1992 में इंदिरा साहनी मामले में नौ सदस्यों की पीठ ने अधिकतम पचास फीसद आरक्षण की सीमा तय कर दी थी। कई राज्यों की मध्यम जातियों जैसे जाट, मराठा आरक्षण पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले का हवाला देकर ऐसे आदेश को रद्द कर दिया था।
मगर ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पचास फीसद की सीमा को समाप्त कर दिया। इस तरह अब देश में साठ फीसद का आरक्षण लागू हो गया है। इस निर्णय के बाद देश में आरक्षण की समीक्षा पर, संपन्न तबके के संदर्भ में, पिछड़ों के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने और पचास फीसद की लगी रोक हटाने के संदर्भ में एक बड़ी बहस शुरू हो चुकी है।
इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश की टिप्पणी महत्त्वपूर्ण है कि आरक्षण अनंत काल तक नहीं होना चाहिए। इस पर भी देश के कानूनविद बंटे हुए नजर आते हैं, क्योंकि आरक्षण का आधार जाति है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देश में आरक्षण संबंधी व्यवस्थाओं पर व्यापक असर पड़ेगा। उत्तर भारत के अनेक राज्यों में अब मध्यम जातियां आरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई तेज करेंगी और जन आंदोलन भी देखने को मिलेंगे, आरक्षण के पक्ष में भी और विपक्ष में भी, जातिगत आरक्षण के लिए भी और आर्थिक आरक्षण के लिए भी। राज्य सरकारें भी राजनीतिक लाभ पाने की होड़ में इस फैसले के आलोक में अनेक जातियों को आरक्षण का आदेश जारी कर सकती हैं, जिससे देश में विरोधाभास और अराजकता का माहौल बनने की आशंका है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली</p>
रूस की दोस्ती
आज भारत और रूस की दोस्ती को लगभग सत्तर साल हो चुके हैं और इसमें आज तक न कभी दरार पड़ी है, न ही कोई खटास आई है। नेहरू, इंदिरा के जमाने से चली आ रही यह दोस्ती लगातार जारी है और आज भी उतनी ही गहरी और प्रगाढ़ है। हर दुख-सुख के समय में रूस ने भारत का हमेशा साथ दिया है। खाद्यान्न संकट हो या फिर हथियार उपलब्ध कराना, हर तरह से रूस ने भारत की मदद की है।
इसी तरह चाहे वह पाकिस्तान से युद्ध हो या फिर चीन से, हमेशा रूस ने भारत को हर तरह की मदद पहुंचाई है। हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिन रूस में हैं और उन्होंने अपने समकक्ष विदेश मंत्री सरगेई लावरोव से बातचीत करते हुए यही बात कही है कि भारत और रूस के संबंध हमेशा असाधारण रूप से दृढ़ और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। उनमें गहराई भी सदा बनी रही है। इस बात में कोई शक नहीं है।
चाहे आज रूस इस समय यूक्रेन के साथ युद्ध में लगा हुआ है, पर इस कारण भारत रूस से अपनी दोस्ती को कभी नहीं तोड़ सकता। आज हमारे संबंध इस युद्ध की वजह से किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हैं। ये इसी तरह से प्रगाढ़ बने रहेंगे, क्योंकि हम और रूस एक-दूसरे को दिल से चाहते हैं।
मनमोहन राजावत राज, शाजापुर