भारत में लॉकडाउन को तीन हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है। एक विश्लेषण में सामने आया है कि किसी भी राज्य में कोरोनावायरस के 69 फीसदी केस यानी हर 10 में से 7 मामले उसके तीन जिलों में ही मौजूद हैं। 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन घटाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के काम करने के तरीके में सरकार के लिए यह ट्रेंड काफी मददगार साबित होने वाला है। खास बात यह है कि किसी भी राज्य के जिन तीन जिलों में सबसे ज्यादा केस हैं, वहीं लोगों के ठीक होने और मौतों का दर भी ज्यादा है।

अगर किसी राज्य में कोरोनावायरस संक्रमितों के ठीक होने की बात करें, तो 55.55% रिकवरी वाले केस राज्य के इन्हीं तीन जिलों से हैं। वहीं मौतों के मामले में 63.9 फीसदी केस भी इन जिलों में ही पाए गए हैं।

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एम्स के निदेशक और हाई-लेवल टेक्निकल कमेटी के सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, महामारी को सीमित करने की योजना में एक लक्ष्य यह है कि लॉकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा केसों को किसी एक इलाके में सीमित कर दिया जाए, न कि इन्हें अलग-अलग पॉकेट्स में फैलने दिया जाए। इससे सीमित स्वास्थ्य संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।

संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इन तीन जिलों की पहचान के बाद कोई भी राज्य अपने यहां टेस्टिंग और निगरानी तंत्र को बढ़ा सकता है, जिससे प्रतिबंध में छूट देने और महामारी को रोकने के लिए योजनाएं जल्द तैयार हो सकती हैं।

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इन सबके बीच खास बात यह है कि आपस में सीमाएं साझा करने वाले तीन राज्य- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में इस वक्त 4200 से ज्यादा एक्टिव केस हैं। इन तीनों राज्यों में तो संक्रमण के करीब 80 फीसदी मामले तीन जिलों में ही मौजूद हैं। महाराष्ट्र की बात करें, तो यहां मुंबई, पुणे और ठाणे में 89.27% केस हैं। राज्य में रिकवर हुए कुल मरीजों में से 83 फीसदी इन्हीं तीन जिलों से हैं। वहीं, गुजरात के तीन जिलों- अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत में राज्य के 84.87 फीसदी केस हैं। राज्य के करीब 52.05 फीसदी ठीक हुए मरीज भी इन तीन जिलों से ही हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश में इंदौर, भोपाल और खरगौन में राज्य के करीब 81.51 फीसदी मरीज हैं।

आंध्र प्रदेश (गुंटूर, कुरनूल और नेल्लोर), तेलंगाना (हैदराबाद, निजामाबाद और विकाराबाद), कर्नाटक (बेंगलुरु, मैसूर और बेलगावी) और केरल (कासरगोड़, कन्नूर और एर्नाकुलम) समेत दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों में तीन जिलों में ही कोरोनावायरस के औसतन 63 फीसदी केस हैं। इनमें से 50 फीसदी ठीक हुए मामले भी इन्हीं जिलों से हैं। हालांकि, तमिलनाडु के डेटा की बात की जाए, तो यहां संक्रमण के मामले काफी फैले हुए हैं। डेटा के मुताबिक, यहां के तीन जिलों- चेन्नई, कोयंबटूर और तिरुपुर में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं। लेकिन इन्हें मिलाकर भी राज्य में संक्रमण के कुल 33.46 फीसदी मामले ही तीन जिलों से निकलते हैं।

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