कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के हल्लाबोल के बीच अन्नदाताओं के एक वर्ग ने सरकार से गुजारिश की है कि वह प्रदर्शन के दबाव में आकर इन कृषि कानूनों को खत्म न करें। इन्हें बदलाव के साथ जारी किया जाए। ये अपील सोमवार को हरियाणा के कृषक संगठनों के अनेक प्रतिनिधियों ने तीन कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ज्ञापन सौंपते हुए कहीं।

ज्ञापन सौंपने वालों में हर किसान (हरियाणा के 116 FPO का फेडरेशन), हरियाणा के प्रतगिशील किसान संगठन और हरियाणा के किसान संगठन के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे। कृषि मंत्री से इन्होंने ज्ञापन के जरिए कहा- हम हरियाणा के 70 हजार एफपीओ से जुड़े किसान और 50 हजार से अधिक प्रतगिशील किसान भारत सरकार के तीन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं।

हरियाणा के इन कृषक संगठनों ने बयान में आगे कहा, “किसान संगठनों द्वारा सुझाए गए संशोधन के साथ इन (कानूनों) को जारी रखा जाए। हम किसान संगठनों द्वारा उठाए गए एमएसपी जारी रखने और मंडी व्यवस्था जारी रखने के पक्षधर हैं। पर हम आप से आग्रह करते हैं, सुझाए गए संशोधनों के साथ इन कानूनों को जारी रखा जाए। हम आप से आग्रह करते हैं कि समय प्रदान कर हमारी बात भी सुनी जाए।”

ज्ञापन में क्या कुछ कहा? यह रही प्रतिः

कृषि कानूनों के समर्थन में इन किसानों का वर्ग ऐसे वक्त पर तोमर से मिला है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन फिलहाल छिड़ा है। इनमें मुख्यतः पंजाब के किसान एमसपी और मंडी संबंधित मुद्दों को लेकर अपनी मांगों पर अड़े हैं। वे दो टूक इन्हें काले कानून बता रहे हैं और कह रहे हैं वे चाहते हैं कि सरकार इन्हें वापस ले ले।

इसी बाबत उन्होंने मंगलवार को (आठ दिसंबर, 2020) भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद को विपक्षी दलों के साथ तमाम क्षेत्रों से जुड़े संगठनों का भी समर्थन मिला है। राजनीति के अलावा खेल और मनोरंजन जगत की हस्तियां भी अन्नदाताओं के हक की लड़ाई में आगे आई हैं।

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नई दिल्ली में सोमवार को कृषि मंत्री के साथ हरियाणा के 20 प्रतगिशील किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बैठक की, जिसमें किसानों का नेतृत्व पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित कंवल सिंह चव्हाण ने किया। इन अन्नदाताओं ने केंद्र के लाए तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया है। (फोटोः पीटीआई)