
आज हम उस बुरे दौर में हैं, जिसका आकलन कोई नहीं कर रहा या करना नहीं चाहता। कोई किसी को…
मशीन और कल-कारखानों के कारण लोगों की निर्भरता एक-दूसरे पर कम हुई है। ऐसे में सामाजिकता की भावना का लोप…
शिक्षा संस्थानों के नियामकों ने बिना अधिक सोच-विचार किए ही ई-शिक्षा के कार्यक्रम जारी कर दिए। अब भी इस मसले…
राजनीति की छांव में लगभग सभी राज्यों में पुलिस और प्रशासन लीपापोती करता दिखता है। हमारी व्यवस्था की टालमटोल, लापरवाही…
किसी भी काम को अच्छे से सीखने-समझने के लिए ठहराव का होना थोड़ा जरूरी होता है। छोटा मार्ग आकर्षित जरूर…
मोती की आभा वाले और सितारों के आकार के ये नन्हे-नन्हे फूल इतने क्षणभंगुर न होते तो फूलों से किसी…
सब कुछ इतने पर सिमट आया था। एक नैराश्य और अवसाद भरता जा रहा था। ऐसा बंधन कभी महसूस नहीं…
आज के परिदृश्य में माता-पिता जरूरत से ज्यादा फिक्रमंद हैं। हमेशा बच्चे को अपनी नजरों के सामने रखना चाहते हैं।…
अनुभूतियों के साथ हर क्षण हमारा साक्षात्कार होता रहता है। अनुभूतियों की सघनता जब हमारे अंतर्मन को स्पर्श करती है…
यह चिंतन करने का समय तो है ही कि हम ये कैसी कुसंगति में फंस गए कि दैनिक जीवन से…
बहरहाल, विकास अपने रास्ते मेरे गांव भी पहुंचा था, जिसकी वजह से अब यह शहर बन कर जिला बन गया…
फेरीवाले अपनी किस्म-किस्म की आवाजों और बोलियों के बहाने भाषा को समृद्ध बनाते थे। सच्चे अर्थों में वे भाषा का…