
भारतीय ज्ञान परंपरा में विचार का सरल अर्थ यह है कि बड़े ठहराव के साथ अपने आसपास की दुनिया समझें…
इक्कीसवीं सदी के पहले बीस साल गुजरने को आए, पर्यटक धरती के रमणीक स्थलों से उठ कर व्योम में सैर…
मौजूदा दौर में एक तरह से जिंदगी की इबारत बदल रही है। शायद इसी को कालचक्र कहते हैं। निश्चित तौर…
कुछ रोज पहले भयंकर आंधी चली तब आमों के पेड़ों से कुछ कच्चे आम धरती पर टपक पड़े। वहीं अधिक…
रिक्शा पर बैठे-बैठे या फिर अपने गंतव्य पर पहुंच कर भी अगर हमें एक क्षण के लिए भी लगे कि…
डाकखाने से पहले का जमाना तो हरकारों का था, जो किसी राजा के संदेश उनके सूबेदारों तक पहुंचाते या किसी…
पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें अक्सर पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं कि अमुक आदमी ने चांद पर जमीन खरीदी…
फिल्मों और नाटकों की प्रस्तुति में प्रसंग, वातावरण और चरित्र के अभिनय में निहित रस भाव की प्रभावी निष्पत्ति के…
बच्चों को सब कुछ बता देने के चक्कर में हम बड़े अनजाने में ही बहुत कुछ वह भी कर रहे…
शैक्षिक संस्थानों से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे विद्यार्थियों को बेहतर किताबें उपलब्ध करवाएंगी। पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति…
रामचंद्र शुक्ल की एक कविता है ‘बसंत पथिक’। प्रसंगवश उसकी कुछ पंक्तियां हैं- ‘देखा पथिक ने दूर कुछ टीले सरोवर…
कई बार ऐसा लगता है कि यह दुनिया जैसे-जैसे प्रगति और विकास की सीढ़ी चढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मानव…