टेलीविजन पत्रकार रवीश कुमार ने कोरोना वायरस संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। देश के नाम सोमवार को पीएम के संबोधन के संदर्भ में उन्होंने कहा है कि प्रधानसेवक इतने सारे लोगों के नरसंहार के बाद कारीगरी कर झूठ बोलकर चले गए।
NDTV के वरिष्ठ पत्रकार ने यह बात मंगलवार (आठ जून, 2021) को किए एक फेसबुक पोस्ट में कही। उनके मुताबिक, “सात जून, 2021 के राष्ट्र के नाम संबोधन को सुनते हुए लिखना चाहिए। लिखने के बाद ध्यान से पढ़ना चाहिए, तब पता चलेगा कि इतने लोगों के नरसंहार के बाद कोई नेता किस तरह की कारीगरी करता है। कैसे वह खुद को सभी जवाबदेहियों से मुक्त करते हुए, दूसरों पर दोष डाल कर जनता को एक भाषण पकड़ा जाता है।”
बकौल रवीश, “यह भाषण ठीक वैसा ही है। एक लाइन की बात कहने के लिए दाए-बाए की बातों से भूमिका बांधी गई। नीति, नियत, नतीजे और न जाने न से कितने शब्दों को मिलाकर वाक्य बना लेने से जवाबदेही ख़त्म नहीं हो जाती। जब लाशों की गिनती का पता नहीं, हर दूसरे तीसरे घर में मौत हुई हो, उसके बीच से ख़ुद को निर्दोष बताते हुए निकल जाना नेतागिरी की कारीगरी हो सकती है, ईमानदारी की नहीं।”
पत्रकार के मुताबिक, टीके को लेकर शुरू से झूठ बोला गया। बिना टीके के आर्डर के दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान बताया गया। जब झूठ के सारे दरवाज़े बंद हो गए तब पीएम ने भाषण के पतले दरवाज़े से अपने लिए निकलने का रास्ता बना लिया। यह भाषण मिसाल है कि कैसे जनता को फंसा कर खुद निकल जाया जाता है। वैसे भाषण में मानवता का भी जिक्र आया है।
दरअसल, सोमवार को मोदी ने अपने संबोधन में 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को कोविड-19 का टीका मुफ्त मुहैया कराने की। विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और भाजपा ने इस ऐलान का स्वागत किया। पर विपक्षी दलों ने दावा किया कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी साख बचाने के लिए इस ‘त्रुटिपूर्ण’ टीका नीति को वापस लिया।
विपक्षी दल कांग्रेस ने सभी नागरिकों के टीकाकरण के लिए राज्यों को मुफ्त टीका मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर सोमवार को कहा कि यह ‘देर आए, लेकिन पूरी तरह दुरुस्त नहीं आए’ की तरह है क्योंकि मुफ्त टीकारण की मांग को सरकार ने आंशिक रूप से स्वीकार किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री ने देश में पहले के टीकाकरण के कार्यक्रमों के बारे में टिप्पणी करके अतीत की चुनी हुई सरकारों और वैज्ञानिकों का अपमान किया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘एक साधारण सवाल: अगर टीके सभी के लिए मुफ्त हैं तो फिर निजी अस्पतालों को पैसे क्यों लेने चाहिए।’’
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (कांग्रेस), ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (बीजद), तमिलनाडु के मुख्यंमत्री एम के स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (माकपा) और बिहार के मुख्मयंत्री नीतीश कुमार (जदयू) राज्यों के उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रशंसा की कि केंद्र ने मुफ्त टीके की आपूर्ति का अनुरोध स्वीकार कर लिया। वहीं, प्रधानमंत्री की आलोचक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममत बनर्जी ने कहा कि महीनों बाद उन्होंने आखिकार ‘हमारी बात सुनी।’’ दीदी ने ट्वीट किया, ‘‘ भारत के लोगों के कल्याण को महामारी की शुरुआत से ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। लेकिन दुर्भाय से प्रधानमंत्री के इस देर के फैसले से कई जिंदगियां चली गयीं। आशा है कि इस बार बेहतर प्रबंधन से टीकाकरण होगा और लोगों पर न कि प्रचार पर ध्यान दिया जाएगा।’’