Rahul Gandhi’s Disqualification From Lok Sabha And Political Row: जब से जीवन में देश की राजनीति के संबंध में कुछ जानने-समझने की क्षमता विकसित हुई, तभी से देखता-सुनता आ रहा हूं कि ‘विपक्षी दलों के हंगामों के बीच संसद आज भी नहीं चली।’ लेकिन, आज जो कुछ सुन, पढ़ और देख रहा हूं, वह यह कि ‘सत्तारूढ़ दल के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही नहीं चली।’ देश में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ है जब सत्तारूढ़ भाजपा सांसदों और मंत्रियों ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा लंदनके कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University Of London) में दिए गए भाषण को विदेश की धरती पर देश का अपमान मानकर उन्हें संसद से निष्कासित अथवा माफी मांगने के मुद्दे पर हंगामा होता रहा। फिलहाल राहुल गांधी की संसद से सदस्यता आर्टिकल 102(1)(ई) के तहत 23 मार्च 2023 से समाप्त कर दी गई है । अब राहुल गांधी संसद सदस्य नहीं हैं ।
राहुल बोले- शायद महिलाओं को गैस सिलिंडर देना और बैंक अकाउंट खुलवाना अच्छा क़दम था
राहुल गांधी ने कहा कि ‘शायद महिलाओं को गैस सिलिंडर देना और लोगों के बैंक अकाउंट खुलवाना अच्छा क़दम है। ऐसे क़दम को ग़लत नहीं कहा जा सकता, लेकिन मेरे विचार में मोदी भारत की बनावट को बर्बाद कर रहे हैं। वह भारत पर एक ऐसा विचार थोप रहे हैं, जिसे भारत स्वीकार नहीं कर सकता।’ राहुल बोले, ‘भारत राज्यों का संघ है। भारत में धार्मिक विविधता है। यहां सिख, मुस्लिम, ईसाई सभी हैं, लेकिन मोदी इन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक समझते हैं। मैं इससे सहमत नहीं हूं। जब आपका विरोध इतना बुनियादी हो तो फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप किन दो-तीन नीतियों से सहमत हैं।’ राहुल ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या आप नरेन्द्र मोदी की उन अच्छी नीतियों के बारे में बता सकते हैं जो भारत के हित में हैं? राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में ‘लर्निंग टू लिस्निंग’, यानी सुनना सीखने के विषय पर छात्रों को लेक्चर दे रहे थे।
कांग्रेस ने पूछा- क्या विदेश दौरों में पीएम मोदी का बयान देश की तीन पीढ़ियों का अपमान नहीं है?
वहीं, विपक्षी कांग्रेस अन्य सोलह दल अडानी-हिंडनवर्ग मामले के लिए जेपीसी का गठन करके जांच कराने की मांग कर रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब विदेश की धरती पर भारत के लिए अपमानजनक जो बात कहते रहे है, उसके लिए वह भी माफी मांगें। राहुल गांधी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते ही देश और विदेश में कहना शुरू किया कि पिछले सत्तर वर्षों में कांग्रेस ने देश के लिए कुछ नहीं किया। तो क्या यह भारत की तीन पीढ़ियों का अपमान नहीं है? यही नहीं चीन, दोहा और कई देशों सहित दक्षिण कोरिया के दौरे पर वर्ष 2015 में जब वह गए थे, तो उन्होंने सियोल में अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘पहले मुझे और तमाम लोगों को शर्म आती थी कि कैसा देश है यह, जहां हम पैदा हो गए। जरूर पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा, लेकिन अब हमें गर्व है।’
वहीं, विपक्षी कांग्रेस अन्य सोलह दल अदाणी-हिंडनवर्ग मामले के लिए जेपीसी का गठन करके जांच कराने की मांग कर रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब विदेश की धरती पर भारत के लिए अपमानजनक जो बात कहते रहे है, उसके लिए वह भी माफी मांगें। राहुल गांधी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते ही देश और विदेश में कहना शुरू किया कि पिछले सत्तर वर्षों में कांग्रेस ने देश के लिए कुछ नहीं किया। तो क्या यह भारत की तीन पीढ़ियों का अपमान नहीं है? यही नहीं चीन, दोहा और कई देशों सहित दक्षिण कोरिया के दौरे पर वर्ष 2015 में जब वह गए थे, तो उन्होंने सियोल में अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘पहले मुझे और तमाम लोगों को शर्म आती थी कि कैसा देश है यह, जहां हम पैदा हो गए। जरूर पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा, लेकिन अब हमें गर्व है।’ सियोल में दिए गए भाषण को लेकर पीएम मोदी के खिलाफ सीएमएम कोर्ट कानपुर में परिवाद भी दाखिल किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों के दौरान भारतीय राजनीति, ख़ासतौर पर विपक्ष के बारे में की गई टिप्पणियों पर अब फिर से बहस छिड़ गई है। 6 जून, 2016 को क़तर की राजधानी दोहा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘मुझे दिक्कतें आई हैं, क्योंकि मैंने लोगों की मिठाइयां बंद करवा दी हैं और सरकारी स्कीमों और परियोजनाओं में धांधलियां रुकवाने से सालाना 36,000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है, लेकिन अभी हमने भ्रष्टाचार की ऊपरी सतह को ही साफ़ किया है और भीतर से सफ़ाई अभी शेष है।’ प्रधानमंत्री के इस बयान की कांग्रेस ने निंदा की थी और कहा था कि विदेश में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा विपक्ष की लगातार निंदा करते रहना, अब निराशाजनक होता जा रहा है।

देश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों का कहना है कि राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में ऐसी कोई बात नहीं कही, जिससे ऐसा लगता हो कि उन्होंने वहां भारत का अपमान किया। संसद में छह मंत्रियों और सत्तारूढ़ सांसदों ने राहुल गांधी के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, उन आरोपों का जवाब देना तो निश्चित रूप से राहुल गांधी के लिए बनता है; क्योंकि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं और उसकी मर्यादा का तो सभी को पालन करना ही होगा, लेकिन यदि सच में विदेशी धरती पर भारत की गरिमा को राहुल गांधी ने आहत किया है, तो निश्चित रूप से उसके लिए पहले एक सशक्त विश्वसनीय टीम का गठन करके उनकी सत्यता को परखना ही पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भारतीय लोकतंत्र से आमलोगों का विश्वास घट जाएगा। इसलिए आमलोगों के बीच और विशेष रूप से सोशल मीडिया पर यह विवाद छिड़ा हुआ है कि राहुल गांधी के इस मुद्दे को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है?
