सेहत को लेकर यह नसीहत पुरानी है कि नींद अच्छा तो स्वास्थ्य भी अच्छा। पर बहुत कम ही लोग हैं जो नींद और सेहत के संबंध की गंभीरता को समझते हैं। मौजूदा जीवनशैली तनाव बढ़ाने वाली है। साथ ही खानपान को लेकर भी लोग ज्यादा सतर्क नहीं रहते है। साथ ही अपेक्षित शारीरिक श्रम का भी लोगों के जीवन में अभाव है। इन सबका असर नींद पर पड़ता है। आज ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो रात में ठीक से सो नहीं पाते हैं। इस कारण लोग तेजी से कई गंभीर बीमारियों के भी शिकार हो रहे हैं। अच्छी नींद के लिए हमें सबसे पहले अपनी जीवनशैली में सुधार करना होगा और कुछ बातों का सख्ती से नियमित पालन करना होगा।

सबसे पहले तो अगर आपको नींद नहीं आने या अनिद्रा की शिकायत है तो किसी भी तरह के नशे से दूर रहें। नशा करके नींद लाना सेहत के लिए सबसे नुकसानदेह होता है। इसी तरह शाम होने के बाद ज्यादा चाय-कॉफी से दूर रहें तो बेहतर होगा। सोने जाने के एक घंटे पहले रात का खाना जरूर खा लें। रात को हल्का और सुपाच्य भोजन लें। नींद की समस्या ज्यादा परेशान कर रही है तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें क्योंकि यह किसी और बीमारी का भी लक्षण हो सकता है।

दिमागी बोझ
सुबह की सैर करते हुए ईयरफोन लगा कर गाना सुन रहे हैं तो गाड़ी चलाते हुए न्यूज पोर्टल खोलकर पर राजनीतिक बहस, खाना खाते वक्त फेसबुक पर इसका जवाब दे रहे हैं कि ‘आपके दिमाग में क्या है’ तो दफ्तर जाने के पहले इंस्टाग्राम को भी अद्यतन करना ही है। बीच में टीवी देखना और वाट्सऐप पर इधर-उधर की बातें पढ़ना और भेजना।

बिस्तर पर जाने के बाद सोशल मीडिया के किसी बहस में उलझ जाना। आपने दिमाग को एक मिनट के लिए खाली छोड़ा ही नहीं है तो फिर नींद पर उन सूचनाओं का एक साथ हमला होने लगता है। दरअसल, आपको कौन सी सूचना कहां से और कैसे ग्रहण करनी है इसकी प्राथमिकता तय करेंं। सोशल मीडिया के हर मंच पर हमेशा मौजूदगी दर्ज करानी जरूरी नहीं है। बिस्तर पर सोने जाने के एक घंटा पहले किसी भी तरह के स्क्रीन और सोशल मीडिया से दूरी बना लें। अपनी मनपसंद कोई हल्की-फुल्की किताब पढ़ें और किसी भी तरह की विवादित बात न सोचें।

काम और आराम
बहुत लोगों की मजबूरी है कि उन्हें बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है तो कुछ लोगों को लगता है कि ज्यादा से ज्यादा काम करना ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है। लेकिन यह आपकी मजबूरी हो या चुनाव, इसका हल तो आपको ही निकालना होगा। कुछ लोगों को सात से आठ घंटे सोना समय की बर्बादी लगती है। लेकिन आप देखेंगे कि अगर काफी दिनों तक ढंग की नींद नहीं लेते हैं तो आपका शरीर किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाता है और डॉक्टर आपकी पर्ची पर बिस्तर पर आराम लिख देते हैं। फिर आपको मजबूरी में बिस्तर पकड़ना पड़ता है। तो ऐसी स्थिति आने से पहले अपने बिस्तर पर पर्याप्त समय दिया करें।

अनावश्यक तनाव
नौकरी के तनाव का भी बहुत असर नींद पर पड़ता है। तो यह सोच लें कि तनाव लेने भर से कोई काम आसान नहीं हो जाता है। नौकरी को लेकर अति संवेदनशील रहने वाले लोग भी अनावश्यक तनाव लेते हैं। एक समय नौ से पांच की नौकरी का मजाक उड़ाने वाली पीढ़ी आज चौबीस गुणे सात के जाल में उलझ गई है। लेकिन अब लोग सेहत और काम के बीच के तनाव के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं।

शारीरिक श्रम
अच्छी नींद के लिए शरीर का थकना बेहद जरूरी है। अपनी सेहत और रुचि के हिसाब से कोई भी शारीरिक गतिविधि चुन लें। अगर वक्त निकाल सकते हैं तो सुबह और शाम दोनों की सैर करें। जो लोग दौड़ सकते हैं वो तो ऐसा करें ही।

किसी एक व्यायाम को चुन लें और उसे हफ्ते में कम से कम पांच दिन जरूर करें। शुरुआत में व्यायाम हल्का ही रखें और धीरे-धीरे क्षमता बढ़ाते चलें। अगर कोई नृत्य पसंद हो तो वो भी एक बेहतरीन कसरत है। नृत्य शरीर के साथ दिमाग को भी तनावमुक्त करता है। लेकिन अपने शरीर को इतना भी न थका लें कि सारी रात दर्द से ही नींद न आए।