कहा जाने लगा था कि भारत जैसे विशाल देश की सबसे पुरानी और बड़े-बड़े क्रांतिकारियों वाली पार्टी, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सब कुछ अर्पित कर दिया था, यहां तक कि सर्वस्व होम कर दिया था, का अब कोई नामलेवा भी नहीं बचेगा। लेकिन, सत्तारूढ़ दल के सूरमाओं और ऐसे अन्य लाखों लोगों के भ्रम को राहुल गांधी की एक ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ ने धूल-धूसरित कर दिया।

राहुल गांधी की पदयात्रा से बढ़ा था भरोसा

देश की अवाम ने राहुल गांधी की इस कर्मठता को सिर आंखों पर लिया और राहुल की इस पदयात्रा से जन-जन के मन में यह विश्वास दृढ़ होता गया कि उन्हें जिन जुमलों से अब तक दिवास्वप्न दिखाया जाता रहा है, पिछले लगभग नौ वर्षों से बरगलाया जाता रहा है, वह एक प्रपंच से ज्यादा कछ नहीं है। सच तो यह है कि जिसके प्रति उनके मन में गलत विचार थोपे गए, वह तो किसी के चरित्र हनन के समान था।

गुलाम नबी आजाद बोले, ‘राहुल गांधी के अवांछित लोगों से संबंध’

बस, फिर क्या था टैंक का मुंह फिर से कांग्रेस की और मोड़ दिया गया। इस बार का हमला आत्मघाती दस्ते की ओर से किया गया। यह हमला लगभग पचास वर्षों तक कांग्रेस के नाम पर मलाई खाने वाले कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद की तरफ से किया गया। गुलाम नबी आजाद बोले, ‘राहुल गांधी के अवांछित कारोबारियों के साथ संबंध हैं।’

अजीब है, जब आप इतने आत्मविश्वास से आरोप लगा रहे हैं तो आपको उन कारोबारियों का विवरण देने में आपत्ति क्यों है? यह तो वही बात हुई कि बहती गंगा में हाथ धो डालो। आजाद के आरोप से दो बातें तो स्पष्ट हो जाती हैं- पहला तो यह कि राहुल गांधी के बढ़ते कद को देखकर उन्होंने महसूस कर लिया कि शुरू में पार्टी छोड़ते समय उन्होंने पार्टी और विशेष रूप से राहुल गांधी के लिए जो विष वमन किया था, उसे आम जनता ने नकार दिया और वे अब देश के समक्ष झूठा साबित हो रहे हैं।

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Gulam Nabi Azad: गुलाम नबी आजाद। (फोटो सोर्स: File/ANI)

इसलिए उन्होंने अपनी बातों को बल देने के लिए अब यह वाण चलाया है। और, दूसरा यह कि जम्मू-कश्मीर का चुनाव सन्निकट होने के कारण उसमें उन्हें चेहरा बनने का अवसर मिल जाए। एक और बात यह कि कांग्रेस के प्रति जिस तरह की अनिष्ठा वह दिखाना चाह रहे हैं, उससे उनके भाजपा की ओर अपनी विश्वसनीयता को प्रमाणित करने का अवसर मिल जाएगा। लानत है ऐसे नेताओं पर, जो स्वहित के कारण अपनी निष्ठा गिरगिट की तरह बदलने में भी नहीं हिचकिचाते हैं।

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा तो इस तरह के मौके को लपकने के पीछे लगी ही रहती है। उसी फिराक में भाजपा के सांसद, सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अपनी साख बनाने के चक्कर में इस तरह के मामलों पर नजर बनाए रखते हैं और जैसे ही कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी का मामला उछला, आननफानन में सत्ता को आकर्षित करने में लग जाते हैं।

इस बार भी यही तो हुआ है। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद एक जिम्मेदार नेता रहे हैं, इसलिए उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का उत्तर राहुल गांधी को देना चाहिए। बिल्कुल ठीक कहा रविशंकर प्रसाद ने और यह भी ठीक है कि जब राहुल गांधी जवाब देने आते हैं, तो उन्हें संसद से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। यह तो अजीब बात है कि आप आरोप भी लगाते हैं और जब उसका जवाब देने की बारी आती है, उसके मुंह को बंद कर देते हैं।

सचिन पायलट का अनशन पर बैठ जाना कोई नई बात नहीं

क्या सच में यही हमारा संविधान कहता है? आजाद भारत में अपनी ही सरकार के विरुद्ध सचिन पायलट द्वारा अनशन पर बैठ जाना कोई नई बात नहीं है। सबसे पहला उदाहरण पश्चिम बंगाल के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अजय कुमार मुखर्जी ने बनाया था। जब अजय मुखर्जी पश्चिम बंगाल की मिलीजुली सरकर में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। जब गृहमंत्री और उद्योगमंत्री मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग थे, उनका आरोप था कि अपनी ही सरकार में खींचतान के कारण बंगाल, जो कभी उद्योगों का गढ़ माना जाता था, के सारे उद्योग सरकारी लापरवाही के कारण बंद होने लगे और लूटपाट, मारपीट की घटनाएं बदस्तूर बढ़ते रहने के कारण उन्हें धरने पर बैठना पड़ा।