जवाब में कहा जाता है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि इस नए विवाद को उठाकर सरकार उस मुद्दे से ध्यान हटा सके, जिसका आरोप सांसद और सांसद के बाहर राहुल गांधी ने लगाया है। सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने तो यहां तक कह दिया कि रहूल गांधी को देश से बाहर निकल दिया जाए। इसे हास्यास्पद बताते हुए कांग्रेस के नेता कहते हैं कि साध्वी का यह बयान गैर मर्यादित है। राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि उनके ऊपर संसद में जो आरोप लगाए जा रहे हैं, चूंकि वह संसद सदस्य हैं, इसलिए उसका जवाब वह संसद में ही देंगे। पत्रकारों से उन्होंने यह भी कहा कि उसके बाद विस्तृत जानकारी आपसे साझा करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह एक संस्मरण के माध्यम से कहते हैं कि आजादी के बाद से अलग-अलग मुद्दों पर कई सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। पहला मामला एचजी मुद्गल का था, जिसे मुंबई की कार्यपालिका से प्रश्न के बदले धन स्वीकार करने के आधार पर वर्ष 1951 में संसद से बाहर कर दिया गया था। जून 1951 में भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया और अटॉर्नी जनरल से समिति की सहायता करने का अनुरोध किया गया। अंतत: जब मुद्गल के निष्कासन का प्रस्ताव सदन के समक्ष लाया गया, तो संबंधित सदस्य को चर्चा में भाग लेने की अनुमति दी गई। अपने भाषण के तुरंत बाद मुद्गल मंच पर गए और अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि, इस इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया और उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया। इस मामले की एक खास बात यह थी कि जब मुद्गल को निष्कासित किया गया था, तब पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ अम्बेडकर और संविधान सभा के अधिकांश दिग्गज मौजूद थे। मुद्गल ने अपने निष्कासन को कभी चुनौती नहीं दी। राहुल गांधी के मामले में भ्रष्टाचार का मुद्दा तो नहीं है, लेकिन तथाकथित विदेश की धरती पर भारत को अपमानित करने का जो आरोप है, क्या उसका उत्तर संसद में राहुल गांधी को देने का अवसर दिया जाएगा?

भाजपा के लिए मोदी-अडाणी के संबंधों के बारे में न बताना नागफांस बन गया है। अब कांग्रेस को तो संसदीय गरिमा का पालन करना ही होगा, तब तक जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यों की कमेटी की और सेबी की जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है। कांग्रेस को रिपोर्ट का इंतजार तो करना ही चाहिए कि आखिर दोनो की जांच रिपोर्ट क्या कहती है। सच तो यह है कि कांग्रेस, अडाणी और प्रधानमंत्री मोदी के संबंधों को बेनकाब करना चाहती है। यह बात समझ में नहीं आती कि आखिर यदि सरकार की मंशा साफ है, तो सत्तारूढ़ भाजपा को यह बताने में क्या परेशानी है कि प्रधानमंत्री और अडाणी के बीच कोई संबंध नहीं है और प्रधानमंत्री ने देश और विदेशों में अडाणी की कोई मदद नहीं की है। तो फिर भाजपा इतना परेशान क्यों है कि संसद को बाधित कर कामकाज के समय को बर्बाद कर रही है। इस हंगामे के बाद देश की जनता की समझ में यह बात अब धीरे-धीरे आती जा रही है कि भाजपा द्वारा पिछले नौ वर्षों तक तरह-तरह के जो वादे किए गए, वे सारे के सारे चुनावी वायदे ही थे और सच में कांग्रेस जिन संबंधों की बात कर रही है, उसकी दाल में कुछ काला तो जरूर है, जैसा की कांग्रेस ने आरोप लगाया है।
दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस इस बात के लिए कटिबद्ध है कि जब तक जेपीसी का गठन नहीं हो जाता, वे संसद को चलने नहीं देंगे, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा भी इस बात के लिए कटिबद्ध है कि जब तक राहुल गांधी विदेशी धरती पर भारत के लिए जो टिप्पणी की है, उसके लिए माफी नहीं मांगते, वे भी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। अब जिन्होंने इन नेताओं को अपने हित के लिए चुनकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजा है उन्हे अपने कृत्य पर पछताना तो पड़ेगा ही, उन्हें हाथ तो मलना ही होगा, सिर तो धुनना ही होगा ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)