योग दिवस के दिन अचानक देश भर में ‘अस्सी लाख’ से अधिक टीके लग गए, तो अपने कई ‘विघ्न संतोषियों’ की नींद उड़ गई! सोचे कि हमारे रहते ऐसा रिकार्ड कैसे बन सकता है? इसलिए कहने लगे कि इसमें जरूर झोल है! एक ने कहा, इस अवसर के लिए जमाखोरी करके रखे थे टीके! सबसे अधिक टीके लगाने वाला राज्य बोला कि अगर और होते तो और लगा देते!

टीके लगें तो पस्त और न लगें तो मस्त!
अगले रोज जब टीके कम लगे तो चहकने लगे कि देखा! हम न कहते थे सब एक दिन का तमाशा है! एक एंकर जी देर तक समझाते रहे कि दिसंबर के अंत तक तो सबको टीके लगने से रहे! टीके पर जैसा युद्ध इस देश में है, शायद ही और कहीं हो! सब श्रेय की लड़ाई है! लग गए तो सत्ता पक्ष की पौ बारह और न लगे तो विपक्ष के दिन बहुरे! जिस देश में ऐसे विघ्न संतोषी हों उसका भगवान ही बेली है! इसी बीच जम्मू-कश्मीर के नेताओं से पीएम की बैठक ने तीन दिन लंबी और बहसीली खबरें बनाई। फारुख अब्दुल्ला पीएम के ‘दावतनामे’ को कबूल करने के साथ बोले कि हम पीएम से अपनी बात कहेंगे, लेकिन महबूबा मुफ्ती ने मीडिया के आगे ही अपने दिल की बात कह दी कि पाकिस्तान से बात करे सरकार और जैसे ही यह कहा, वैसे ही देशभक्त भड़क गए और दो दिन लगातार भाजपा के महबूबा विरोधी प्रदर्शन हिंदी चैनलों में कवर होते रहे!

पीएम ने मीटिंग में ‘दिल और दिल्ली की दूरी’ मिटाने की बात कही तो सारी चर्चाएं ‘दिल और दिल्ली’ के बीच की दूरी पर होती रहीं! एक एनसीपी नेता ने यह कह कर कि ‘जो हुआ सो हुआ’, सारे ‘विरोध’ पर पानी डाल दिया! क्या लाइन बदल गई है!

प्रशांत किशोर उर्फ पीके जिसे छू लेते हैं, वही खबर में आ जाता है। इधर पीके ने शरद पवार से मीटिंग की, उधर शरद पवार खबरों में छा गए! फिर शरद पवार की बुलाई बैठक देर तक चर्चा में रही, जिसमें कुछ गैर-कांग्रेसी विपक्षी दल और कुछ पूर्व सांसद शामिल रहे, लेकिन बात कुछ बनी नहीं।

इस बीच कई चैनलों ने एक हजार बच्चों-बड़ों का ‘धर्मांतरण’ कराने वाले ‘इंटरनेशनल गैंग’ के कुछ लोगों की एटीएस द्वारा की गई गिरफ्तारी ने बड़ी सनसनीखेज खबर बनाई, जो कई दिन तक चैनलों में छाई रही! सबसे अधिक चौंकाने वाली खबरें कई मूक-बधिर बच्चों को मुसलमान बनाने की रही। प्रश्न उठा कि उनकी सहमति कैसे ली गई? कई माता-पिताओं ने भी ऐसी आशंकाओं की पुष्टि की! धर्मांतरण के पक्षधरों का कहना रहा कि यह चुनाव से पहले यूपी में धार्मिक धु्रवीकरण की कोशिश है, जबकि यूपी प्रवक्ता ने बताया कि इनका आतंक कनेक्शन भी संभव है और विदेशों से आए धन के लेन-देन के दस्तावेज भी मिले हैं! छानबीन जारी है! अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई होगी!

इस सप्ताह तीसरी लहर की खबर भी लहराई जाती रही! कोई कह जाता कि तीसरी लहर आ रही है! तीसरी लहर आएगी! कोई कहता कि तीसरी आएगी तो चौथी भी आएगी और चौथी आएगी तो पांचवीं कहां जाएगी? और जब पांचवीं आएगी तो छठी भी आएगी न!

एक चैनल पर तीन तरह के विशेषज्ञों ने तीसरी लहर के आने के तीन मुहूर्त निकाले! एक कहिन कि सिंतबर अक्तूबर में आ सकती है। दूसरे कहिन कि अगस्त में दर्शन देगी। तीसरे कहिन कि जुलाई में आ सकती है। सावधान इंडिया!

फिर एक दिन अपने भइया जी भी कहिन कि तीसरी आ रही है और चौथी को भी आना है। लगे हाथ पीएम को नसीहत दे दी कि जो गलती दूसरी में की, तीसरी में न करना! सावधन! फिर न कहना कि चेताया नहीं!

इन दिनों कुछ एंकर हर रोज इतना सारा चिकित्सीय ज्ञान उड़ेल जाते हैं कि संभाले नहीं संभलता! एक एंकर जी को एक दिन ‘डेल्टा प्लस’ की खबर दिख गई, तो बहस लेकर बैठ गए कि यह तो बेहद खतरनाक है जी! जब विशेषज्ञों ने कहा कि ‘डेल्टा प्लस वेरियेंट’ के मामले इतने कम हैं कि कोई पक्का नतीजा नहीं निकाला जा सकता और ऐसा कोई अध्ययन भी नहीं, जो कहता हो कि यह बेहद खतरनाक है!

करीब दो महीने बाद एंकर अर्णव गोस्वामी ने रिपब्लिक के प्राइम टाइम में दर्शन दिए और सच कहें, देख कर अच्छा लगा, लेकिन कुछ बुरा भी महसूस हुआ। पूरे माथे पर फैली रहने वाली केशराशि बदल गई है। उनकी नई हेयर स्टाइल बताती है कि उनके माथे के बाल कुछ उड़ से गए हैं, उनकी खिली मुस्कान में कुछ खिसियाहट-सी घुली दिखती है! उन्हीं ने बताया कि वे कोविड के शिकार हुए और पूरी तरह ठीक होने के बाद ही आए हैं। बहरहाल, उनकी आवाज में वही बुलंदी रही, जो पहले थी! आप अर्णव के राष्ट्रवाद को पसंद करें या न करे, ‘बहस’ से ‘दंगल’ का मजा अर्णव ही दिलाते हैं! इसी तरह एक अरसे से एक उम्दा चर्चक आनंद रंगनाथन भी उस चैनल पर नहीं दिख रहे, जिसके वे ‘स्थायी भाव’ होते थे। इसी तरह भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी भी अरसे से अपनी कविता और शेरो-शायरी के साथ बहसों में नहीं दिखते! क्या हुआ सर जी!