हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने हरियाणा भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि वह काम करने के बजाय सिर्फ चेहरा बदल रही है तो लोग वहां की सरकार बदल देंगे। हुड्डा ने पुरजोर दावा किया कि लोकसभा चुनाव में हरियाणा भाजपा ‘हाफ’ हुई है तो विधानसभा में वह ‘साफ’ हो जाएगी। लोकसभा चुनाव में हरियाणा में इंडिया गठबंधन का वोट फीसद सबसे ज्यादा बढ़ा है जिस वजह से राज्य कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि जनता उसकी वापसी चाहती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई होगी जिसमें कांग्रेस बहुमत से अपनी सरकार बनाएगी। दिल्ली में भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
‘लोकसभा का चुनाव हो चुका है और हरियाणा के नतीजे चौंका भी चुके हैं। बजरिए हरियाणा कांग्रेस के हौसले पूरी तरह बुलंद हैं। संभवत: अक्तबूर तक राज्य में विधानसभा चुनाव का एलान हो सकता है। हरियाणा के संदर्भ में कांग्रेस पार्टी जो लक्ष्य लेकर चल रही थी क्या आपको लगता है कि वह पूरा हो गया है?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- जी, बिल्कुल। हमारा प्रदर्शन शानदार रहा। पार्टी ने इस चुनाव को गंभीरता से लिया था। हमने आपसी रायमशविरे और आलाकमान की निगहबानी में बहुत अच्छे उम्मीदवार चुने थे। आप तो जानते ही हैं कि यहां हमारी कोई सीट नहीं थी। हम शून्य सीट पर थे और हमने पांच जीती हैं। भाजपा जो पहले दस सीटों पर थी उसकी पांच कम हो गई हैं। सूबे की लोकसभा की आधी सीटें जीत लेने के अलावा जो सबसे अहम है, वह कांग्रेस का वोट फीसद में इजाफा होना। ‘इंडिया’ गठबंधन का जो वोट फीसद है वह अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा बढ़ा तो वह है, हरियाणा। पूरे देश में, हरियाणा में सबसे ज्यादा है मतलब 47.6 फीसद। उसके बाद तमिलनाडु में, फिर कर्नाटक में है। लेकिन, जो सबसे ज्यादा है वह हमारे यहां है। 2019 की तुलना में देखा जाए तो वोट फीसद के इजाफे में सबसे लंबी छलांग भी हरियाणा में है। 19 और 20 फीसद के करीब है। जहां तक 2019 की बात थी तब हमारा 28 फीसद वोट शेयर था। अब 47.62 है। मतलब लगभग 48 फीसद लगा लीजिए। 48 फीसद, यानी लगभग 20 फीसद का इजाफा है। इससे हमारे भविष्य को लेकर संकेत आता है। हमें जनता की तरफ से सीधे दिशानिर्देश दे दिया गया है। हरियाणा की जनता का जनादेश है कि वह कांग्रेस के साथ चलना चाहती है। छत्तीस बिरादरियों ने तय कर लिया है कि राज्य में आने वाली सरकार कांग्रेस की बनाएंगे।
‘कुछ समय पहले यह अवधारणा बनाने की कोशिश की गई कि जनता राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट देने की ओर बढ़ चली है। लेकिन, हर जगह देखा गया कि मतदान के दौरान जाति-बिरादरी काफी मायने रखती हैं। टिकटों के बंटवारे में भी इस तरह के समीकरण बनाए जाते हैं। क्षेत्रीय क्षत्रपों को खास जाति और बिरादरी की अगुआई करने वालों के तौर पर देखा जाता है। हरियाणा में भी कहा जा रहा है कि जाट बिरादरी का एक बड़ा तबका आपके साथ आ गया है। इसे लेकर आपका क्या कहना है?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- हमारे विरोधी तो इस तरह की बातें करते ही रहते हैं। ऐसी बातें करने वालों को जमीनी हकीकत का कुछ भी पता नहीं है। खास कर हरियाणा की जनता राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक है। यहां कांग्रेस को एक समग्र राजनीतिक शक्ति के तौर पर देखा जाता है। मैं तो कांग्रेस परिवार से हूं। हमें तो छत्तीस बिरादरी के लोगों ने वोट दिया क्योंकि हम जाति की नहीं मुद्दों की राजनीति करते हैं।