Sachin Pilot | Congress |
मंगलवार, 11 अप्रैल, 2023 को जयपुर के शहीद स्मारक में अनशन के दौरान कांग्रेस नेता सचिन पायलट। (पीटीआई फोटो)

ठीक उसी प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उपराज्यपाल निवास पर धरने पर बैठे थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल उनकी सरकार के कामकाज को बाधित करते रहे हैं, इसलिए उन्हें अनशन करना पड़ा। और अब, अपनी ही सरकार के विरुद्ध राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पांच घंटे की अनशन के बाद फिलहाल उसे स्थगित कर दिया है।

पायलट ने पिछली सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि मैंने दो पत्र लिखे थे जिनकी प्रति सरकार को भी भेजी थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। वैसे, इस मामले को भी केंद्रीय सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा किए जा रहे षड्यंत्र का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि सचिन पायलट ने इस अनशन की घोषणा ऐसे समय पर की है, जब राजस्थान में इसी वर्ष के अंत में चुनाव होना है।

वैसे, सचिन पायलट कांग्रेस की अपनी पुरानी परंपराओं को ही दोहरा रहे थे और यह दिखाना चाह रहे थे कि कांग्रेस ‘वन मैन आर्मी’ पार्टी नहीं है। इस दल में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। कांग्रेस ने जारी अपने बयान में साफ कहा है कि राजस्थान में अशोक गहलोत को बदलने की कोई गुंजाइश नहीं है और सचिन पायलट को पार्टी के अगले विधानसभा तक प्रतीक्षा करनी ही होगी।

इधर, सचिन पूर्व की वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई न करने के आरोपों को पार्टी ने गलत बताया है। अब कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि सचिन पायलट को ज्योतिरादित्य सिंधिया का इशारा है, इसलिए वह सबकी बातों को अनसुनी करके और कांग्रेस को कमजोर करके भाजपा से हाथ मिलाने को आतुर हैं। यदि उपरोक्त सब बातों पर मंत्रणा करेंगे तो यही लगेगा कि कहीं-न-कहीं दाल में कुछ तो काला है।

इसे कई तरह से देखने में यही लगता है जैसे ऊपर से मजबूत दिखाई देने वाली विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा, कांग्रेस से या यह कहिए राहुल गांधी से डर गई है, जिसके लिए वह कई माध्यमों से राहुल गांधी को शिकस्त देने का प्रण कर लिया है। यह हो भी क्यों नहीं, क्योंकि यही तो राजनीति है और यदि राजनीति में राजनीति होती है, तो यह कोई अनहोनी बात नहीं होगी। सत्तासुख भोगना और उससे पृथक हो जाना दुखद ही नहीं, कष्टदायक भी होता है।

इसका अनुभव राहुल गांधी कर रहे हैं और अपने सामर्थ्य के सारे घोड़े खोलकर सत्ता पर काबिज होने का रास्ता तैयार कर रहे हैं। किसी का भी राजनीति में आना आज यही तो बताता है। आज वह समय नहीं रहा, जब सत्ता का कोई लोभ हमारे राजनीतिज्ञों को नहीं होता था। उनका कोई स्वार्थ नहीं होता था। उनकी सोच यही होती थी कि हमारी अगली पीढ़ी स्वतंत्र देश में जन्म ले और स्वतंत्र चिंतन से देश को विश्व में आगे की कतार में खड़ा कर सके। जबकि, तत्कालीन ब्रिटिश सत्तासीन सर्वशक्तिशाली चर्चिल का कहना होता था कि भारतवर्ष को आजादी देने का अर्थ बंदर के हाथ में चाकू दे देने जैसा है।

काश, चर्चिल यदि आज जीवित होता, तो वह अपनी बातों से शर्मसार होकर कहीं मुंह छिपा रहा होता। कांग्रेस ने भारतवर्ष को अपनी सेवा के लिए कई योग्य से योग्यत्तम राजनेता दिए, जिनके कारण हम आजाद हुए और हमारी नई पीढ़ी को यह कहने का गौरव प्राप्त हुआ कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं। हमारे पुरुखों ने इसे विदेशी ताकत से मुक्त कराने के लिए अपनी कुर्बानी दी है और इसलिए हम दुनिया के विकासशील देशों की परिधि से निकलकर विकसित देशों के देहरी पर कदम रखने के लिए तैयार हैं।

Senior Journalist Nishi Kant Thakur.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)