Rahul Gandhi VS Modi Government: याद कीजिए वर्ष 1977 के मई महीने में अंतरात्मा को झकझोर देने वाला ऐतिहासिक दुर्भाग्यपूर्ण कांड। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 80 किलोमीटर दूर नालंदा जिले का गांव बेलछी, जिसमें नरसंहार हुआ था। वहां जातीय संघर्ष में 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। केंद्र से इंदिरा गांधी सत्ता से बेदखल हो गई थीं और वहां जनता पार्टी की सरकार थी। मोरारजी भाई देसाई प्रधानमंत्री थे तथा बिहार में कर्पूरी ठाकुर की सरकार थी। सत्ता में दूर-दूर तक कांग्रेस के वापस लौटने की उम्मीद नजर नहीं आ रही थी।
इंदिरा गांधी की भीषण बारिश में बेलछी गांव की यात्रा ने लोगों का दिल जीत लिया था
वहीं, सत्ता से बेदखल हो चुकीं इंदिरा गांधी ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए बेलछी जाने का कार्यक्रम बनाया। उनकी पारखी नजर ने ताड़ लिया था कि इस घटना का प्रसार और प्रभाव देश ही नहीं, अन्य देशों में भी होगा। पटना तक हवाई जहाज, फिर मूसलधार बारिश में कार में कुछ ही दूर चली थीं कि कार कीचड़ में फस गई। उसके बाद ट्रैक्टर का सहारा लिया गया। उसके आगे नदी को पार करने के लिए बिना हौदे की हाथी पर सवार होकर उनका काफिला बेलछी गांव पहुंचा। वहां पीड़ित परिवार को लगा, जैसे कोई देवदूत उनके दुख को बांटने आ गया हो। महिलाएं उनके गले लगकर फफक-फफक कर रोईं और कहा कि हमलोगों से बड़ी भूल हो गई कि हमने चुनाव में आपको वोट नहीं दिया। फिर सच में इंदिरा गांधी की यह यात्रा देश के लोगों का दिल जीत लिया और परिणामस्वरूप वर्ष 1980 में कांग्रेस भारी बहुमत से सत्ता में वापस लौटी।

यह उदाहरण देना इसलिए आवश्यक हो गया था कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में जो स्थिति कांग्रेस की हो गई थी, उसमे यही लगने लगा था कि शायद 1885 में बनी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लगभग खत्म हो गई। ऐसा हर मध्यम से प्रचारित भी किया गया और विशेष रूप से सत्तारूढ़ भाजपा ने यह नारा दिया कि देश ‘कांग्रेस मुक्त’ हो गया है और उसका निर्बाध सत्ता में पचास वर्ष तक बने रहना अब सुनिश्चित हो गया है। देश की भोली-भाली जनता से इतने लुभावने वादे किए गए, इतने दिवास्वप्न दिखाए गए कि वह भ्रमित हो गई और आंख मूंदकर वादे (जुमलों) पर विश्वास करने लगी।
भाजपा ने कहा था- 70 वर्षों में जो कांग्रेस ने नहीं किया
मार्केटिंग के इस काल में कहा गया- हम प्रतिवर्ष दो करोड़ बेरोजगार युवाओं को नौकरी देंगे, काले धन का जो पैसा विदेशी बैंकों से आएगा उसमें सबकी बराबर की हिस्सेदारी होगी और कम से कम पंद्रह लाख रुपये प्रत्येक व्यक्ति के खाते में जमा कराई जाएगी। जो कुछ पिछले सत्तर वर्षों में कांग्रेस ने नहीं किया, उसकी भरपाई हम करेंगे। अपनी बातों पर बल देते हुए सभी सत्तारूढ़ भाजपा नेता कहते थे कि पिछले 70 वर्षों में पिछली सरकार ने देशहित में कुछ भी नहीं किया।
उनके द्वारा आरोप लगाया जाता था कि कांग्रेस के नेता अपने कार्यकाल में पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड रखते थे और कई ऐसे आरोप लगाए जाते थे जो निम्न स्तर के होते थे। इन आरोपों में उनके नेताओं का लक्ष्य एक मात्र गांधी-नेहरू परिवार होता था। इस बात को प्रचारित करने के लिए कि राहुल गांधी पढ़ा-लिखा नहीं है, इसलिए वह ‘पप्पू’ है। सोनिया गांधी पर तरह-तरह के तंज कसना आम बात हो गई थी। यहां तक कि पार्टी का साधारण प्रवक्ता भी इस परिवार के लिए टीवी कार्यक्रम में आकर सरेआम अनर्गल और अमर्यादित प्रलाप किया करते रहे हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी से अब बुरी तरह डर गई है भाजपा
भाजपा के सारे कुतर्कों को राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की लगभग चार हजार किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ ने उनके मंसूबों को ध्वस्त कर दिया। देश ही नहीं, विश्व ने देखा कि जिसे अपमानित करने के लिए सत्तारूढ़ दल ने अपने सारे घोड़े खोल दिए थे, वे सारे के सारे बेनकाब हो गए। राहुल गांधी एक विश्वसनीय ब्रांड के रूप में देश के सामने आए। देशभर में जगह-जगह राहुल गांधी का भव्य स्वागत हुआ; लोगों ने महसूस किया कि जिस प्रकार उनकी छवि बिगाड़ी गई थी, वह गलत था। कांग्रेस के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा अब राहुल गांधी से बुरी तरह डर गई है और हो सकता है कि फिर कोई कारनामा उनके विरुद्ध न हो जाए। फिर राहुल गांधी का कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भाषण देने को एक मुद्दा बना लिया गया।