’ हरियाणा की अगुआई मनोहर लाल खट्टर कर रहे थे। उनके कार्यकाल के दस साल पूरे होने के पहले उन्हें बदल कर मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी को लाया गया। क्या आपको लगता है कि हरियाणा की जनता खट्टर से वाकई नाराज थी? और जनता की नाराजगी के जवाब में इस चेहरा बदलने के चलन को आप किस तरह से देखते हैं? वह भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल के अंतिम दौर में?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- यह तो जाहिर सी बात है कि उन्होंने अपनी विफलता छुपाने के लिए इस तरह की कोशिश की। लेकिन, जनता को भी पता है कि चेहरा सिर्फ चेहरा बदलने के लिए है। लोग कहते हैं कि तुम चेहरे बदलते रहो, हम सरकार ही बदलेंगे। यह बहुत साफ संकेत है। पिछली बार 2019 में 79 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने अगुआई की थी। दस क्षेत्रों में कांग्रेस तो एक सीट में जजपा ने अगुआई की थी। नतीजा क्या निकला? दस के तो हम 31 बने, भाजपा जो 79 थी वो 40 में सिमट कर रह गई। आप अंदाजा लगाइए कि जब हम दस थे और लीड कर रहे थे विधानसभा में। आज हम बहुमत के रूप में विधानसभा क्षेत्रों में अगुआई कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।
‘हरियाणा के आनेवाले विधानसभा चुनाव में मुकाबले की शक्ल आप किस तरह देख रहे हैं? यह सीधा-सीधा कांग्रेस बनाम भाजपा होगा या जजपा व अन्य शक्तियों के साथ बहुकोणीय भी हो सकता है?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बनाम भाजपा का ही मुकाबला है। बाकी कोई शक्ति अब प्रासंगिक नहीं रह गई है। बाकी तो आपने देख लिया कि किसी का एक फीसद वोट शेयर है तो किसी का पौना फीसद। जनता ने लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के लिए पूरा संकेत दे दिया है। कांग्रेस और भाजपा की आमने-सामने की सीधी लड़ाई है।
‘भाजपा ने अपने पिछले दो कार्यकाल में डबल इंजन की सरकार का नारा दिया। यानी केंद्र में नरेंद्र मोदी का चेहरा और राज्य में क्षेत्रीय। अब इन हालात में आप ‘डबल इंजन’ के दावे को किस तरह देखते हैं?
’भूपिंदर सिंह हुड्डा- एक इंजन तो इस बार फेल हो गया, जो भी लोगों से वायदा किया था वो पूरा किया नहीं।
‘कौन सा इंजन फेल हो गया? केंद्र वाला या राज्य वाला?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- अब लोकसभा चुनाव के नतीजों का फर्क तो दोनों पर पड़ता है। लेकिन, जो आप विधानसभा चुनाव की बात कर रहे हैं तो राज्य में तो यह फेल हो ही गया है। आप तो राज्य चुनाव की बात कर रहे हैं?
‘जी मैं आनेवाले विधानसभा चुनाव की ही बात कर रहा हूं।
भूपिंदर सिंह हुड्डा- हां, तो जब ये दोनों का चुनाव था तब देखिए क्या हुआ? भाजपा की यहां पर पहले दस सीट थी। भाजपा हो गई हाफ और विधानसभा में हो जाएगी साफ।
‘कांग्रेस में अक्सर आंतरिक कलह और फूट का आरोप लगता है, जिससे पार्टी को नुकसान होता है। हाल में किरण चौधरी पार्टी को छोड़ कर चली गई हैं। उनकी बेटी भी छोड़ कर चली गई हैं। कांग्रेस में ही कुछ लोगों का आरोप है कि पार्टी इन नेताओं की उपेक्षा कर रही थी, और इसी वजह से इन्हें भाजपा का दामन थामने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भूपिंदर सिंह हुड्डा- यह तो साफ-साफ देखने की बात है कि आंतरिक कलह या फूट किस पार्टी में है? भाजपा के दो ‘सिटिंग एमपी’ कांग्रेस में आ गए। आज की तारीख में 42 के करीब भूतपूर्व एमलए और एमपी भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस पार्टी में आ चुके हैं। आप एक-दो की बात कर रहे हैं और मैं आपको 42 लोगों के उदाहरण दे रहा हूं। कांग्रेस का एक नेता छोड़ कर चला जाता है तो हर तरफ आंतरिक कलह की चर्चा होती है। लेकिन, जिस पार्टी के 42 लोग छोड़ कर चले गए उनके यहां के आंतरिक कलह पर हल्ला क्यों नहीं मचता है? क्या पूरे चुनाव में अनिल विज भाजपा के लिए प्रचार करते दिखे? क्या इतने अहम चुनाव में अनिल विज का नहीं दिखना, भाजपा के आंतरिक कलह की बात नहीं है? चुनाव में अदृश्य से रहे अनिल विज पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है? कांग्रेस में किसी भी तरह की कलह और फूट की कोई बात नहीं है। पार्टी आलाकमान जो फैसला करते हैं वह सभी को मानना पड़ता है।
‘हाईकमान का फैसला ही अंतिम होता है, सब अनुशासन से चलना मानते हैं?
