प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को नैशनल हेरल्ड धनशोधन मामले में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। परिवार के खिलाफ यह इस तरह की पहली कार्रवाई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कुछ दिन पहले ही एजंसी ने 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया था। इन संपत्तियों को एजंसी ने कांग्रेस के नियंत्रण वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ धनशोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में कुर्क किया था। एजेएल नैशनल हेरल्ड अखबार का संचालन करती है। यह आरोपपत्र प्रवर्तन निदेशालय द्वारा व्यवसायी और राहुल के बहनोई राबर्ट वाड्रा को समन भेजे जाने और हरियाणा भूमि सौदे से जुड़े 2008 के धनशोधन मामले में उनका बयान दर्ज करने के कुछ घंटों बाद दायर किया गया।

प्रवर्तन निदेशालय ने नैशनल हेरल्ड अखबार के मालिक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से जुड़े कथित धनशोधन मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। पिछले दिनों दिल्ली की एक विशेष अदालत ने मामले पर विचार के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की है। शिकायत धनशोधन निवारण अधिनियम की धारा 44 और 45 के तहत दर्ज की गई है। पूरक आरोपपत्र में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी के विदेश प्रमुख सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया है। अन्य नाम यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और सुनील भंडारी हैं।

अदालत ने कहा, वर्तमान अभियोजन शिकायत को संज्ञान के पहलू पर विचार के लिए अगली बार 25 अप्रैल को इस अदालत के समक्ष लिया जाएगा, जब ईडी और आइओ के विशेष वकील अदालत के अवलोकन के लिए केस डायरी सुनिश्चित करेंगे।

दागी संपत्तियां कुर्क की गईं

पिछले सप्ताह, ईडी ने मामले में कथित दागी संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया के तहत संपत्ति रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था, जो बांद्रा (पूर्व) मुंबई, बहादुर शाह जफर मार्ग, दिल्ली और बिशेश्वर नाथ रोड, लखनऊ में हैं। एजंसी ने जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी एजंसी को मासिक किराया हस्तांतरित करने के लिए नोटिस दिया, क्योंकि यह बांद्रा में इमारत में सातवीं, आठवीं और नौवीं मंजिल पर है। ईडी ने कहा, व्यापक जांच के बाद इन संपत्तियों को जब्त किया गया, जिसमें 988 करोड़ रुपए की आपराधिक आय के सृजन, कब्जे और उपयोग का पता चला। इसमें कहा गया है, अपराध की आय को सुरक्षित करने और आरोपी को इसे नष्ट करने से रोकने के लिए दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में स्थित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की अचल संपत्तियों, जिनकी कीमत 661 करोड़ रुपए है, के साथ-साथ एजेएल के 90.2 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों को 20 नवंबर, 2023 को अनंतिम कुर्की आदेश जारी करके कुर्क किया गया।

आपराधिक साजिश

वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक निजी शिकायत के बाद पटियाला हाउस कोर्ट मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट द्वारा जारी जून 2014 के आदेश के आधार पर ईडी की जांच 2021 में शुरू हुई। आरोपियों ने कई मौकों पर आरोपों का खंडन किया है। एजंसी ने कहा, शिकायत में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत मोतीलाल वोहरा, दिवंगत आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और एक निजी कंपनी यंग इंडियन सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से संबंधित 2,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की संपत्तियों की धोखाधड़ी से अधिग्रहण से संबंधित धनशोधन मामले में कथित रूप से शामिल होने के लिए एक आपराधिक साजिश को उजागर किया गया है।

ईडी के अनुसार, जांच से निर्णायक रूप से पता चला है कि सोनिया और राहुल गांधी के स्वामित्व वाली एक निजी कंपनी यंग इंडियन ने मात्र 50 लाख रुपए में 2,000 करोड़ रुपए की एजेएल की संपत्तियां हासिल कीं। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल 18 करोड़ रुपए के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपए के फर्जी अग्रिम किराए और 29 करोड़ रुपए के फर्जी विज्ञापनों के रूप में अपराध की आय जुटाने के लिए किया गया था।
कोई धर्मार्थ गतिविधि नहीं

एजंसी के अनुसार, सोनिया और राहुल गांधी के पास यंग इंडियन में 76% बहुमत हिस्सेदारी थी, जबकि शेष हिस्सेदारी दिवंगत वोरा और फर्नांडिस के पास थी। एक अधिकारी ने आरोप लगाया, यद्यपि यंग इंडियन को एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में शामिल किया गया था, लेकिन जांच से पता चला कि कंपनी में ऐसी कोई धर्मार्थ गतिविधि नहीं थी, इसके अस्तित्व के कई वर्षों के दौरान इसकी घोषित धर्मार्थ गतिविधियों के लिए कोई खर्च नहीं था। जांच के दौरान, ईडी ने कथित तौर पर पाया कि एजेएल ने 2008 में अपना प्रकाशन कार्य बंद कर दिया था, हालांकि इसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) को 90.21 करोड़ रुपए का ऋण चुकाना था, लेकिन एआइसीसी ने ऋण को वसूली योग्य नहीं माना और इसे यंग इंडियन को सिर्फ 50 लाख रुपए में बेच दिया।

ऋण खरीदने के बाद, यंग इंडियन ने या तो पुनर्भुगतान या एजेएल के इक्विटी शेयरों की मांग की। एजेएल की असाधारण आम बैठक में शेयर पूंजी बढ़ाने और यंग इंडियन को 90.21 करोड़ रुपए के नए शेयर जारी करने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिससे अन्य शेयरधारकों की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 1 % रह गई, जैसा कि पहले आरोप लगाया गया था।