इधर राहुल गांधी की ओर से हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो आरोप उद्योगपति गौतम अदाणी पर लगाए गए हैं, उस पर सरकार से जवाब मांगना, देश के संसदीय इतिहास को ही बदल दिया। आजादी के बाद से अब तक यही होता रहा कि संसद की कार्यवाही को बाधित करने का काम विपक्षी दलों द्वारा किया जाता रहा था, लेकिन अदाणी को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद संसद सत्तारूढ़ दल द्वारा इसलिए बाधित किया जाता रहा कि राहुल गांधी ने अपने इंग्लैंड दौरे पर भारत की आलोचना की और अमेरिका और इंग्लैंड से हस्तक्षेप करने के लिए कहा। जबकि, विपक्ष, खासकर राहुल गांधी बराबर यह प्रयास करते रहे कि उन पर जो आरोप लगाया गया है, उसका वह संसद में जवाब दे सकें।
ऐसा अवसर राहुल गांधी को नहीं मिला और 2019 में कर्नाटक में उनके द्वारा चुनावी भाषण में मोदी सरनेम लेकर जो आक्षेप किया गया था, उसके लिए गुजरात के सूरत की एक अदालत का फैसला आ गया, जिसमें राहुल गांधी को दो वर्ष की सजा सुनाई गई। परिणामस्वरूप लोकसभा से उनकी सदस्यता 23 मार्च, 2023 से रद्द कर दी गई। और, अब लोकसभा की आवास समिति ने 22 अप्रैल तक सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया है।

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द करने को लेकर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा पर आक्रामक है। यहां तक कि धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ कांग्रेस ने महात्मा गांधी का अनुसरण करते हुए सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के नेता और सरकार के वरिष्ठ मंत्रीगण कहते हैं कि यह तो न्यायिक प्रक्रिया है जिसमें छोटा-बड़ा कोई नहीं होता है। इसलिए कोर्ट ने जो उन्हें सजा सुनाई है, उसका पालन सभी को करना ही होगा। भाजपा का तो यह भी कहना है कि कांग्रेस में ऐसे भी नेता कई बैठे हैं जो नहीं चाहते कि राहुल गांधी संसद में रहें। सच जो भी हो, लेकिन भारतीय लोकतंत्र में कोई किसी का मुंह कब तक बंद करके रख सकता है?
विपक्षी दल कांग्रेस को एक महीने का समय है कि वह देश की न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास करते हुए उच्च और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है। चूंकि भारतीय न्यायपालिका पर सभी को भरोसा भी है, इसलिए यदि ऊपरी अदालत द्वारा राहुल गांधी को निर्दोष साबित कर दिया जाता है, तो फिर उन्हे जेल भी नहीं जाना होगा और उनकी लोकसभा की सदस्यता भी दुबारा बहाल हो जाएगी।
राहुल गांधी द्वारा अदाणी-प्रधानमंत्री के संबंधों का जो आरोप संसद और संसद के बाहर लगाया गया था, उसे पुष्ट करते हुए तथा विभिन्न विपक्षी दलों की एकता को मजबूती देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अदाणी तो मात्र फ्रंट पर है, उनके पीछे तो प्रधानमंत्री स्वयं खड़े हैं। अदाणी तो केवल धन का प्रबंध करते हैं, अगर जेपीसी की जांच हो गई तो पूरा सच सामने आ जाएगा। प्रधानमंत्री हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भी अदाणी को बचाने में लगे हैं। वर्ष 2014 में अदाणी की संपत्ति 50 हजार करोड़ थी, जो सात वर्ष में बढ़कर 11.50 लाख करोड़ रुपये हो गई।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश देख रहा है, भ्रष्टाचार में लिप्त सारे चेहरे एक मंच पर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने नौ वर्ष में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो अभियान चलाया है, उसने भ्रष्टाचारियों की जड़ें हिला दी हैं। कौन सच और कौन झूठ बोल रहा है, इसका पता तो किसी निष्पक्ष जांच एजेंसियों द्वारा जांच करने के बाद ही सामने आएगा, पर यदि जेपीसी द्वारा जांच नहीं कराने के लिए सरकार को आसमान सिर पर उठाने की क्या आवश्यकता है?
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अभी तो एक बार के ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ का असर है जिससे सत्तारूढ़ दल डरकर राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कराकर लोकसभा से बाहर कर दिया, वहीं दूसरी ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ राहुल गांधी द्वारा यदि शुरू कर दी जाती है, तो फिर सत्तारूढ़ भाजपा? वैसे, राहुल गांधी ने किसी भी तरह से माफी मांगने से इनकार कर दिया है और कहा है कि सरकार उन्हें जितना चाहे प्रताड़ित कर ले, लेकिन वह झुकेंगे नहीं और यह सवाल बार-बार उठाते रहेंगे कि आखिर सरकार से उद्योगपति अदाणी के क्या संबंध हैं।
अब पूरी सच्चाई तो तभी सबके सामने आएगी, जब उच्च अथवा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूरे विवाद को दूध-का-दूध और पानी-का-पानी की तरह साफ कर दिया जाएगा; क्योंकि कोई भी समीक्षक मात्र एकपक्षीय बातों को सुनकर अपनी भावना व्यक्त कर सकता है, इसलिए जब अदालत का फैसला आता है तभी स्थिति साफ हो पाती है। फिलहाल स्थिति तो 1977 के बेलछी प्रकरण के बाद इंदिरा गांधी के प्रति पैदा हुई सहानुभूति लहर और उसके बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने जैसी बन गई है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और अब संसद से उनका निष्कासन देश में उसी काल की सहानुभूति लहर के लौटने की याद दिला रहा है। इसलिए हमें न्यायपालिका के अगले आदेश की प्रतीक्षा तो करनी चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)