’’बिल्कुल। कांग्रेस सबसे अनुशासित और लोकतांत्रिक पार्टी है। यहां सभी अपनी बात कहते हैं और फिर हाईकमान के आदेश को मानते हैं।
‘क्या कांग्रेस हाईकमान अंतिम पंक्ति तक के कार्यकर्ताओं को यह संदेश पहुंचाने में कामयाब रहा है कि सबको समान अवसर मिलेगा? भूपिंदर सिंह हुड्डा- बिल्कुल। यहां अभी हुए चुनावों में प्रदर्शन को ही योग्यता माना गया। विधानसभा चुनाव में भी इसी आधार पर उम्मीदवार चुना जाएगा कि प्रदर्शन के आधार पर किनके जीतने की संभावना ज्यादा है?
‘लोकसभा चुनाव को लेकर हरियाणा की बात करें तो क्या आप अपने प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट हैं या मानते हैं कि कुछ कमी रह गई?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- जी, यह बात तो बता ही चुका हूं कि पूरे हिंदुस्तान की तुलना में हरियाणा में ‘इंडिया’ का वोट फीसद बढ़ा है। हमारा प्रदर्शन पूरे विपक्ष के लिए हौसला है।
‘लंबे समय तक चले किसान आंदोलन ने तात्कालिक राजनीति को बहुत ज्यादा प्रभावित किया। किसानों और केंद्र सरकार के सीधे टकराव ने विपक्ष को एकजुट होने की जमीन दी। किसान आंदोलन में हरियाणा का मजबूत दखल भी रहा। आपका क्या मानना है कि इस संदर्भ में भाजपा से कहां कमी रह गई?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- किसानों से किए वादे पूरे नहीं किए। किसानों को वादा किया था कि 2022 तक हम आमदनी दोगुनी कर देंगे। आमदनी तो दोगुनी नहीं हुई, खेती में निवेश दोगुना जरूर हो गया। एमएसपी उस अनुपात में नहीं बढ़ा। अब जैसे धान के एमएसपी में पांच फीसद का इजाफा किया है। लेकिन खेती करने में निवेश सीधे 20 फीसद बढ़ गया एक साल में। आप खुद ही देखिए न, 2014 में बीज का क्या भाव था और आज क्या भाव है? खाद का क्या भाव था और आज क्या भाव है? कीटनाशकों का क्या भाव था और आज क्या भाव है? खेती में लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। किसान कर्ज में डूब गया है। इसलिए उनकी मांग थी कि एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाए। वो भाजपा का वादा था पहले, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के संदर्भ में। उसने कहा था कि वह इसे देगी। आज भी यही है। अब हालात बदल गए हैं। मजबूत विपक्ष आया है तो हम पूरा प्रयास करेंगे और सरकार को मजबूर करेंगे कि हरियाणा में एमएसपी को कानूनी गारंटी मानी जाए।
‘हरियाणा के जरिए देश ने दो बड़े आंदोलन को देखा। किसान आंदोलन की तरह पहलवान आंदोलन ने भी केंद्र सरकार को असहज रखा। किसानों और पहलवानों की मुखालफत ने देश की राजनीति में हरियाणा को एक खास दशा और दिशा दे दी। जहां तक मैं आपकी बात करूं तो आपने सत्ता में रहने के दौरान खेल और खिलाड़ियों को बहुत तवज्जो दी थी। बहुत सारे स्टेडिटम को बनाने में, खिलाड़ियों को सुविधाएं मुहैया करवाने में आपका योगदान रहा। फिर कहां कमी रह गई कि खास कर महिला पहलवानों को इस तरह सड़क पर आना पड़ गया? खिलाड़ियों का असंतोष एक बड़े मुद्दे में शुमार हो गया जिसने केंद्र से लेकर सूबे तक की राजनीति को प्रभावित किया?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- देखिए, हमारी खेल नीति खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की थी। हमने खिलाड़ियों को कहा, पदक लाओ और पद पाओ। पदक ऐसे नहीं लाया जाता है, उसके लिए खिलाड़ियों को माहौल देना पड़ता है। इन्हीं जमीनी मुद्दों को लेकर मैं दावा कर रहा हूं कि राजनीतिक हालात हमारे पक्ष में बन रहे हैं क्योंकि हम सही दिशा में काम कर रहे थे। आप हमारा दस साल का प्रदर्शन देखिए और उसकी तुलना भाजपा सरकार के दस साल के प्रदर्शन के साथ करिए। 2014 में जो प्रति व्यक्ति आमदनी थी आज वह घट गई है। 2014 की तुलना में निवेश के क्षेत्र में भारी कमी आई है। कानून और प्रशासन जिसका सबसे ज्यादा डंका पीटा जा रहा है, भाजपा की सरकार हमारे सामने कहीं टिकती नहीं है। जो हरियाणा पहले खेल और खिलाड़ियों में नंबर एक था आज वही बेरोजगारी में नंबर एक बन गया है। ये मैं नहीं, विभिन्न तरह के सरकारी आंकड़े कह रहे हैं। जिन बेटियों ने दुनिया भर में नाम कमाया, देश का नाम रोशन किया उन्हें सड़क पर बैठ कर लड़ना पड़ा। हमने बेटियों को कहां पहुंचाया था और ये कहां लेकर गए?
