
मेरे एक करीबी रिश्तेदार हैं। वे अपनी उम्र की प्रौढ़ावस्था में पहुंच चुके हैं और अच्छे-खासे पढ़े-लिखे हैं।
कुदरती तौर पर हम अलग-अलग बने हुए हैं, इसलिए हरेक मनुष्य के सोचने-समझने और बोलने का ढंग अलग-अलग है।
ऑनलाइन शिक्षा के लिए सिर्फ एक स्मार्टफोन की जरूरत नहीं रहती है। उसके लिए हर महीने कम से कम ढाई…
पिछले दिनों मुझे बीते और वर्तमान समय में निकलने वाली विभिन्न पत्रिकाओं को एकत्रित करने की जरूरत पड़ी।
भूल गया था पुरानी उबड-खाबड़ सड़क को। पहली बार लंबी-चौड़ी चमचमाती सड़क पर स्कूटर दौड़ रहा था।
वर्षों से मनुष्य ने हथियारों की होड़ को भय की बुनियाद माना है।
देश के नव-निर्माण के लिए मेहनत का कोई अर्थ नहीं रह गया है। यह बात पिछले दिनों कुछ इस प्रकार…
पेड़ों को ईश्वर मानने की परंपरा न जाने कब से चलती आ रही है। महात्मा बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे…
जिस दौर में हर तरफ जिंदगी की भूख में लोग उम्मीद के सहारे सुबह-शाम गुजार रहे हैं, उसमें पिछले दिनों…
मनुष्य ने अपने अस्तित्व के आरंभ से आज तक जो भी संचित किया है, उसमें अन्य चीजों के साथ कुछ…
कुछ समय पहले परिवार के ही करीबी एक बुजुर्ग ने सुबह फोन किया। किसी वजह से फोन नहीं उठा पाया…