यह किसकी गलती है कि दुनिया वाले नहीं जानते कि कश्मीर पर हिंदुओं का हक उतना ही है, जितना मुसलमानों का? सोचा जाए तो हिंदुओं का ज्यादा है। इस्लाम से बहुत पहले कश्मीर घाटी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का केंद्र थी। आज भी दिखते हैं विशाल प्राचीन मंदिरों के खंडहर अवंतीपुरा और मट्टन में। कश्मीर घाटी में लिखी गई थी ‘राजतरंगिणी’, जो सबसे पुरानी इतिहास की किताबों में गिनी जाती है। इसे बारहवीं सदी में कल्हण ने संस्कृत में लिखी थी, इसमें उन राजाओं के बारे में लिखा है, जिन्होंने कश्मीर में राज किया था उस दौर में, जब इस्लाम ने भारत में कदम तक नहीं रखा था।

आज तक कश्मीर को छीनने की कोशिश करता रहा है पाकिस्तान

इन बातों से मैं इस लेख को शुरू इसलिए कर रही हूं, क्योंकि मुझे पिछले दिनों पश्चिमी देशों के मीडिया में पहलगाम वाली घटना के बारे में पढ़कर गुस्सा भी आया और दुख भी हुआ। ज्यादातर लेख जो मैंने पढ़े, उनका आधार था कि कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हुआ है, यानी कश्मीर पर पाकिस्तान का भारत से ज्यादा अधिकार है, क्योंकि घाटी में अक्सरियत मुसलमानों की है। ऐसे लिखे गए थे ये लेख जैसे भारत ने कश्मीर घाटी पर नाजायज कब्जा किया था 1947 में। सो, आज तक पाकिस्तान कश्मीर को छीनने की कोशिश कर रहा है।

कहने का मतलब है कि हमारे राजनेताओं ने कभी दुनिया के सामने अपनी बात रखने की पूरी कोशिश ही नहीं की। माना कि गलतियां की हैं हमारे शासकों ने, जिसकी वजह से कश्मीरी नौजवानों ने बंदूक उठाकर हिंसा और अराजकता फैलाकर कश्मीर को भारत से अलग करने की मुहिम चलाई है पिछले तीस सालों में। इन गलतियों में एक बड़ी गलती यही है कि हमने अपनी बात डटकर रखने का प्रयास नहीं किया है और इसका लाभ पाकिस्तान ने उठाया है।

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मगर इससे भी बड़ा नुकसान यह हुआ है कि दुनिया के सबसे असरदार, शक्तिशाली राजनेता भी नहीं जानते हैं कश्मीर की असली कहानी। सो, आश्चर्य नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप से जब पहलगाम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह समस्या हजार साल पुरानी है और उनकी हमदर्दी भारत के साथ है, लेकिन पाकिस्तान के साथ भी। इतना नहीं मालूम है अमेरिका के राष्ट्रपति को कि हजार साल पहले पाकिस्तान था ही नहीं।

शायद इन चीजों के बारे में बात करने का समय अभी नहीं है। नरेंद्र मोदी ने हमारे सेनाध्यक्षों को पूरी छूट दी पिछले सप्ताह कि वे जब, जैसे, और जहां वार करना चाहते हैं पाकिस्तान पर, कर सकते हैं। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने आधी रात को पत्रकारों को बुलाकर कहा कि भारत अगले चौबीस घंटों में पाकिस्तान पर आक्रमण कर सकता है।

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हो सकता है कि जब तक आप यह लेख पढ़ें, युद्ध शुरू हो गया हो। हो सकता है कि ऐसा कुछ दिनों बाद हो। मगर भारत कुछ करेगा जरूर, इसका इशारा गृहमंत्री ने दिया, यह कहकर कि ‘चुन-चुन के मारे जाएंगे’ वे सारे दरिंदे, जिन्होंने पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों को इतनी बेरहमी से मारा कि देश भर में युद्ध के लिए आवाज उठ रही है।

पाकिस्तान की तरफ से कई लोगों ने साबित करने का प्रयास किया पिछले सप्ताह कि पहलगाम में बेगुनाह लोगों को उनका मजहब पूछ कर मारनेवालों का कोई वास्ता नहीं है पाकिस्तान की सरकार या सेना से। इस बात को शायद विदेशी पत्रकार मान सकते हैं, लेकिन हम बिल्कुल नहीं, क्योंकि हम जानते हैं कि पाकिस्तान ने ऐसी बातें की हैं हर बार।

यहां याद करना जरूरी है कि मुंबई वाले हमले के बाद जब पाकिस्तान को भारत सरकार ने तमाम सबूत दिए कि अजमल कसाब और उसके साथियों को प्यादों की तरह चला रहे थे कुछ अनजान लोग, जो कराची में बैठे हुए थे, पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया उन लोगों को दंडित करने के लिए। उनकी आवाजें दर्ज की गई थीं ताज और ओबेराय होटलों की ‘क्लोज्ड सर्किट कैमरों’ में। सबूत था कि लश्कर-ए-तैयबा ने उस हमले को अंजाम दिया था। मगर हाफिज सईद आज भी दंडित नहीं हुआ है।

पाकिस्तान पर कौन भरोसा कर सकता है, जब इतनी बार धोखा दिया है उसने। याद कीजिए कि नरेंद्र मोदी जब अचानक लाहौर पहुंचे थे नवाज शरीफ से दोस्ती जताने, उसके फौरन बाद पठानकोट में जिहादी हमला हुआ था भारतीय वायुसेना के अड्डे पर। इसके बाद पाकिस्तान ने इजाजत मांगी अपने लोगों को जांच में शामिल करने की। इजाजत दी गई, पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस बार अगर भारत युद्ध की तैयारी कर रहा है तो इसलिए कि कोई दूसरा चारा नहीं है। हालांकि, मोदी ने खुद व्लादिमीर पुतिन को सलाह दी है कि आज का जमाना युद्ध का नहीं है।

अगर युद्ध करने को मजबूर है भारत, तो इसलिए कि इस देश के तकरीबन हर राज्य के बेटे मारे गए हैं पहलगाम में। मुझे एक भी भारतीय नहीं मिला है उस घटना के बाद, जिसका खून नहीं खौल रहा है और जो नहीं चाहता कि पाकिस्तान के खिलाफ हमारी सरकार कोई ऐसा कदम उठाए, जिससे पाकिस्तान समझ जाए कि भारत अब जिहादी हमले चुपचाप बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। जरूरत से ज्यादा बर्दाश्त किया है हमने।

जो भी कार्रवाई होती है उसके साथ-साथ हमको प्रयास यह भी करना होगा दुनिया को याद दिलाने के लिए कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और भारतीय सभ्यता और संस्कृति का महत्त्वपूर्ण केंद्र रहा है प्राचीन युग से। कश्मीर भविष्य में भी भारत का अटूट अंग रहेगा और जब तक पाकिस्तान इस बात को स्वीकार नहीं करता है, दुश्मनी रहेगी हमारे बीच। दोस्ती नहीं।