दिवाली पर जितने बम फोड़े गए, चैनलों में उनसे भी अधिक आरोपों के बम फोड़े गए और ये बड़े-बड़े नेताओं ने फोड़े! दिवाली के बाद फडनवीस ने बम फोड़ा, तो नवाब मलिक ने उसे ‘फुस्स’ बताया! फडनवीस का आरोप रहा कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने मुंबई की महंगी जमीन मुंबई ब्लास्टों के मास्टर माइंड से औने-पौने दामों में खरीद ली!

मलिक ने जवाब दिया कि हमने सब काम कानूनी तरीके से किया है, उसके कागजात उपलब्ध हैं! उनका बेटा बोला कि जमीन को कानूनी तरीके से खरीदा! भाजपा के नेता सेलार ने नैतिक सवाल उठाया कि मुंबई के लोगों की जान लेने वालों से जमीन खरीदना कहां तक नैतिक है?

वसूली से शुरू हुई मलिक की कहानी पहले फडनवीस के नजदीकी अराफात को नोटबंदी के दौरान काले नोटों को सफेद करने वाला और हैदर को बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से बसाने वाला बताया! जवाब में अराफात ने तो इतना कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं, लेकिन हैदर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को न केवल बेबुनियाद बताया, बल्कि मलिक को धमकी दे दी कि पांच दिन बाद न्यूक्लिअर बम फोड़ेंगे!

फिर केस पर केस होने लगे! मलिक की बेटी ने फडनवीस पर मानहानि का केस दर्ज किया, तो फडनवीस की पत्नी ने मलिक पर मानहानि का केस दर्ज किया! क्रूज नशा पार्टी की कहानी वानखेड़े को छोड़ मलिक के हाथों में आकर फडनवीस तक जा पहुंची और दिल्ली का दरवाजा खटखटाती दिखी!

गए सलीम जावेद के दिन! आज के असली किस्सागो हैं नवाब मलिक! किश्तों में बकरा काटने में उनका जवाब नहीं! जितनी उत्सुकता वे जगाते हैं, और कोई नहीं जगाता! वे अधिकतम दर्शकता लेते हैं! गजब के किस्सागो हैं मलिक साहब! इन किस्सों का सच जो हो सो हो, लेकिन यह तय है कि मलिक एक से एक हिट कहानी कहने में माहिर हैं!

और क्या तो अदा कि अपने पर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए किसी हीरो की तरह कह उठे कि ‘मैं आ रहा हूं’ और आ गए! चैनलों को और क्या चाहिए था? वे उनके लफ्ज पर लपकते हैं! यह सारी कहानी सिद्ध करती है कि अपनी नागरिक राज्यसत्ता अब आपराधिक मिजाज की बन चली है! अगर आरोप-प्रत्यारोप जरा भी सच हुए तो कैसी भयावह कहानी सामने आएगी!

पिछले एक डेढ़ महीने से बनी यह सनसनीखेज कहानी एक ही तरह से शुरू और समाप्त होती है : पहले किसी बड़े पर आरोपों का बम मारो, जब वह चिल्लाए तो कहो ‘जांच करा लो’ और इसके जवाब में ‘प्रथम आरोपित’ भी प्रत्यारोप लगाएगा और जब कोई प्रमाण का आग्रह करेगा तो कहेगा ‘जांच करा लो’! और अगर ‘जांच’ हो तो हर आरोपित कहेगा कि इस जांच का भरोसा नहीं!

सत्ता का आमना-सामना इस कदर है कि केंद्र जांच बिठाए, तो राज्य उस जांच पर जांच बिठा देता है और राज्य जांच कराता है, तो केंद्र उस पर जांच बिठा देता है। इस तरह ‘जांच पर जांच’, ‘जांच पर जांच’ होती रहती है और इस तरह हर जांच संदिग्ध बना दी जाती है! हर भंडाफोड़ कहानी इसी तरह झिंझोड़ कर चल देती है, मन खलबलाता रह जाता है! जिस राज्य में इतने ‘बम’ फोड़ने वाले हों, उस राज्य का भगवान ही बेली है!

बहरहाल, वसूली से शुरू की गई कहानी को ‘टेक ओवर’ किया सलमान खुर्शीद की नई किताब ‘अयोध्या’ की कहानी ने, जिसमें सलमान ने हिंदुत्व की तुलना ‘आइसिस’ और ‘बोकोहराम’ से की और कांग्रेस का कुंडा हो गया! यूपी के चुनावों के लिए जो कांग्रेसी नेता मेहनत करके कुछ दिन के लिए ‘इच्छाधारी हिंदू’ बन गए थे, वे सब निशाने पर आ गए!

और इस बार भाजपा प्रवक्ताओं ने ही नहीं, कई एंकरों ने भी खुर्शीद को जम के ठोका और हिंदुत्ववादी प्रवक्ताओं ने अपने हिंदुत्व का पक्ष जम के रखा! लेकिन सलमान के पक्ष में कांग्रेसी प्रवक्ताओं के अलावा और कोई चिड़िया न बोली! कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सलमान की इस लाइन को ‘गलत’ बताया।

ऐसी ही एक बहस में जेडीयू के अजय आलोक ने बार-बार उछल रहे एक कांग्रेसी प्रवक्ता को समझाया कि अगर हिंदुत्व ‘आइसिस’ या ‘बोकोहराम’ होता, तो आप इस तरह बकवास न कर रहे होते। आप और सलमान अपनी जान बचा कर कहीं भाग रहे होते!

एक एंकर ने इसे कांग्रेस का ‘सेल्फ गोल’ भी कहा! कुछ हिंदुत्ववादियों ने सलमान पर तीन तीन एफआइआर भी कर दीं! एक बोला कि अगर हिंदुत्व ‘आइसिस-बोकोहराम’ हो तो क्या एफआइआर ही होती? ऐसी भावोत्तेजक धांय-धांय में ‘राफेल कमीशन’, ‘छठ’ और ‘जमुना झाग कथा’ को कौन भाव दे?