कांग्रेस ने कहा है कि अयोध्या राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस का कहना है कि यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का आयोजन है। उन्होंने आगे कहा कि अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह भी कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने सालों से अयोध्या में राम मंदिर को एक ‘राजनीतिक विषय’ बना दिया है। दरअसल, 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए कांग्रेस के तीन प्रमुख नेताओं खड़गे, सोनिया और चौधरी को निमंत्रित किया गया था। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस की तरफ से जब से यह रुख सामने आया है। आचार्य प्रमोद सहित कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि किसने क्या कहा?

कांग्रेस की तरफ से निमंत्रण अस्वीकार करने के बाद आचार्य प्रमोद ने कहा कि श्री राम मंदिर के “निमंत्रण” को ठुकराना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है, आज दिल टूट गया। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “कांग्रेस ने राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराया… यह वही कांग्रेस है जिसने भगवान राम को काल्पनिक बताया था। आज जब कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है तो यह साफ देखा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत की जनता भी उनका बहिष्कार करेगी।”

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा इसमें कोई हैरानी की बात नहीं

‘प्राणप्रतिष्ठा’ समारोह का निमंत्रण अस्वीकार करने पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का भगवान राम विरोधी चेहरा देश के सामने है। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है।” सोनिया गांधी के नेतृत्व में जिस पार्टी ने कोर्ट के सामने हलफनामा दायर किया था कि भगवान राम एक काल्पनिक चरित्र हैं। आज राम मंदिर की ‘प्राणप्रतिष्ठा’ के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया… सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व में I.N.D.I.A. गठबंधन ने बार-बार सनातन धर्म का अपमान किया है। अब, I.N.D.I.A. एलायंस के नेताओं द्वारा ‘प्राणप्रतिष्ठा’ के निमंत्रण को अस्वीकार करना उनकी सनातन विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।”

वहीं बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, “…इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ दशकों से अयोध्या में एक मंदिर के लिए कोई कदम नहीं उठाया। कांग्रेस-यूपीए सरकार ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया। वे कोर्ट में केस लड़ते रहे। अब वहां एक मंदिर बना है, यह सच है कि वे कार्यक्रम में नहीं होंगे। यह जाहिर करता है कि वे कभी भी मंदिर नहीं चाहते थे और अब कह रहे हैं कि यह भाजपा और आरएसएस का एक कार्यक्रम है। यह कांग्रेस पार्टी की अपनी सोच से मेल नहीं खाता है। अगर ऐसा होता तो वे भगवान राम के प्रति स्नेह के कारण अयोध्या में होते और लाखों भारतीयों का उत्साह करते।”

सदानंद गौड़ा ने कहा कि कांग्रेस के लोग पूरी तरह पागल हो गए हैं, क्योंकि भगवान राम का आशीर्वाद भाजपा के पक्ष में है।’ देशभर में लोग पिछले 10 सालों से पीएम मोदी और उनके काम का पक्ष ले रहे हैं। इस बार कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 50 से अधिक सीटों तक भी नहीं पहुंच पाएगी।