पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को आधुनिक भारतीय क्रिकेट टीम का निर्माता कहा जाता है। उनके बारे कहा जाता है कि गांगुली ने ही टीम इंडिया में जीत की ललक पैदा की और विदेश में जीतना सिखाया। गांगुली ने इस बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वे अपनी कप्तानी में टीम को बना रहे थे तब वे मैच ड्रॉ कराने वाले नहीं बल्कि मैच जीतने वाले खिलाड़ियों को टीम में रखना चाहते थे। इसी क्रम में वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान सहित खिलाड़ियों का करियर बनाया।
गांगुली ने गौरव कपूर के यूट्यूब चैलन ‘ऑकट्री स्पोर्ट्स’ को दो साल पहले एक इंटरव्यू दिया था। इसमें गांगुली ने बताया था, ‘‘मैं टीम बनाता था तो ये देखता था कि जिताएगा कौन? मुझे ड्रॉ कराने वाले खिलाड़ी नहीं चाहिए थे। जब अच्छा खेलोगो तो जीतना पड़ेगा, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में जाओगे, दक्षिण अफ्रीका में जाओगे तो वे हराएंगे। रिकी पोंटिंग दोहरा शतक मारेगा ही। शेन वॉर्न ग्लेन मैक्ग्रा हमें आउट करेगा ही। इसके बाद हमें भी आउट करना है। जिस दिन हम आगे हैं तो उन्हें हराना है और जिस दिन हारना है उस दिन वो हराएंगे ही।’’
गांगुली ने आशीष नेहरा के बारे में कहा, ‘‘नेहरा टीममैन था। वर्ल्ड कप 2003 में नामीबिया के खिलाफ वह बॉलिंग करते समय पिच पर गिर गया था। हार्ड पिच पर उसके स्पाक्स (जूते) फिसल गए। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले मैच से मैंने उससे पूछा कि खेलेगा या नहीं। तो उसने कहा कि मैं खेलूंगा। जबकि उसका पैर सूज चुका था। मैंने फिजियो को उसे ठीक करने के लिए कहा। अगले दिन इंग्लैंड के खिलाफ 150 से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी की थी।’’
भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ उस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। टीम ने 50 ओवर में 9 विकेट पर 250 रन बनाए थे। राहुल द्रविड़ ने 62, सचिन तेंदुलकर ने 50 और युवराज सिंह ने 42 रनों की पारी खेली थी। इंग्लैंड के लिए एंड्रयू कैडिक ने 3 और एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने 2 विकेट लिए थे। 251 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 45.3 ओवरों में 168 रनों पर ढेर हो गई थी। मैच से एक दिन पहले अनफिट रहने वाले नेहरा ने 6 विकेट झटके थे। उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 37 रन दिए थे।