरूरी नहीं समझा। एक हफ्ते तक इसे सुनवाई के लिए शामिल नहीं किया गया। लेकिन एफआईआर निरस्त करने के लिए अर्णब गोस्वामी द्वारा दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने अगले दिन ही सुनवाई के लिए शामिल कर लिया।
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बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के पूर्व प्रोफेसर और संस्थापक ट्रस्टी जगदीप एस छोकर और अधिवक्ता गौरव जैन की ओर से वकील प्रशांत भूषण द्वारा कोरोना नेगेटिव मजदूरों को उनको अपने घरों की तरफ जाने की इजाजत मांगी गई थी।
याचिका में कहा गया था कि उन प्रवासी मजदूरों को घर जाने की इजाजत दी जाए, जिनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है। साथ ही यह मांग भी की गई थी कि राज्य सरकारों को इन लोगों को घर, गांव तक जाने की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए।
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