भारतीय क्रिकेट में कप्तान बनना आसान नहीं है। अगर कप्तान बन भी गए तो सही से टीम चलाना बहुत ही कठिन हैं। टीम इंडिया के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग को 4 टेस्ट मैचों में कप्तानी करने का मौका मिला था। इसमें उन्होंने दो टेस्ट जीते, एक हारे और एक ड्रॉ कराया। सहवाग ने इंटरव्यू के दौरान कप्तानी की मुश्किलों पर चर्चा करते हुए एक रोमांचक किस्सा शेयर किया था। उन्होंने बताया था कि कैसे अनिल कुंबले और हरभजन सिंह ग्राउंड पर उनकी बात नहीं मान रहे थे।
दरअसल, सहवाग और अनिल कुंबले का यह इंटरव्यू वीयू इंडिया नाम के यूट्यूब चैनल पर है। इसमें सहवाग ने एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘अनिल भाई मेरी कप्तानी में खेले हैं। जरा सोचिए कि एक तरफ से अनिल कुंबले गेंदबाजी कर रहे हैं और दूसरी तरफ से हरभजन सिंह। अहमदाबाद में श्रीलंका के खिलाफ मैच चल रहा है। दोनों ही गेंदबाजी से हटने को तैयार नहीं। तगड़ा कंपटीशन था। अनिल भाई बोल रहे थे, उसको बोल हट जाएगा। फिर हरभजन ने कहा- अनिल भाई को बोल वो ब्रेक ले लें। दोनों के बीच में मैं कप्तान फंस गया।’’
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सहवाग ने इसके आगे बताया, ‘‘दोनों ब्रेक लेने को तैयार नहीं थे। लगातार 10-10 ओवर दोनों डाल चुके थे। फिर मैं सचिन तेंदुलकर के पास गया और उनसे कहा कि दोनों मेरी बात नहीं सुन रहे हैं। आप किसी को बोलिए कि ब्रेक ले और हम एक छोर से फास्ट बॉलर को लगाए। सचिन फिर हरभजन के पास गए। वो हमारी टीम के वाकई में भगवान थे। जो वो बोलते थे प्लेयर सुन लेते थे। अनिल भाई को मैं क्या बोल सकता था कि आप रूक जाओ। जब सौरव गांगुली की हिम्मत नहीं हुई तो मैं कौन था।’’
सहवाग ने जिस मैच की कहानी सुनाई उसमें भारत ने पहली पारी में 398 रन बनाए थे। वीवीएस लक्ष्मण ने 104 रन बनाए थे। इरफान पठान ने 82 और महेंद्र सिंह धोनी ने 49 रनों की पारी खेली थी। श्रीलंकाई टीम पहली पारी में 206 रन ही बना सकी। तिलकरत्ने दिलशान ने 65 रन बनाए थे। हरभजन ने 7 विकेट चटकाए थे। इसके बाद भारत ने दूसरी पारी में 9 विकेट पर 316 रन बनाए थे। युवराज सिंह ने 75, अजीत अगरकर ने 48 और हरभजन ने 40 रन बनाए थे। 509 रन के लक्ष्य के सामने लंकाई टीम 249 रनों पर सिमट गई थी। दिलशान ने 65 और महेला जयवर्धने ने 57 रन बनाए थे। कुंबले ने 5 और हरभजन ने 3 विकेट लिए थे। टीम इंडिया 259 रनों से मैच जीती थी।