वायु प्रदूषण को गंभीर खतरे के तौर पर लेने के लिए नए सिरे से पहल शुरू हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेढ़ दशक बाद वायु गुणवत्ता से जुड़े दिशानिर्देश में बदलाव करते हुए कहा है कि हर साल वायु प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य एजंसी के नए मानकों के हिसाब से दुनिया की 90 फीसद से ज्यादा आबादी और दक्षिण एशिया की लगभग पूरी आबादी तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण वाली हवा में सांस लेती है। भारत ने आखिरी बार वायु गुणवत्ता मानकों में 2009 में बदलाव किया था। फिलहाल नए मानकों पर विचार हो रहा है।

इन दिनों फिर से खबरें आ रही हैं कि दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई शहरों की आबोहवा की गुणवत्ता लगातार खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। गौरतलब है कि भारत में 2019 में वायु प्रदूषण से 16.7 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से एक लाख से अधिक की उम्र एक महीने से कम थी। अमेरिका के एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से कराए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआइ) ने वायु प्रदूषण का दुनिया पर असर को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि भारत में स्वास्थ्य पर सबसे बड़ा खतरा वायु प्रदूषण है। साफ है कि यह प्रदूषण अब सबके लिए बड़ी समस्या बन चुकी है और इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम इस बात को लेकर जागरूक बनें कि इन हालात में खासतौर पर आंंखों की देखभाल कैसे की जाए।

आंखों की फिक्र
आंख हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील और अहम हिस्सा माना जाता है, लिहाजा वायु प्रदूषण के खतरों के बीच इसकी फिक्र सबसे जरूरी है। इसके लिए सबसे आवश्यक है कि हम स्क्रीन डिवाइस, जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप का उपयोग लंबे समय तक न करें।

अगर आपकी आंखें असहज महसूस कर रही हैं तो इस स्थिति में आंखों का मेकअप न ही करें तो अच्छा होगा। खासतौर पर काजल अक्सर आंखों की एलर्जी को बढ़ा देता है और इससे आंखों में संक्रमण भी हो सकता है। अगर किसी कारण थोड़ा-बहुत मेकअप करना भी पड़े तो सोने से पहले विशेष आई-मेकअप रिमूवर का इस्तेमाल करते हुए उसे पूरी तरह हटाना न भूलें।

हवा की गुणवत्ता में कमी आने से आंखों में खुजली या लाली छाने की समस्या आम बात है। विशेषज्ञों की सलाह है कि ऐसे में ‘कांटैक्ट लेंस’ का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। अगर जरूरी हो तो ‘प्रोटेक्टिव ग्लास’ का इस्तेमाल करें। साथ ही आंखों को लेकर आप ज्यादा परेशानी या असहजता महसूस कर रहे हैं तो तत्काल नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।

खानपान पर ध्यान
वायु प्रदूषण के कारण बढ़े सेहत के खतरों को न्यूनतम करने के लिए जरूरी है कि ओमेगा-3 और एंटीआक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पालक, बादाम, अखरोट और जामुन से युक्त स्वस्थ आहार लेने की आदत डालें। इनसे आंखों के साथ बाकी शरीर को भी अपेक्षित पोषण मिलेगा। इस तरह का आहार लेने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है। इसके अलावा शरीर में पानी की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए।

हमेशा रखें ध्यान
-आंखों की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है कि जब भी हम धूप में या ऐसी जगह पर जाएं, जहां धूल ज्यादा हो, तो धूप के चश्मे का प्रयोग जरूर करें। कहने की जरूरत नहीं कि धूप के चश्मे तीखी धूप से ही नहीं प्रदूषित आबोहवा में भी हमारी आंखों की रक्षा करते हैं।

-ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि जब भी उनकी आंखों में कुछ चला जाता है या हल्की सी भी खुजली होती है, तो वे अपनी आंखें मलने लगते हैं। जब हमारे हाथ गंदे होते हैं और हम अपनी आंखों को उनसे छूते हैं, तो संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।

-जब भी कहीं बाहर से आएं तो अपनी आंखें ठंडे व साफ पानी से धोएं। आप अगर चाहें तो आंखों में गुलाबजल भी डाल सकते हैं। सबसे अहम हिदायत है कि आंखों में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर फौरन डाक्टर से संपर्क करें, क्योंकि आंखें बेहद नाजुक होती हैं। ऐसे में आंखों के साथ की गई थोड़ी सी भी लापरवाही आपको मुसीबत में डाल सकती है।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)