‘तो आप खिलाड़ियों को भरोसा दिला पाएंगे कि उनके समर्थन और हित में काम करेंगे?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- बिल्कुल हम तो उनके समर्थन में भी गए थे। हम हमेशा खेल और खिलाड़ियों के हित में खड़े रहेंगे।
‘जहां तक आगामी विधानसभा चुनाव की बात है तो उसमें कांग्रेस अकेले लड़ेगी या आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होगा?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- जहां तक आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी का सवाल है तो ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर का गठबंधन है। राज्य के चुनाव में यह गठबंधन नहीं है।
‘इस बार वैसे क्या मुद्दे सामने आ चुके हैं, जिसकी वजह से आपको लगता है कि लोग हरियाणा में भाजपा को नहीं कांग्रेस को वोट देंगे?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- बेरोजगारी और महंगाई। आज दस साल में इन्होंने परिस्थिति ऐसी कर दी है कि आम लोग बेरोजगारी से त्रस्त हो चुके हैं। अस्पताल में जाओ तो डाक्टर नहीं, स्कूल में जाओ तो मास्टर नहीं। दफ्तर में जाओ तो कर्मचारी नहीं। राज्य में दो लाख मंजूर किए हुए पद खाली पड़े हैं। कौशल रोजगार निगम जो बनाया है, बेकार पड़ा है। इतना ही नहीं, निगम भ्रष्टाचार का अड्डा है। हमने ठेकेदारी व्यवस्था बंद की थी। यह सरकार ठेकेदारी लेकर आई। न उसमें आरक्षण है, न उसमें कोई सुरक्षा है, न नागरिक होने की गरिमा। आम लोगों की एक भी उम्मीद पूरी नहीं हुई है।
‘तो आप भरोसा दिलाएंगे कि इन खाली पदों में भर्तियां होंगी? आपकी सरकार का रुख सुरक्षित और पक्की नौकरियों की तरफ होगा?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- बिल्कुल। हमारी सरकार बनी तो हम जल्द से जल्द सारे खाली पदों को भरेंगे।
‘और, नए रोजगार सृजन के बारे में क्या रुख रहेगा आपकी पार्टी का?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- बिल्कुल, हम नए रोजगार का सृजन करेंगे। यह हमारी प्राथमिकताओं में एक होगा। प्रति व्यक्ति आमदनी और निवेश में हरियाणा पहले नंबर पर था। हमने आइएमटी बनाई। आज की हालत देखिए न, इन्होंने दस साल में एक यूनिट भी बिजली पैदा नहीं की। एक खंभा मेट्रो का नहीं बढ़ाया। एक नई रेलवे लाइन लेकर नहीं आ पाए। किसी तरह का निवेश लेकर नहीं आए। ये सारे मोर्चों पर नाकाम रहे।
‘पार्टी अगर विधानसभा चुनाव में आपको कमान देती है तो क्या आप इस जिम्मेदारी के लिए पूरी तरह तैयार हैं?
भूपिंदर सिंह हुड्डा- मैं हमेशा से पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता रहा हूं। चुनाव में पार्टी मुझे जो भी काम कहेगी वो मैं पूरी मुस्तैदी के साथ करूंगा। चुनाव के पहले भी और चुनाव के बाद भी, पार्टी का निर्देश सर्वोपरि होगा।
(प्रस्तुति मृणाल वल्लरी)