पांच-सात दिन से कई उड़ानों को बम की धमकी मिलती रही। अब तक दो सौ पचहत्तर से ज्यादा उड़ानों को धमकियां मिली हैं। जांच जारी है। बहुत-सी धमकियां कई बाहरी देशों से आ रही हैं! एक विशेषज्ञ कहिन कि ये नए तरह का आतंकवाद है। इसके समांतर ही इन दिनों जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के हमले जारी हैं। अपने कई जवान हताहत हुए। एक गैर-कश्मीरी युवा की भी हत्या की और बनती सुरंग के इंजीनियरों पर निशाना साधा गया, जिसमें एक बड़े अधिकारी को मारा। एक आक्रामक एंकर ने यह मांग कर दी कि अगले ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जरूरत है। बहरहाल,एक दिन फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि ‘पाक’ से बात करने की जरूरत नहीं… कि कश्मीर कहीं नहीं जाने वाला।

ईवीएम पर एलन मस्क का बयान

फिर एक दिन दुनिया के एक बडे अमीर ‘एलन मस्क’ मस्ती में बोल गए हैं कि ‘ईवीएम’ हटाओ, ‘बैलेट पेपर’ लाओ। यों मस्क का हमला अमेरिकी ईवीएम पर था, लेकिन लगा वह अपनी ईवीएम पर भी। एक विपक्षी नेता बोले कि वे बहुत बड़े ‘कंम्प्यूटर विशेषज्ञ’ हैं। ईवीएम का एक पक्षधर बोला कि अमेरिकी ईवीएम कंप्यूटरों से जुड़ी हैं, इसलिए ‘हैक’ हो सकती है। अपने वाली नहीं हो सकती, न उनकी बैटरी में ही गड़बड़ हो सकती है। कई चैनलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त के जवाबों को दोबारा चला कर साफ किया कि वे ‘हैक’ नहीं की जा सकतीं, लेकिन इस बार ईवीएम का विरोध कुछ नरम ही दिखा। कारण कि विपक्ष के सारे तर्क ऐसे मुद्दों पर उनकी ‘चुनी हुई चुप्पियों’ के कारण ढीले हो चुके हैं। उनके आलोचक उनको यह कह कहके कायल करते रहे कि जीते तो सब ठीक, हारे तो ठीकरा ईवीएम के सिर।

आंध्र प्रदेश में परिवार नियोजन की नई सोच

लीजिए, अब कीजिए ‘परिवार नियोजन’ को ‘विदा’ और मानिए चंद्रबाबू नायडू के नए खयाल को कि जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, वही चुनाव लड़ सकेंगे, क्योंकि आंध्र प्रदेश बूढ़ा हो रहा है। ऐसे में हो लिया विकास और इसी तरह एक दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने भी टीप लगा दी कि सोलह बच्चे क्यों नहीं! किस नेता के दिल में क्या चल रहा है, इसे भगवान भी नहीं जानते। दस बरस पहले ‘हम दो हमारे पच्चीस’ निशाना था और अब ‘हम दो हमारे सोलह’ का विचार आ रहा है!

राम मंदिर मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश की प्रार्थना

फिर एक रोज चैनलों पर प्रधान न्यायाधीश की यह स्वीकारोक्ति जैसे ही दिखी कि मैं तीन महीने पहले राम मंदिर मामले में समाधन पाने के लिए भगवान के पास गया कि मंदिर का समाधान कराओ… अगर आप सच्चे दिल से भगवान से प्रार्थना करते हैं तो वे रास्ता सुझाते हैं। कुछ विपक्षी नेता कटाक्ष करने लगे कि वे हमारे दल को टूट से बचाने के लिए प्रार्थना करते, कि वे ‘आम लोगों’ की परेशानी दूर करने के लिए प्रार्थना करते। यह कैसा जनतंत्र है जिसमें कुछ नेता कहने लगते हैं कि कोई प्रार्थना करे तो उनसे पूछकर करे।

जीशान सिद्दीकी का राजनीतिक बदलाव

फिर एक दिन जीशान सिद्दीकी ने कहा उनके पिता की हत्या का कारण राजनीतिक है। फिर शुक्रवार की सुबह वे कांग्रेस छोड़ ‘एनसीपी (अजित)’ में शामिल हो गए और चुनाव का टिकट भी ले लिया! आज की राजनीति में सब कुछ जायज है! इन दिनों चैनलों में महाराष्ट्र के दो स्पर्धी गठबंधनों के टिकट वितरण और जीतने के दावों की बहार है। दोनों कहते हैं कि वे जीत रहे हैं। एक दिन एक चैनल ने खबर दी कि मुंबई में योगी के ‘बंटेगे तो कटेंगे’ नारे वाले बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं। एक एंकर ने सवाल किया कि क्या ये नारा चुनाव जीतने का नुस्खा है!

मुंबई में ‘बंटेगे तो कटेंगे’ पोस्टर विवाद

फिर एक रोज खबर रही कि विपक्ष के एक सांसद ने वक्फ सुधार को लेकर बनी ‘संयुक्त संसदीय समिति’ में बहस के दौरान शीशे की बोतल तोड़कर टूटे हिस्से को कुर्सी की ओर फेंका। खबरों ने बताया कि इस अभद्र आचरण के लिए उनको एक दिन के लिए ‘निलंबित’ किया गया। इस चक्कर में सांसद की एक अंगुली भी घायल दिखी। एक विपक्षी नेता उनका हाथ पकड़ कर उनको बाहर लाते दिखे। शाम की बहस में निलंबित नेता के प्रवक्ता ने कहा कि कोई उकसावा होगा, तभी ऐसा हुआ होगा, लेकिन उन्हीं के दल के एक अन्य नेता ने उनके ऐसे व्यवहार से असहमति जाहिर की। गीता में कहा भी है- ‘क्रोध बुद्धि का नाश करता है!’

इसके अगले दिन प्रधानमंत्री ‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन’ में पुतिन, शी जिनपिंग और ईरान के राष्ट्रपति से रूस के ‘कजान’ में मिल रहे थे, युद्ध की जगह शांति का संदेश दे रहे थे और अपने कुछ चैनल चीन के साथ ‘लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल’ यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर हुए नए समझौते की ‘बल्ले बल्ले’ करते दिख रहे थे। कई इसे भारत की सामरिक और कूटनीतिक ताकत की उपलब्धि बताते दिख रहे थे। एक विशेषज्ञ ने जरूर कहा कि चीन पर कभी भरोसा न करना… वह नंबरी दगाबाज है!

फिर एक दिन प्रियंका गांधी ने वायनाड में जब परचा भरा, तब पति और बेटा मौजूद दिखे। सोनिया जी भी दिखीं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी बाहर इंतजार करते दिखे। इसे देख भाजपा वालों ने इसे कांग्रेस का ‘दलित विरोधी नजरिया’ बताया। हालांकि खरगे कुछ देर बाद अंदर बैठे दिखे। इन दिनों जरा-सी चूक भी उलटी पड़ जाती है सर जी!